स्वरगोष्ठी – 134 में आज
रागों में भक्तिरस – 2
‘हमको मन की शक्ति देना मन विजय करें...’



राग केदार : ‘हमको मन की शक्ति देना मन विजय करें...’ : वाणी जयराम : फिल्म ‘गुड्डी’

राग केदार : ‘कान्हा रे नन्दनन्दन...’ : उस्ताद राशिद खाँ
आज की पहेली
‘स्वरगोष्ठी’ के 134वें अंक की पहेली में आज हम आपको तंत्रवाद्य पर प्रस्तुत एक रचना का अंश सुनवा रहे है। इसे सुन कर आपको दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। 140वें अंक की समाप्ति तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस श्रृंखला (सेगमेंट) का विजेता घोषित किया जाएगा।
1 – तंत्रवाद्य पर प्रस्तुत यह रचना किस राग में निबद्ध है?
2 – संगीत की इस रचना में किस ताल का प्रयोग किया गया है?
आप अपने उत्तर केवल radioplaybackindia@live.com या swargoshthi@gmail.com पर ही शनिवार मध्यरात्रि तक भेजें। comments में दिये गए उत्तर मान्य नहीं होंगे। विजेता का नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 136वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए comments के माध्यम से अथवा radioplaybackindia@live.com या swargoshthi@gmail.com पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’ के 132वें अंक की पहेली में हमने आपको विदुषी परवीन सुल्ताना के स्वरों में एक सादरा का अंश सुनवा कर आपसे दो प्रश्न पूछे थे। पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग भैरवी और दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- ताल झपताल। एक बार फिर दोनों प्रश्नो के सही उत्तर जबलपुर से क्षिति तिवारी, लखनऊ से प्रकाश गोविन्द और जौनपुर के डॉ. पी.के. त्रिपाठी ने दिया है। तीनों प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।
झरोखा अगले अंक का
मित्रों, ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के
साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’
का यह दूसरा अंक था, जिसमें आपने राग केदार के भक्ति पक्ष का रसास्वादन
किया। आगामी अंक में हम एक और भक्तिरस प्रधान राग में गूँथी रचनाएँ लेकर
उपस्थित होंगे। अगले अंक में इस लघु श्रृंखला की तीसरी कड़ी के साथ रविवार
को प्रातः 9 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर आप सभी संगीत-रसिकों की
प्रतीक्षा करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
Comments
वाह, बहुत सुंदर!
नयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी