स्वरगोष्ठी – 352 में आज 
महाविजेताओं की प्रस्तुतियाँ – 2 
संगीत पहेली के महाविजेताओं क्षिति, हरिणा और प्रफुल्ल की प्रस्तुतियों से अभिनन्दन 
![]()  | 
| क्षिति तिवारी | 
![]()  | 
| डी.हरिणा माधवी | 
वर्ष
 2017 की संगीत पहेली में सर्वाधिक 98 अंक अर्जित कर मध्यप्रदेश की क्षिति 
तिवारी ने प्रथम महाविजेता होने का सम्मान प्राप्त किया है। यह तथ्य भी 
रेखांकन के योग्य हैं कि सर्वाधिक अंक अर्जित करने वाली दोनों प्रतिभागी 
महिलाएँ हैं और संगीत की कलाकार और शिक्षिका भी है। संगीत पहेली में प्रथम 
महाविजेता होने का सम्मान प्राप्त करने वाली जबलपुर, मध्यप्रदेश की श्रीमती
 क्षिति तिवारी की संगीत शिक्षा लखनऊ और कानपुर में सम्पन्न हुई। लखनऊ के 
भातखण्डे संगीत महाविद्यालय से गायन में प्रथमा से लेकर विशारद तक की 
परीक्षाएँ उत्तीर्ण की। बाद में इस संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा 
प्राप्त हुआ, जहाँ से उन्होने संगीत निपुण और उसके बाद ठुमरी गायन मे तीन 
वर्षीय डिप्लोमा भी प्राप्त किया। इसके अलावा कानपुर के वरिष्ठ संगीतज्ञ 
पण्डित गंगाधर राव तेलंग जी के मार्गदर्शन में खैरागढ़, छत्तीसगढ़ के इन्दिरा
 संगीत कला विश्वविद्यालय की संगीत स्नातक और स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त
 की। क्षिति जी के गुरुओं में डॉ. गंगाधर राव तेलंग के अलावा पण्डित 
सीताशरण सिंह, पण्डित गणेशप्रसाद मिश्र, डॉ. सुरेन्द्र शंकर अवस्थी, डॉ. 
विद्याधर व्यास और श्री विनीत पवइया प्रमुख हैं। क्षिति को स्नातक स्तर पर 
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से ग्वालियर घराने की गायकी के अध्ययन के 
लिए छात्रवृत्ति भी मिल चुकी है। कई वर्षों तक लखनऊ के महिला कालेज और 
जबलपुर के एक दिवयांग बच्चों के विद्यालय मे माध्यमिक स्तर के 
विद्यार्थियों को संगीत की शिक्षा देने के बाद वर्तमान में जबलपुर के 
‘महाराष्ट्र संगीत महाविद्यालय’ में संगीत गायन की शिक्षिका के पद पर 
कार्यरत हैं। ध्रुपद, खयाल, ठुमरी और भजन गायन के अलावा उन्होने प्रोफेसर 
कमला श्रीवास्तव से गुरु-शिष्य परम्परा के अन्तर्गत लोक संगीत भी सीखा है, 
जिसे अब वह अपने विद्यार्थियों को बाँट रही हैं। क्षिति जी कथक नृत्य और 
नृत्य नाटिकाओं में गायन संगति की विशेषज्ञ हैं। सुप्रसिद्ध नृत्यांगना और 
भातखण्डे संगीत विश्वविद्यालय की प्रोफेसर कुमकुम धर और काशी हिन्दू 
विश्वविद्यालय के कला संकाय की प्रोफेसर और नृत्यांगना विधि नागर के कई 
कार्यक्रमों में अपनी इस प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुकी हैं। आज के इस विशेष 
अंक में क्षिति तिवारी राग देश में निबद्ध एक चतुरंग प्रस्तुत कर रही हैं। 
संगीत के चार विभिन्न अंगों के समावेश से युक्त गीत को चतुरंग कहते हैं। 
तीनताल में निबद्ध इस चतुरंग के बोल हैं- “डारत मोपे रंग देखो बार बार...”।
 इस प्रस्तुति में तबले पर सोमनाथ सोनी और हारमोनियम पर अभिषेक पडवार ने 
संगति की है। लीजिए, अब आप यह चतुरंग सुनिए और प्रथम महाविजेता क्षिति 
तिवारी का अभिनन्दन कीजिए। 
राग देश : चतुरंग : “डारत मोपे रंग देखो बार बार...” : क्षिति तिवारी 
‘स्वरगोष्ठी’
 की संगीत पहेली 2017 में 96 अंक प्राप्त कर चौथी महाविजेता बनीं हैं, 
हैदराबाद की डी. हरिणा माधवी। हम उन्हें सहर्ष सम्मानित करते हैं। “संगीत 
जीवन का विज्ञान है”, इस सिद्धान्त को केवल मानने वाली ही नहीं बल्कि अपने 
जीवन में उतार लेने वाली हरिणा जी दो विषयों की शिक्षिका का दायित्व निभा 
रही हैं। हैदराबाद के श्री साईं स्नातकोत्तर महाविद्यालय में विगत 16 वर्षो
 से स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं को लाइफ साइन्स पढ़ा रही हैं। इसके साथ 
ही स्थानीय वासवी कालेज ऑफ म्यूजिक ऐंड डांस से भी उनका जुड़ाव है, जहाँ 
विभिन्न आयुवर्ग के विद्यार्थियों का मार्गदर्शन भी करती हैं। हरिणा जी को 
प्रारम्भिक संगीत शिक्षा अपनी माँ श्रीमती वाणी दुग्गराजू से मिली। आगे चल 
कर अमरावती, महाराष्ट्र के महिला महाविद्यालय की संगीत विभागाध्यक्ष 
श्रीमती कमला भोंडे से विधिवत संगीत सीखना शुरू किया। हरिणा जी के 
बाल्यावस्था के एक और संगीत गुरु एम.वी. प्रधान भी थे, जो एक कुशल तबला 
वादक भी थे। इनके अलावा हरिणा जी ने गुरु किरण घाटे और आर. डी. जी. कालेज, 
अकोला के संगीत विभागाध्यक्ष श्री नाथूलाल जायसवाल से भी संगीत सीखा। हरिणा
 जी ने मुम्बई के अखिल भारतीय गन्धर्व महाविद्यालय से संगीत अलंकार की 
उपाधि प्राप्त की है। आज के इस विशेष अंक में हम ‘स्वरगोष्ठी के इस अंक के 
माध्यम से ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी संचालक और सम्पादक मण्डल के 
सदस्य, शिक्षिका और विदुषी डी. हरिणा माधवी का महाविजेता के रूप में 
हार्दिक अभिनन्दन करते हैं और आपको हरिणा जी की आवाज़ में राग पूरिया धनाश्री में
 एक द्रुत खयाल रचना सुनवाते हैं। इस खयाल रचना को हरिणा जी द्रुत एकताल में निबद्ध कर प्रस्तुत कर 
रही हैं। रचना के बोल हैं, -“बिन देखे चैन नाहीं...”। 
राग पूरिया धनाश्री : खयाल : “बिन देखे चैन नाहीं...” : डी. हरिणा माधवी 
![]()  | 
| प्रफुल्ल पटेल | 
राग जनसम्मोहिनी : हारमोनियम पर एकल वादन : मिलिन्द कुलकर्णी 
संगीत पहेली 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 के 352वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको एक रागबद्ध फिल्मी गीत का 
अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से 
किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा 
दो प्रश्न का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। 
360वें अंक की ‘स्वरगोष्ठी’ तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, 
उन्हें वर्ष 2018 के प्रथम सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही 
पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की
 घोषणा भी की जाएगी।   
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग की झलक है? 
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल का नाम बताइए। 
3 – इस गीत में किस सुप्रसिद्ध पार्श्वगायिका की आवाज़ है? 
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर ही शनिवार, 20 जनवरी, 2018 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
 देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, 
प्रदेश और देश के नाम के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के 354वें अंक में 
प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के 
बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना 
चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे 
दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के विजेता 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 की 350वीं कड़ी में हमने आपके लिए कोई भी पहेली नहीं दी थी। इस अंक और 
अगले अंक में पहेली न पूछे जाने के कारण हम पहेली का सही हल और विजेताओं 
के नाम की घोषणा नहीं कर रहे हैं। 354वें अंक से हम इस अंक की पहेली का हल और 
विजेताओं के नाम पूर्ववत प्रकाशित करेंगे। 
अपनी बात 
मित्रों,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के इस अंक में
 भी आपने पहेली के महाविजेताओं के संगीत का रसास्वादन किया। अगले अंक से हम
 एक नई श्रृंखला शुरू कर रहे हैं। इस नई श्रृंखला का शीर्षक होगा “पाँच 
स्वर के राग”। इस श्रृंखला और आगामी श्रृंखलाओं के लिए यदि आपका कोई सुझाव 
या फरमाइश हो तो हमें swargoshthi@gmail.com पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे। 
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र   
 रेडियो प्लेबैक इण्डिय



Comments