पंछी जा पीछे रहा बचपन मेरा....एक कोशिश ओल्ड इस गोल्ड की अमर गायिका सुर्रैया की यादों को ताज़ा करने की
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 581/2010/281
नमस्कार! 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों नमस्कार! आज ३० जनवरी, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का शहीदी दिवस है। आज के इस दिन का हम शहीदी दिवस के रूप में पालन करते हैं। 'आवाज़' परिवार की तरफ़ से हम श्रद्धांजली अर्पित करते हैं इस मातृभूमि पर अपने प्राण न्योचावर करने वाले हर जाँबाज़ वीर को। आज से 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर न केवल एक नई सप्ताह का आग़ाज़ हो रहा है, बल्कि आज से एक नई लघु शृंखला भी शुरु हो रही है। हिंदी फ़िल्मों के पहले और दूसरे दौर में गायक-अभिनेताओं का रिवाज़ हुआ करता था। बहुत से ऐसे सिंगिंग स्टार्स हुए हैं जो न केवल अपने अभिनय से बल्कि अपने गायन से भी पूरी दुनिया पर छा गये। ऐसी ही एक गायिका-अभिनेत्री जिन्होंने जनसाधारण के दिलों पर राज किया, अपने सौंदर्य और सुरीली आवाज़ से लोगों के मनमोर को मतवाला बनाया, जिनके नैनों ने लोगों के छोटे छोटे जिया को चोरी किया, और जिनके गाये गीतों को सुनकर लोगों ने भी स्वीकारा कि उनकी गायकी में एक उम्र तक असर होनेवाली बात है। जी हाँ, हम उसी गायिका अभिनेत्री की बात कर रहे हैं जो ३१ जनवरी २००४ को हमसे जिस्मानी तौर पर हमेशा के लिए जुदा हो गईं। हम बात कर रहे हैं फ़िल्म जगत की सुप्रसिद्ध गायिका-अभिनेत्री सुरैया की। आज से अगले दस अंकों में सुनिए सुरैया के गाये दस यादगार, लाजवाब गीत हमारी नई लघु शृंखला 'तेरा ख़याल दिल से भुलाया ना जाएगा' में। अभिनय और गायन से सुरैया ने युं तो बरसों बरस पहले ही किनारा कर लिया था, लेकिन उनके चाहनेवालों ने उनसे कभी किनारा नहीं किया। युं तो गायन की दुनिया में कई आवाज़ें गूँजती रही हैं और गूँजती रहेंगी, पर सुरैया के गीतों की, उनकी आवाज़ की बात ही कुछ और थी। वो ज़माना जो कभी उनके गाये गीतों पर झूमा करता था, आज उसकी आँखें सुरों की इस मल्लिका की स्मृतिय़ों से भरी हुईं हैं। गुज़रे ज़माने के लगभग सभी दिग्गज संगीतकारों के निर्देशन में सुरैया ने एक से बढ़कर एक गीत गाये हैं, जो आज फ़िल्म संगीत की अनमोल धरोहर बन चुके हैं। दोस्तों, इस शृंखला की शुरुआत हम जिस गीत से करने जा रहे हैं, वह है फ़िल्म 'शारदा' से - जिसमें सुरैया ने सबसे पहला गीत गाया था। गीत के बोल है "पंछी जा, पीछे रहा है बचपन मेरा"। नौशाद का संगीत और डी.एन. मधोक के बोल।
१९४२ में निर्देशक ए. आर. कारदार ने बम्बई में कारदार स्टुडियोज़ की शुरुआत की और पहली फ़िल्म 'शारदा' बनाई जिसके मुख्य कलाकार थे उल्हास और महताब। नौशाद अली भी इसी फ़िल्म से सबकी नज़र में आये और इसी फ़िल्म ने इस इण्डस्ट्री को दिया एक सिंगिंग-स्टार, सुरैया। १३ वर्षीय सुरैया ने इस फ़िल्म में अभिनेत्री महताब के लिए प्लेबैक किया था और गीत था "पंछी जा", जो आज हम सुनने जा रहे हैं। इस गीत को ख़ूब लोकप्रियता मिली थी। सुरैया का जन्म १५ जून १९२९ को लाहोर में हुआ था। उन्हें शिक्षा बम्बई के 'न्यु हाइ स्कूल फ़ॊर गर्ल्स' में हुई। साथ ही साथ घर पर उन्हें फारसी की शिक्षा दी जा रही थी। उनकी फारसी साहित्य और क़ुरान में गहरी रुचि और ज्ञान ने उनकी शख्सियत पर गहरा प्रभाव डाला। १९३७ से ही वे फ़िल्मों में बतौर बालकलाकार काम करने लगी थीं और साथ ही साथ पढ़ाई भी कर रही थीं। और इसी दौरान वे 'ऒल इण्डिया रेडियो' में मदन मोहन, शम्मी कपूर और राज कपूर के साथ बच्चों के लिए कार्यक्रम प्रस्तुत किया करती थीं। इसके बारे में हम इस शृंखला में आगे चलकर आपको विस्तार से बताएँगे। फिलहाल इतना बता दें कि बतौर बाल कलाकार सुरैया ने जिन फ़िल्मों में अभिनय किया, उनमें शमिल हैं - 'उसने क्या सोचा' (१९३७), 'मदर इण्डिया' (१९३८), 'सन ऒफ़ अलादिन' (१९३९), 'अबला' (१९४१), 'ताज महल' (१९४१), 'स्टेशन मास्टर' (१९४२) और 'तमन्ना' (१९४२)। आइए आज १९७१ में रेकॊर्ड किया हुआ विविध भारती के 'विशेष जयमाला' कार्यक्रम का एक अंश यहाँ पढ़ते हैं जिसमें सुरैया बता रही हैं उनके शुरुआती दिनों के बारे में। "जब भी मुझे कुछ कहने का मौका मिलता है तो यादों का एक तूफ़ान उमड़ आता है और मैं उसकी ऊँची-नीची लहरों में खो सी जाती हूँ। इस वक़्त भी यही हालत है, हाँ, याद आया जब मेरी पहली फ़िल्म 'स्टेशन मास्टर' बन रही थी तो नौशाद साहब ने मुझसे एक बच्चों का गीत गवाया था। उस फ़िल्म में भी मैंने एक बच्चे का ही रोल किया था। जब लोगों ने यह गीत सुना और पसंद किया तो फ़िल्म 'शारदा' की हीरोइन महताब के लिए नौशाद साहब ने एक और गीत रेकॊर्ड करवाया, जिसके बोल थे "पंछी जा"। रेकोडिंग् के वक़्त महताब ने देखा कि एक छोटी सी बच्ची स्टूल पर खड़ी होकर उनके लिए गा रही है तो वो बड़ी नाराज़ हुई, मुझ पर नहीं, फ़िल्म बनाने वालों पर। और जब यह गाना हिट हुआ तो उनकी नाराज़गी दूर हो गई और फिर मैंने उनके कई गीत गाये"। तो दोस्तों, इन तमाम यादों के बाद, आइए अब उस गुज़रे ज़माने के इस भूले-बिसरे गीत की यादें ताज़ा करते हैं, सुरैया की कम्सिन आवाज़ में फ़िल्म 'शारदा' से।
क्या आप जानते हैं...
कि फ़िल्म 'शारदा' के इस "पंछी जा" गीत में नौशाद ने मटके के रिदम का प्रयोग कर एक नई बात पैदा कर दी थी फ़िल्म संगीत जगत में।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 01/शृंखला 09
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - १९४९ में आई थी ये फिल्म.
सवाल १ - गीतकार बताएं - २ अंक
सवाल २ - संगीतकार बताएं - १ अंक
सवाल ३ - फिल्म का नाम क्या है - १ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
दो श्रृंखलाओं पर काबिज हो चुके अमित तिवारी जी ने एक बार फिर शानदार शुरूआत की है, अंजाना जी और रोमेंद्र जी भी सही जवाब के साथ हाज़िर हुए...बधाई
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
नमस्कार! 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों नमस्कार! आज ३० जनवरी, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का शहीदी दिवस है। आज के इस दिन का हम शहीदी दिवस के रूप में पालन करते हैं। 'आवाज़' परिवार की तरफ़ से हम श्रद्धांजली अर्पित करते हैं इस मातृभूमि पर अपने प्राण न्योचावर करने वाले हर जाँबाज़ वीर को। आज से 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर न केवल एक नई सप्ताह का आग़ाज़ हो रहा है, बल्कि आज से एक नई लघु शृंखला भी शुरु हो रही है। हिंदी फ़िल्मों के पहले और दूसरे दौर में गायक-अभिनेताओं का रिवाज़ हुआ करता था। बहुत से ऐसे सिंगिंग स्टार्स हुए हैं जो न केवल अपने अभिनय से बल्कि अपने गायन से भी पूरी दुनिया पर छा गये। ऐसी ही एक गायिका-अभिनेत्री जिन्होंने जनसाधारण के दिलों पर राज किया, अपने सौंदर्य और सुरीली आवाज़ से लोगों के मनमोर को मतवाला बनाया, जिनके नैनों ने लोगों के छोटे छोटे जिया को चोरी किया, और जिनके गाये गीतों को सुनकर लोगों ने भी स्वीकारा कि उनकी गायकी में एक उम्र तक असर होनेवाली बात है। जी हाँ, हम उसी गायिका अभिनेत्री की बात कर रहे हैं जो ३१ जनवरी २००४ को हमसे जिस्मानी तौर पर हमेशा के लिए जुदा हो गईं। हम बात कर रहे हैं फ़िल्म जगत की सुप्रसिद्ध गायिका-अभिनेत्री सुरैया की। आज से अगले दस अंकों में सुनिए सुरैया के गाये दस यादगार, लाजवाब गीत हमारी नई लघु शृंखला 'तेरा ख़याल दिल से भुलाया ना जाएगा' में। अभिनय और गायन से सुरैया ने युं तो बरसों बरस पहले ही किनारा कर लिया था, लेकिन उनके चाहनेवालों ने उनसे कभी किनारा नहीं किया। युं तो गायन की दुनिया में कई आवाज़ें गूँजती रही हैं और गूँजती रहेंगी, पर सुरैया के गीतों की, उनकी आवाज़ की बात ही कुछ और थी। वो ज़माना जो कभी उनके गाये गीतों पर झूमा करता था, आज उसकी आँखें सुरों की इस मल्लिका की स्मृतिय़ों से भरी हुईं हैं। गुज़रे ज़माने के लगभग सभी दिग्गज संगीतकारों के निर्देशन में सुरैया ने एक से बढ़कर एक गीत गाये हैं, जो आज फ़िल्म संगीत की अनमोल धरोहर बन चुके हैं। दोस्तों, इस शृंखला की शुरुआत हम जिस गीत से करने जा रहे हैं, वह है फ़िल्म 'शारदा' से - जिसमें सुरैया ने सबसे पहला गीत गाया था। गीत के बोल है "पंछी जा, पीछे रहा है बचपन मेरा"। नौशाद का संगीत और डी.एन. मधोक के बोल।
१९४२ में निर्देशक ए. आर. कारदार ने बम्बई में कारदार स्टुडियोज़ की शुरुआत की और पहली फ़िल्म 'शारदा' बनाई जिसके मुख्य कलाकार थे उल्हास और महताब। नौशाद अली भी इसी फ़िल्म से सबकी नज़र में आये और इसी फ़िल्म ने इस इण्डस्ट्री को दिया एक सिंगिंग-स्टार, सुरैया। १३ वर्षीय सुरैया ने इस फ़िल्म में अभिनेत्री महताब के लिए प्लेबैक किया था और गीत था "पंछी जा", जो आज हम सुनने जा रहे हैं। इस गीत को ख़ूब लोकप्रियता मिली थी। सुरैया का जन्म १५ जून १९२९ को लाहोर में हुआ था। उन्हें शिक्षा बम्बई के 'न्यु हाइ स्कूल फ़ॊर गर्ल्स' में हुई। साथ ही साथ घर पर उन्हें फारसी की शिक्षा दी जा रही थी। उनकी फारसी साहित्य और क़ुरान में गहरी रुचि और ज्ञान ने उनकी शख्सियत पर गहरा प्रभाव डाला। १९३७ से ही वे फ़िल्मों में बतौर बालकलाकार काम करने लगी थीं और साथ ही साथ पढ़ाई भी कर रही थीं। और इसी दौरान वे 'ऒल इण्डिया रेडियो' में मदन मोहन, शम्मी कपूर और राज कपूर के साथ बच्चों के लिए कार्यक्रम प्रस्तुत किया करती थीं। इसके बारे में हम इस शृंखला में आगे चलकर आपको विस्तार से बताएँगे। फिलहाल इतना बता दें कि बतौर बाल कलाकार सुरैया ने जिन फ़िल्मों में अभिनय किया, उनमें शमिल हैं - 'उसने क्या सोचा' (१९३७), 'मदर इण्डिया' (१९३८), 'सन ऒफ़ अलादिन' (१९३९), 'अबला' (१९४१), 'ताज महल' (१९४१), 'स्टेशन मास्टर' (१९४२) और 'तमन्ना' (१९४२)। आइए आज १९७१ में रेकॊर्ड किया हुआ विविध भारती के 'विशेष जयमाला' कार्यक्रम का एक अंश यहाँ पढ़ते हैं जिसमें सुरैया बता रही हैं उनके शुरुआती दिनों के बारे में। "जब भी मुझे कुछ कहने का मौका मिलता है तो यादों का एक तूफ़ान उमड़ आता है और मैं उसकी ऊँची-नीची लहरों में खो सी जाती हूँ। इस वक़्त भी यही हालत है, हाँ, याद आया जब मेरी पहली फ़िल्म 'स्टेशन मास्टर' बन रही थी तो नौशाद साहब ने मुझसे एक बच्चों का गीत गवाया था। उस फ़िल्म में भी मैंने एक बच्चे का ही रोल किया था। जब लोगों ने यह गीत सुना और पसंद किया तो फ़िल्म 'शारदा' की हीरोइन महताब के लिए नौशाद साहब ने एक और गीत रेकॊर्ड करवाया, जिसके बोल थे "पंछी जा"। रेकोडिंग् के वक़्त महताब ने देखा कि एक छोटी सी बच्ची स्टूल पर खड़ी होकर उनके लिए गा रही है तो वो बड़ी नाराज़ हुई, मुझ पर नहीं, फ़िल्म बनाने वालों पर। और जब यह गाना हिट हुआ तो उनकी नाराज़गी दूर हो गई और फिर मैंने उनके कई गीत गाये"। तो दोस्तों, इन तमाम यादों के बाद, आइए अब उस गुज़रे ज़माने के इस भूले-बिसरे गीत की यादें ताज़ा करते हैं, सुरैया की कम्सिन आवाज़ में फ़िल्म 'शारदा' से।
क्या आप जानते हैं...
कि फ़िल्म 'शारदा' के इस "पंछी जा" गीत में नौशाद ने मटके के रिदम का प्रयोग कर एक नई बात पैदा कर दी थी फ़िल्म संगीत जगत में।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 01/शृंखला 09
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - १९४९ में आई थी ये फिल्म.
सवाल १ - गीतकार बताएं - २ अंक
सवाल २ - संगीतकार बताएं - १ अंक
सवाल ३ - फिल्म का नाम क्या है - १ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
दो श्रृंखलाओं पर काबिज हो चुके अमित तिवारी जी ने एक बार फिर शानदार शुरूआत की है, अंजाना जी और रोमेंद्र जी भी सही जवाब के साथ हाज़िर हुए...बधाई
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
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