स्वरगोष्ठी – 457 में आज 
काफी थाट के राग – 1 : राग और थाट काफी 
विदुषी गिरिजा देवी से राग काफी में होरी और मुहम्मद रफी व साथियों से फिल्मी गीत सुनिए 
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| विदुषी गिरिजा देवी | 
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| मुहम्मद रफी | 
काफी थाट
 में गान्धार और निषाद स्वर कोमल और शेष सभी स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते 
हैं। राग काफी, काफी थाट का जनक अथवा आश्रय राग माना जाता है। राग काफी में
 उसके थाट के अनुकूल स्वरों का प्रयोग किया जाता है। राग का वादी स्वर पंचम
 और संवादी स्वर ऋषभ होता है। इसकी जाति सम्पूर्ण होती है। इस राग के गायन 
अथवा वादन का अनुकूल समय मध्यरात्रि माना जाता है, किन्तु फाल्गुन मास में 
किसी भी समय गायन या वादन किया जा सकता है। राग काफी और काफी थाट के अन्य 
जन्य रागों में भारतीय पर्व होली की रचनाएँ भरपूर मिलती हैं। होली, उल्लास,
 उत्साह और मस्ती का प्रतीक पर्व होता है। यह ऋतु परिवर्तन और नई फसल के 
तैयार होने का प्रतीक पर्व भी माना जाता है। इस अनूठे परिवेश का चित्रण 
भारतीय संगीत की सभी शैलियों में पाया जाता है। उपशास्त्रीय संगीत में तो 
होली गीतों का सौन्दर्य खूब निखरता है। ठुमरी, दादरा विशेष रूप से पूरब अंग
 की ठुमरियों में होली का मोहक चित्रण मिलता है। उपशास्त्रीय संगीत की 
वरिष्ठ गायिका विदुषी गिरिजा देवी की गायी अनेक होरी हैं, जिनमे राग काफी 
रंग से रँगी होली में परिवेश का आनन्द भी प्राप्त होता है। बोल बनाव से 
गिरिजा देवी जी गीत के शब्दों में अनूठा भाव भर देतीं हैं। आम तौर पर होली 
गीतों में ब्रज की होली का जीवन्त चित्रण होता है। अब हम आपको विदुषी 
गिरिजा देवी के स्वरों में जो काफी होरी सुनवा रहे हैं, उसमें राधाकृष्ण की
 होली का अत्यन्त भावपूर्ण चित्रण है। लीजिए, आप भी सुनिए, राग काफी में निबद्ध यह मनमोहक होरी। 
काफी होरी : “तुम तो करत बरजोरी...” : विदुषी गिरिजा देवी 
राग काफी चंचल प्रकृति का राग है। अतः इस राग में अधिकतर छोटा खयाल और ठुमरी गायी जाती है। अधिकांश ठुमरियों में ब्रज की होली का चित्रण मिलता है। ऐसी ठुमरियों को होली के आसपास फाल्गुन मास में हर समय गाया जा सकता है। दरअसल राग काफी ऋतु प्रधान राग है। अब हम आपको सुनवाते है, राग काफी पर आधारित एक फिल्मी गीत। 1963 में मुंशी प्रेमचन्द के उपन्यास पर आधारित फिल्म “गोदान” प्रदर्शित हुई थी। उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द की कालजयी कृति ‘गोदान’ पर आधारित इस फिल्म के संगीतकार थे विश्वविख्यात सितार वादक पण्डित रविशंकर। फिल्म के प्रायः सभी गीत रागों और उत्तर प्रदेश के पूर्वाञ्चल की विभिन्न लोक संगीत शैलियों पर आधारित थे। इन्हीं में एक होली गीत भी था, जिसे गीतकार अनजान ने लिखा और मोहम्मद रफी और साथियों ने स्वर दिया था। यह होली गीत फिल्म में गोबर की भूमिका निभाने वाले अभिनेता महमूद और उनके साथियों पर फिल्माया गया था। इस गीत के माध्यम से परदे पर ग्रामीण होली का परिवेश साकार हुआ था। लोकगीत के स्वरूप में होते हुए भी राग काफी के स्वर समूह स्पष्ट रूप से परिलक्षित होते हैं। यह गीत कहरवा ताल में है, जिसमें ब्रज की होली का चित्रण है। आइए, हम सब आनन्द लेते है, फिल्म “गोदान” के इस होली गीत का। आप यह गीत सुनिए और मुझे आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग काफी : “होली खेलत नन्दलाल बिरज में...” मुहम्मद रफी और साथी : फिल्म – गोदान 
संगीत पहेली 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 के 457वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1997 में प्रदर्शित एक 
फिल्म के गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक 
अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के सही 
उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों 
का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। 460वें अंक 
की पहेली तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे उन्हें वर्ष के प्रथम 
सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के प्राप्तांकों 
की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की जाएगी और उन्हें 
सम्मानित भी किया जाएगा। 
1 - इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का प्रभाव है? 
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए। 
3 – इस गीत में किस गायिका का स्वर है? 
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia9@gmail.com
 पर ही शनिवार 29 फरवरी, 2020 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि 
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली 
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
 देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। फेसबुक पर पहेली का उत्तर स्वीकार
 नहीं किया जाएगा। विजेताओं के नाम हम उनके शहर/ग्राम, प्रदेश और देश के 
नाम के साथ “स्वरगोष्ठी” के अंक संख्या 459 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक 
में प्रस्तुत गीत, संगीत या कलाकार के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने
 किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में 
स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia9@gmail.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता 
 
“स्वरगोष्ठी”
 के 455वें अंक में हमने आपको 2015 में प्रदर्शित मराठी फिल्म “कटयार 
कालजात घुसली” से एक राग आधारित नाट्य गीत का अंश सुनवा कर आपसे तीन में से
 कम से कम दो सही उत्तरों की अपेक्षा की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही 
उत्तर है; राग – पूरिया कल्याण, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – तीनताल तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – शंकर महादेवन और महेश काले। 
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
 उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को दो दो अंक मिलते हैं। ‘रेडियो प्लेबैक 
इण्डिया’ की ओर से आप सभी को हार्दिक बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है 
कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर ई मेल से ही भेजा करें। इस पहेली 
प्रतियोगिता में हमारे नए प्रतिभागी भी हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं
 है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको 
पहेली का कोई एक उत्तर भी ज्ञात हो तो भी आप इसमें भाग ले सकते हैं।    
अपनी बात 
मित्रों,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
 नई श्रृंखला “काफी थाट के राग” की पहली कड़ी में आज आपने काफी थाट और उसके 
आश्रय अथवा जनक राग काफी राग का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस राग के 
उपशास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए आपने सुविख्यात गायिका विदुषी गिरिजा 
देवी के स्वर में इस राग की एक होरी ठुमरी का रसास्वादन किया। राग काफी के 
आधार पर रचे गए फिल्मी गीत के उदाहरण के लिए हमने आपके लिए 1963 में 
प्रदर्शित फिल्म “गोदान” का एक गीत मुहम्मद रफी और साथियों के स्वर में 
प्रस्तुत किया। फिल्म के संगीतकार पण्डित रविशंकर हैं। कुछ तकनीकी समस्या 
के कारण अपने फेसबुक के मित्र समूह पर “स्वरगोष्ठी” का लिंक साझा नहीं कर 
पा रहे हैं। सभी संगीत अनुरागियों से अनुरोध है कि हमारी वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com
 पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें। 
“स्वरगोष्ठी” के वेब पेज के दाहिनी ओर निर्धारित स्थान पर अपना ई-मेल आईडी 
अंकित कर आप हमारे सभी पोस्ट को नियमित रूप से अपने ई-मेल पर प्राप्त कर 
सकते है। “स्वरगोष्ठी” की पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की 
प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी 
“स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया 
हमें भेजते रहेंगे। आज के इस अंक अथवा श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ 
कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia9@gmail.com
 पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः सात बजे “स्वरगोष्ठी” के 
इसी मंच पर एक बार फिर संगीत के सभी अनुरागियों का स्वागत करेंगे। 
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र   
 राग काफी : SWARGOSHTHI – 457 : RAG KAFI : 23 फरवरी, 2020


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