स्वरगोष्ठी – 429 में आज 
वर्षा ऋतु के राग – 3 : गौड़ मल्हार 
विदुषी मालविका कानन से इस राग में बन्दिश और लता मंगेशकर से फिल्मी गीत सुनिए  
![]()  | 
| विदुषी मालविका कानन | 
![]()  | 
| लता मंगेशकर | 
राग गौड़ मल्हार
 का फिल्मों में प्रयोग बहुत कम किया गया है। रोशन और बसन्त देसाई, दो ऐसे 
फिल्म संगीतकार हुए हैं, जिन्होने इस राग का बेहतर इस्तेमाल अपनी फिल्मों 
में किया है। पार्श्वगायक मुकेश ने 1951 में फिल्म ‘मल्हार’ का निर्माण 
किया था। इस फिल्म के संगीतकार रोशन थे। फिल्म के शीर्षक संगीत के रूप में 
रोशन ने राग गौड़ मल्हार की एक परम्परागत बन्दिश का चुनाव किया। लता मंगेशकर
 ने फिल्म में शामिल इस बन्दिश को स्वर दिया था। अच्छे संगीत के बावजूद 
फिल्म ‘मल्हार’ व्यावसायिक रूप से असफल रही और गीत भी अनसुने रह गए। लगभग 
एक दशक बाद रोशन ने इसी धुन का 1960 में प्रदर्शित फिल्म ‘बरसात की रात’ 
में थोड़े शाब्दिक फेर-बदल के साथ दोबारा प्रयोग किया। फिल्म ‘मल्हार’ और 
‘बरसात की रात’ में शामिल राग गौड़ मल्हार के स्वरों में पिरोये दोनों गीतों
 का प्रयोग फिल्मों के शीर्षक संगीत के रूप में किया गया था। आइए अब हम 
आपको हम फिल्म ‘मल्हार का गीत सुनवाते है। लता मंगेशकर की आवाज़ में फिल्म 
‘मल्हार’ का गीत सुनिए, जिसमें रोशन ने राग गौड़ मल्हार के स्वरों का प्रयोग
 कर गीत को मूल बन्दिश के निकट ला दिया। 
राग गौड़ मल्हार : ‘गरजत बरसत भीजत आई लो...’ : लता मंगेशकर : फिल्म - मल्हार  
राग
 गौड़ मल्हार में राग गौड़ और मल्हार अंग का अत्यन्त आकर्षक मेल होता है। यह 
मल्हार अंग के रागों में से एक है। इसकी जाति सम्पूर्ण-सम्पूर्ण होती है, 
अर्थात इस राग के आरोह और अवरोह में सात-सात स्वरों का प्रयोग होता है। राग
 गौड़ मल्हार के आरोह और अवरोह में सभी शुद्ध प्रयोग किये जाते हैं। केवल 
अवरोह में धैवत के साथ कोमल निषाद स्वर का प्रयोग होता है। वक्र सम्पूर्ण 
जाति के इस राग में गान्धार स्वर का अत्यन्त विशिष्ट प्रयोग किया जाता है। 
राग गौड़ मल्हार के थाट के विषय में दो मत हैं। अधिकतर गायक-वादक खमाज थाट 
के अन्तर्गत, तो कुछ इसे काफी थाट के अन्तर्गत प्रयोग करते हैं। सुप्रसिद्ध
 संगीतज्ञ पण्डित रामाश्रय झा तो इस राग को विलावल थाट के अन्तर्गत प्रयोग 
करते थे। राग गौड़ मल्हार के बारे में विद्वानो का मत है कि इस राग के आरोह 
में शुद्ध गान्धार के साथ शुद्ध निषाद और अवरोह में कोमल निषाद का प्रयोग 
किया जाता है। राग का यह स्वरूप अधिक प्रचलित है। जो गायक-वादक कोमल 
गान्धार का प्रयोग करते हैं वे इस राग को काफी थाट के अन्तर्गत प्रयोग करते
 हैं। इस राग में मध्यम पर न्यास करना और ऋषभ-पंचम की संगति आवश्यक होती 
है। यह प्रयोग मल्हार अंग का परिचायक होता है। राग गौड़ मल्हार में पण्डित 
विद्याधर व्यास और विदुषी किशोरी अमोनकर ने नि(कोमल),ध,नि,सा (मियाँ 
मल्हार) का जैसा मोहक परम्परागत प्रयोग किया है, वह सुनने योग्य है। इस राग
 के गायन-वादन का समय रात्रि का दूसरा प्रहर माना जाता है, किन्तु पावस ऋतु
 में इसे किसी भी समय गाया-बजाया जा सकता है। आइए अब हम आपको राग गौड़ 
मल्हार की एक बन्दिश सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका मालविका कानन के स्वरों 
में सुनवाते हैं। उन्होने तीनताल में इसे एक अलग ही रस-रंग में प्रस्तुत 
किया है। आप राग गौड़ मल्हार की यह बन्दिश सुनिए और मुझे आज के इस अंक को 
यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए। 
राग गौड़ मल्हार : ‘गरजत बरसत भीजत आई लो...’ : विदुषी मालविका कानन : तीनताल 
संगीत पहेली 
 
“स्वरगोष्ठी”
 के 429वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1967 में प्रदर्शित एक 
फिल्म के राग आधारित गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर 
आपको दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो 
प्रश्नों के सही उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा 
तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते 
हैं। 430वें अंक की पहेली तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें 
वर्ष 2019 के तीसरे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे 
वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की 
घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। 
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इस अंश में किस राग का स्पर्श है? 
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए। 
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायिका की आवाज़ हैं? 
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
 पर ही शनिवार, 10 अगस्त, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि 
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली 
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
 देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर 
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
 के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 431 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में 
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या 
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी 
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता 
 
“स्वरगोष्ठी”
 के 427वें अंक की पहेली में हमने आपसे वर्ष 1971 में प्रदर्शित फिल्म 
“गुड्डी” के एक गीत का एक अंश सुनवा कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक 
प्राप्त करने के लिए कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा की थी। 
पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – मियाँ की मल्हार, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – कहरवा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – वाणी जयराम। 
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, कल्याण, महाराष्ट्र से शुभा खाण्डेकर, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, खण्डवा, मध्यप्रदेश से रविचन्द्र जोशी, अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
 उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक 
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर 
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी 
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
 सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
 इसमें भाग ले सकते हैं।  
अपनी बात 
मित्रों,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
 श्रृंखला “वर्षा ऋतु के राग” की तीसरी कड़ी में आज आपने मल्हार अंग के राग 
“गौड़ मल्हार” का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस राग के शास्त्रीय स्वरूप को
 समझने के लिए सुविख्यात संगीत-विदुषी मालविका कानन के स्वरों में प्रस्तुत
 एक बन्दिश का रसास्वादन किया। इससे पहले इसी राग पर आधारित फिल्म “मल्हार”
 से एक पारम्परिक बन्दिश का फिल्मी रूप पार्श्वगायिका लता मंगेशकर के 
स्वरों में सुनवाया गया। संगीतकार रोशन ने इस गीत को राग गौड़ मल्हार के 
स्वरों में संगीतबद्ध किया है। “स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली कड़ियों के बारे
 में हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है 
कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे
 और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में
 यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली 
श्रृंखला के लिए यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
 पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र   
 राग गौड़ मल्हार : SWARGOSHTHI – 429 : RAG GAUD MALHAR : 4 अगस्त, 2019


Comments