ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 233
आज है १५ अक्तुबर, सदाबहार संगीतकार जोड़ी शंकर जयकिशन के शंकर साहब का जन्म दिवस। आज वो इस दुनिया में मौजूद तो नहीं हैं कि हम उन्हे जनमदिन की शुभकामनाएँ दे सके, लेकिन उनके रचे सदाबहार नग़मों के ज़रिए हम उनकी सुरीली यादों को ताज़ा ज़रूर कर सकते हैं। तो क्यों ना आज से अगले तीन दिनों तक सुना जाए शंकर जयकिशन की जोड़ी के तीन हिट गीत! शुरुआत करते हैं लता जी और रफ़ी साहब के गाए फ़िल्म 'असली नक़ली' के एक युगल गीत से। गीत फ़िल्माया गया था देव आनंद और साधना पर। आइए आज एक साथ बात करें शंकर जयकिशन और देव आनंद की। जब देव आनंद फ़िल्म जगत में आए थे, तब अपने पारिवारिक बैनर नवकेतन के तले बनी फ़िल्मों में सचिन देव बर्मन का संगीत हुआ करता था। देव आनंद, बर्मन दादा, मजरूह साहब, रफ़ी साहब, किशोर दा, हेमन्त दा और तलत साहब की टीम दिलीप कुमार, नौशाद, शक़ील, और तलत की टीम से बहुत अलग थी, और राज कपूर, शंकर जयकिशन, शैलेन्द्र-हसरत, मुकेश की टीम से भी जुदा थी। जब देव आनंद और शंकर जयकिशन एक साथ आए 'पतिता' जैसी फ़िल्म में, उसमें हेमन्त कुमार और तलत महमूद ने देव साहब के लिए पार्श्वगायन किए। 'पतिता' के गाने बेशक़ ज़बरदस्त हिट हुए थे, लेकिन सही मायने में देव आनंद और शंकर जयकिशन की तिकड़ी ने धमाका किया १९५९ की फ़िल्म 'लव मैरेज' से। देव साहब के गीतों का जो प्रचलित अंदाज़ चला आ रहा था, उससे अलग हटकर 'एस. जे' ने नया संगीत रचा और सुनने वालों ने ना केवल गीतों को पसंद किया, देव आनंद को भी ज़बरदस्त कामयाबी मिली। देव-रफ़ी-शंकर-जयकिशन की एक साथ बात करें तो 'लव मैरेज' के बाद ६० के दशक के शुरुआत में 'जब प्यार किसी से होता है' ने भी वही धमाका किया, फ़िल्म सुपर डुपर हिट और संगीत भी। और फिर १९६२ में ऋषिकेश मुखर्जी ने बनाई 'असली नक़ली', जिसमें देव आनंद की नायिका बनीं साधना। इस फ़िल्म में इन दोनों पर फ़िल्माया हुआ आज का प्रस्तुत गीत है "तुझे जीवन की डोर से बाँध लिया है, तेरे ज़ुल्म-ओ-सितम सर आँखों पर"।
यह गीत एक बस में फ़िल्माया गया था। बस ड्राइवर बने देव आनंद और बस की एकमात्र सवारी साधना। देव साहब बस को एक सुनसान जगह पर ले जाते हैं और दोनो बस से उतरकर हरियाली में हँसते खेलते गीत गाते चलते हैं। ब्लैक ऐंड व्हाइट फ़िल्म होने के बावजूद इस गीत का फ़िल्मांकन बहुत ही सुंदर है। और देव साहब के मैनरिज़्म्स और साधना की ख़ूबसूरती के तो क्या कहने! इस गीत को लिखा है रोमांटिक गीतों के बादशाह हसरत जयपुरी साहब ने, जिनमें से ज़्यादातर गीत उन्होने शंकर जयकिशन के लिए ही लिखे। आज हसरत साहब का गीत बज रहा है और मौका भी है शंकर के जन्मदिन का, तो क्यों ना हसरत साहब के उद्गार जान लिए जाएँ जो उन्होने अमीन सायानी को किसी ज़माने में बताया था! "मैं आप से क्या बताऊँ, १००-१०० पिक्चरें रहती थीं, मगर ये जनाब (शंकर) पिक्चर कभी करते ही नहीं थे, कितने भी चाहें आप पैसे दे दीजिए। और उन्होने सब से ज़्यादा प्राइज़ भी जीते। आज तक किसी और संगीतकार ने इतनी प्राइज़ नहीं ली जितनी हमारे शंकर जयकिशन ने ली, और हमारे लिए वो लड़े भी। भइ ऐसा है कि हमारे अलावा उन्होने किसी भी और शायर को मंज़ूर नहीं किया। उन्होने कहा कि हमारे साथ ये दो रहेंगे, शैलेन्द्र रहेंगे और हसरत रहेंगे। हमारे लिए उन्होने लाखों रुपय का नुकसान किया। ऐसे ही कह रहा हूँ, इतना प्यार था, इतने प्यार करते थे। वो क्या है कि मेरा एक टुकड़ा है, "उनसे मेरा मिज़ाज मिलता है, दर्द-ए-दिल का इलाज मिलता है"। तो भइ, हम एक दूसरे में इस क़दर समा गए थे कि ना हमें कोई अच्छा लगता था, ना उन्हे कोई अच्छा लगता था।" दोस्तों, पढ़ा आपने कि किस तरह का दोस्ताना रहा इनका! तो इनके दोस्ताने को सलाम करने का इससे बेहतर कौन सा गीत होगा कि "तुझे जीवन की डोर से बाँध लिया है, तेरे ज़ुल्म-ओ-सितम सर आँखों पर"। शंकर जी के जनम दिवस पर उन्हे हम याद कर रहे हैं आज उनके इसी गीत के ज़रिए, आइए सुनते हैं।
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा तीसरा (पहले दो गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी और स्वप्न मंजूषा जी)"गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-
१. अमीय चक्रबर्ती की इस फिल्म में नायिका थी उषा किरण.
२. शैलेन्द्र की कलम का अनोखा जादू है इस दर्द से भरे गीत में.
३. मुखड़े में शब्द है -"पराया".
पिछली पहेली का परिणाम -
पूर्वी जी अब बस आप मात्र एक जवाब दूर हैं लक्ष्य से...बधाई....दिलीप जी, शरद जी ने आपको पुष्टि कर ही दी है, रोहित जी तो कल सर खपाते रह गए :) हमें मज़ा आया, अनुराग जी ओल्ड इस गोल्ड में स्वागत है...
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
आज है १५ अक्तुबर, सदाबहार संगीतकार जोड़ी शंकर जयकिशन के शंकर साहब का जन्म दिवस। आज वो इस दुनिया में मौजूद तो नहीं हैं कि हम उन्हे जनमदिन की शुभकामनाएँ दे सके, लेकिन उनके रचे सदाबहार नग़मों के ज़रिए हम उनकी सुरीली यादों को ताज़ा ज़रूर कर सकते हैं। तो क्यों ना आज से अगले तीन दिनों तक सुना जाए शंकर जयकिशन की जोड़ी के तीन हिट गीत! शुरुआत करते हैं लता जी और रफ़ी साहब के गाए फ़िल्म 'असली नक़ली' के एक युगल गीत से। गीत फ़िल्माया गया था देव आनंद और साधना पर। आइए आज एक साथ बात करें शंकर जयकिशन और देव आनंद की। जब देव आनंद फ़िल्म जगत में आए थे, तब अपने पारिवारिक बैनर नवकेतन के तले बनी फ़िल्मों में सचिन देव बर्मन का संगीत हुआ करता था। देव आनंद, बर्मन दादा, मजरूह साहब, रफ़ी साहब, किशोर दा, हेमन्त दा और तलत साहब की टीम दिलीप कुमार, नौशाद, शक़ील, और तलत की टीम से बहुत अलग थी, और राज कपूर, शंकर जयकिशन, शैलेन्द्र-हसरत, मुकेश की टीम से भी जुदा थी। जब देव आनंद और शंकर जयकिशन एक साथ आए 'पतिता' जैसी फ़िल्म में, उसमें हेमन्त कुमार और तलत महमूद ने देव साहब के लिए पार्श्वगायन किए। 'पतिता' के गाने बेशक़ ज़बरदस्त हिट हुए थे, लेकिन सही मायने में देव आनंद और शंकर जयकिशन की तिकड़ी ने धमाका किया १९५९ की फ़िल्म 'लव मैरेज' से। देव साहब के गीतों का जो प्रचलित अंदाज़ चला आ रहा था, उससे अलग हटकर 'एस. जे' ने नया संगीत रचा और सुनने वालों ने ना केवल गीतों को पसंद किया, देव आनंद को भी ज़बरदस्त कामयाबी मिली। देव-रफ़ी-शंकर-जयकिशन की एक साथ बात करें तो 'लव मैरेज' के बाद ६० के दशक के शुरुआत में 'जब प्यार किसी से होता है' ने भी वही धमाका किया, फ़िल्म सुपर डुपर हिट और संगीत भी। और फिर १९६२ में ऋषिकेश मुखर्जी ने बनाई 'असली नक़ली', जिसमें देव आनंद की नायिका बनीं साधना। इस फ़िल्म में इन दोनों पर फ़िल्माया हुआ आज का प्रस्तुत गीत है "तुझे जीवन की डोर से बाँध लिया है, तेरे ज़ुल्म-ओ-सितम सर आँखों पर"।
यह गीत एक बस में फ़िल्माया गया था। बस ड्राइवर बने देव आनंद और बस की एकमात्र सवारी साधना। देव साहब बस को एक सुनसान जगह पर ले जाते हैं और दोनो बस से उतरकर हरियाली में हँसते खेलते गीत गाते चलते हैं। ब्लैक ऐंड व्हाइट फ़िल्म होने के बावजूद इस गीत का फ़िल्मांकन बहुत ही सुंदर है। और देव साहब के मैनरिज़्म्स और साधना की ख़ूबसूरती के तो क्या कहने! इस गीत को लिखा है रोमांटिक गीतों के बादशाह हसरत जयपुरी साहब ने, जिनमें से ज़्यादातर गीत उन्होने शंकर जयकिशन के लिए ही लिखे। आज हसरत साहब का गीत बज रहा है और मौका भी है शंकर के जन्मदिन का, तो क्यों ना हसरत साहब के उद्गार जान लिए जाएँ जो उन्होने अमीन सायानी को किसी ज़माने में बताया था! "मैं आप से क्या बताऊँ, १००-१०० पिक्चरें रहती थीं, मगर ये जनाब (शंकर) पिक्चर कभी करते ही नहीं थे, कितने भी चाहें आप पैसे दे दीजिए। और उन्होने सब से ज़्यादा प्राइज़ भी जीते। आज तक किसी और संगीतकार ने इतनी प्राइज़ नहीं ली जितनी हमारे शंकर जयकिशन ने ली, और हमारे लिए वो लड़े भी। भइ ऐसा है कि हमारे अलावा उन्होने किसी भी और शायर को मंज़ूर नहीं किया। उन्होने कहा कि हमारे साथ ये दो रहेंगे, शैलेन्द्र रहेंगे और हसरत रहेंगे। हमारे लिए उन्होने लाखों रुपय का नुकसान किया। ऐसे ही कह रहा हूँ, इतना प्यार था, इतने प्यार करते थे। वो क्या है कि मेरा एक टुकड़ा है, "उनसे मेरा मिज़ाज मिलता है, दर्द-ए-दिल का इलाज मिलता है"। तो भइ, हम एक दूसरे में इस क़दर समा गए थे कि ना हमें कोई अच्छा लगता था, ना उन्हे कोई अच्छा लगता था।" दोस्तों, पढ़ा आपने कि किस तरह का दोस्ताना रहा इनका! तो इनके दोस्ताने को सलाम करने का इससे बेहतर कौन सा गीत होगा कि "तुझे जीवन की डोर से बाँध लिया है, तेरे ज़ुल्म-ओ-सितम सर आँखों पर"। शंकर जी के जनम दिवस पर उन्हे हम याद कर रहे हैं आज उनके इसी गीत के ज़रिए, आइए सुनते हैं।
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा तीसरा (पहले दो गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी और स्वप्न मंजूषा जी)"गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-
१. अमीय चक्रबर्ती की इस फिल्म में नायिका थी उषा किरण.
२. शैलेन्द्र की कलम का अनोखा जादू है इस दर्द से भरे गीत में.
३. मुखड़े में शब्द है -"पराया".
पिछली पहेली का परिणाम -
पूर्वी जी अब बस आप मात्र एक जवाब दूर हैं लक्ष्य से...बधाई....दिलीप जी, शरद जी ने आपको पुष्टि कर ही दी है, रोहित जी तो कल सर खपाते रह गए :) हमें मज़ा आया, अनुराग जी ओल्ड इस गोल्ड में स्वागत है...
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
Comments
duniyaa to duniyaa, too bhee paraayaa, hum yahaa naa wahaa
दुनिया तो दुनिया तू भी पराया हम यहाँ न वहाँ ।
जीने की चाहत नहीं, मर के भी राहत नहीं
इस पार आँसू उस पार आहें , दिल मेरा बे ज़ुबां ।
हम को न कोई बुलाए, न कोई पलकें बिछाए
ए गम के मालिक , मन्ज़िल वहीं है दम ये टूटे जहाँ ।
आगाज़ के दिन तेरा , अंजाम तय हो चुका
जलते रहे हैं जलते रहेंगे, ये ज़मीं आस्मां ।
तलत मेहमूद
बस एक मिनट लेट हो गईं आप ।
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ. दो दिन पहले हमने अपना जन्मदिन मनाया था, आज आपके नाम से मनायेंगे. संगीतमयी दुआ है-
" बार बार दिन यह आये, बार बार दिल यह गाये, तू जिये हजारों साल, साल के दिन हो तीस लाख.... :) :) happy birthday to you,....... "
आज भी अचानक आ गया तो पता चल रहा सुजॉय और पूर्वी के जनमदिन का!!
आप दोनों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ।
सुजॉय जी को तो हमने यहाँ शामिल कर लिया belated की सूची में। पूर्वी जी का पता, प्रोफाईल मिल जाए तो उन्हें भी शामिल करें :-)
बी एस पाबला
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल ’समीर’
सजीव जी, सुजॊय जी, पूर्वीजी, शरदजी(क्या गाना गाया था आपने), अदाजी( आप भी बढिया गाती हैं)) , पाबला जी और अन्य सभी को हमारी ओर से संगीतमयी, सुरमई दिवाली की शुभकामनायें!!
sujoy= so + joy.
पाबला जी,
अगर कभी अपना प्रोफाइल बनाया तो सबसे पहले आपको सूचित करुँगी :)