स्वरगोष्ठी – 411 में आज 
कल्याण थाट के राग – 9 : राग शुद्धकल्याण   
विदुषी अश्विनी भिड़े से राग शुद्ध कल्याण का खयाल और इस राग में पिरोया गीत लता मंगेशकर से सुनिए 
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| अश्विनी भिड़े देशपाण्डे | 
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| लता मंगेशकर | 
कल्याण थाट
 का ही एक अन्य राग शुद्ध कल्याण है। इस राग के आरोह में मध्यम और निषाद 
स्वर तथा अवरोह में मध्यम स्वर वर्जित होता है। इसकी जाति औड़व-षाड़व होती 
है। इस राग में निषाद स्वर का अल्प प्रयोग किया जाता है। राग का वादी स्वर 
गान्धार और संवादी स्वर धैवत होता है। रात्रि के प्रथम प्रहर में इस राग का
 गायन-वादन सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है। इस राग में सभी शुद्ध स्वर 
प्रयोग किए जाते हैं। राग शुद्ध कल्याण की रचना राग भूपाली और राग कल्याण 
के मेल से हुई है। इसके आरोह में राग भूपाली और अवरोह में राग कल्याण के 
स्वर प्रयोग होते हैं। अवरोह में तीव्र मध्यम स्वर अति अल्प प्रयोग होता 
है, इसीलिए अवरोह की जाति में तीव्र मध्यम स्वर की गणना नहीं की जाती। इस 
राग में राग भूपाली और कल्याण का मिश्रण होने के कारण कुछ विद्वान इसे राग 
भूपकल्याण भी कहते हैं। राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए अब हम 
आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं, राग शुद्ध कल्याण में निबद्ध एक बन्दिश, 
जिसे विदुषी अश्विनी भिड़े देशपाण्डे ने प्रस्तुत किया है। 
राग शुद्ध कल्याण : “बतियाँ दुहरावत हैं...” : अश्विनी भिड़े देशपाण्डे 
राग
 शुद्ध कल्याण में पंचम और ऋषभ स्वरों की कणयुक्त संगति इसकी प्रमुख 
विशेषता है। कल्याण थाट के एक अन्य राग छायानट में पंचम और ऋषभ की संगति का
 विशेष महत्त्व है। जहाँ तक केवल पंचम और ऋषभ स्वरों की संगति का प्रश्न 
है, राग छायानट और शुद्ध कल्याण में अन्तर यह है कि छायानट में पंचम से ऋषभ
 स्वर पर आते समय मींड़ का और राग शुद्ध कल्याण में कण का प्रयोग किया जाता 
है। राग शुद्ध कल्याण गम्भीर प्रकृति का राग है। इसका चलन मन्द्र, मध्य और 
तार तीनों सप्तकों भलीभाँति किया जा सकता है। इसमें निषाद स्वर अल्प है। 
कुछ संगीतज्ञ इसे पूर्णतः वर्जित कर देते है, कुछ केवल मींड़ में और कुछ 
इसका स्पष्ट प्रयोग करते हैं। निषाद स्वर का अधिक प्रयोग करने से राग 
कल्याण की छाया आने लगती है। इससे बचने के लिए मन्द्र की तुलना मध्य सप्तक 
मे इसका कम प्रयोग करना चाहिए। इसके विपरीत निषाद स्वर पूर्णतः वर्जित करने
 से राग जैत कल्याण की छाया आने की सम्भावना होती है। अब हम आपको राग शुद्ध
 कल्याण पर आधारित एक फिल्मी गीत सुनवाते हैं। यह गीत हमने 1957 में 
प्रदर्शित फिल्म “पेइंग गेस्ट” से लिया है। इसके संगीतकार सचिनदेव बर्मन 
हैं और इसे स्वर दिया है, लता मंगेशकर ने। आप यह सुमधुर गीत सुनिए और मुझे 
आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए। 
राग शुद्ध कल्याण : “चाँद फिर निकला...” : लता मंगेशकर : फिल्म – पेइंग गेस्ट 
संगीत पहेली 
 
“स्वरगोष्ठी”
 के 411वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1960 में प्रदर्शित एक 
फिल्म के रागबद्ध गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको 
दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के 
सही उत्तर देने आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों 
प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। 
420वें अंक तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें वर्ष 2019 के 
दूसरे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के 
प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की 
जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। 
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इस गीत में किस राग का आधार है? 
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए। 
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायक के स्वर हैं? 
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
 पर ही शनिवार, 23 मार्च, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि 
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली 
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
 देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर 
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
 के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 413 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में 
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या 
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी 
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 क्रमांक 409 की पहेली में हमने आपसे वर्ष 1963 में प्रदर्शित फिल्म 
“सेहरा” के एक गीत का एक अंश सुनवा कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक 
प्राप्त करने के लिए कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा की थी। 
पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – मारू विहाग, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – कहरवा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी। 
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, कल्याण, महाराष्ट्र से शुभा खाण्डेकर, अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
 उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक 
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर 
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी 
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
 सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
 इसमें भाग ले सकते हैं।  
अपनी बात 
मित्रों,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी 
श्रृंखला “कल्याण थाट के राग” की नौवीं कड़ी में आज आपने राग “शुद्ध कल्याण”
 का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के 
लिए सुविख्यात गायिका विदुषी अश्विनी भिड़े देशपाण्डे के स्वर में एक खयाल 
रचना का रसास्वादन किया। इसके बाद इसी राग पर आधारित एक गीत फिल्म “पेइंग 
गेस्ट” से लता मंगेशकर के स्वर में प्रस्तुत किया गया। संगीतकार सचिनदेव 
बर्मन ने इस गीत को राग शुद्ध कल्याण के स्वरों का आधार दिया है। इस गीत को
 लता मंगेशकर ने गाया है। “स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछले अंकों के बारे में 
हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि 
हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और
 अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में 
यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली 
श्रृंखला के लिए यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
 पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र   
 राग शुद्धकल्याण : SWARGOSHTHI – 411 : RAG SUDDHAKALYAN : 17 मार्च, 2019


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