Skip to main content

पद्मश्री हुए अमीन सयानी- आवाज़ की विशेष प्रस्तुति

सुनिए कमला भट्ट द्वारा लिये गये अमीन सयानी के ये नायाब इंटरव्यू

अपनी मखमली जादू भरी आवाज़ से दशकों तक हर उम्र के लोगों को सम्मोहित करने वाले आल इंडिया रेडियो के सबसे सफलतम संचालकों में से एक,अमीन सयानी को भारत सरकार ने ब्रॉडकास्टिंग के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान के लिए पदम् श्री से सम्मानित किया है.७७ वर्षीया सयानी हमेशा "बहनों और भाईयों" संबोधन से कार्यक्रम की शुरुआत किया करते थे,और गीतमाला,सिने कलाकारों की महफिल जैसे कार्यक्रमों से घर घर में पहचाने जाते थे. व्यवसायिक ब्राडकास्टिंग को नई बुलंदियां देने में उनका योगदान अतुलनीय है.

लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड २००५, के अनुसार उन्होंने ५४००० से अधिक रेडियो कार्यक्रमों का संचालन किया और लगभग १९००० प्रायोजित विज्ञापनों और स्पोट्स के माध्यम से अपनी आवाज़ भारत के आलावा, अमेरिका, कनाडा, श्री लंका, संयुक्त अरब अमीरात, न्यूजीलैंड, और ब्रिटन के श्रोताओं तक पहुंचाई. उनका एतिहासिक काउंट डाउन शो बिनाका गीत माला जो बाद में सिबाका गीत माला बना और फ़िर कोलगेट ने इसे प्रायोजित किया, ४६ वर्षों तक चला. पहले ये रेडियो सीलोन से सुनाई देता था. बाद में विविध भारती पर इसका प्रसारण जारी रहा. इस बेहद कामियाब संगीत काउंट डाउन को गीतों की लोकप्रियता का विश्वसनीय पैमाना माना जाता था, और सभी को इसका बेसब्री से इंतज़ार रहता था, जिस अंदाज़ से अमीन इस प्रस्तुत करते थे, वो तो बेमिसाल ही था. २००७ में हुए विविध भारती के गोल्डन जुबली समारोह में अमीन ने गीतमाला और अपने अन्य बहुत से कार्यक्रमों के माध्यम से विविध भारती के सुनहरे इतिहास को कुछ इस तरह बयान किया, आप भी देखें और सुने.



इसके आलावा अमीन ने मशहूर हस्तियों के साक्षात्कार, रेडियो नाटक और स्किट्स, क्विज शो, संगीत के विशेष कार्यक्रम, कैरियर सम्बंधित और एड्स से बचाव से जुड़े अनेकों अनेक कार्यक्रमों को अपनी आवाज़ दी. फ़िल्म "भूत बंगला","तीन देवियाँ", "बोक्सर", और "कातिल" जैसी फिल्मों में उद्घोषक की छोटी छोटी भूमिकाएं भी उन्होंने निभाई. अमीन के बारे में अधिक जानिए कमला भट्ट द्वारा लिए गए इस साक्षात्कार में, जहाँ उन्होंने अपने बहुत से अनुभवों को बांटा. इंटरव्यू ६ भागों में है जो हमें कमला जी के द्वारा इन्टरनेट पर प्रस्तुत "दा कमला शो" से प्राप्त हुआ है.



रेडियो सीलोन के साथ अमीन के अनुभव -


गीतमाला का उदय और नियमित श्रोताओं के बारे में -


बॉलीवुड और संगीत इंडस्ट्री -


किशोर कुमार और संजीव कुमार के दिलचस्प किस्से-


संगीतकार रोशन के बारे में और अपने सपनों के बारे में -


प्रस्तुति सहयोग - सुजोय चटर्जी
साक्षात्कार सौजन्य - कमला भट्ट

Comments

बहुत-बहुत शुक्रिया....ये सचमुच नायाब प्रस्तुति है मेरे लिए....
निखिल
बहुत ही नायाब प्रस्तुती. आवाज़ की पूरी टीम को बधाई.

अमीन सायानी का अंदाज़े बयां बाद में कई लोगों ने अपनाया. केवल हरीश भिमानी और संजय पटेल को छोड कर..
पद्मश्री सम्मान के लिए बहुत-बहुत बधाई! अमीन सयानी का अंदाज़ बाकई बेजोड़ रहा है. हिन्दी रेडियो को मशहूर करने में उनका बड़ा योगदान है.

Popular posts from this blog

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...

खमाज थाट के राग : SWARGOSHTHI – 216 : KHAMAJ THAAT

स्वरगोष्ठी – 216 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 3 : खमाज थाट   ‘कोयलिया कूक सुनावे...’ और ‘तुम्हारे बिन जी ना लगे...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया था। वर्तमान समय मे...

आसावरी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 221 : ASAVARI THAAT

स्वरगोष्ठी – 221 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 8 : आसावरी थाट राग आसावरी में ‘सजन घर लागे...’  और  अड़ाना में ‘झनक झनक पायल बाजे...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की आठवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया ...