एक प्यार का नगमा है.....संगीतकार जोड़ी एल पी के विशाल संगीत खजाने को, दशकों दशकों तक फैले संगीत सफर को सलाम करता एक गीत
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 510/2010/210
"मैं एक गाना बोलता हूँ आपको जो मुझे बहुत पसंद है, और सब से बड़ी ख़ुशी मुझे इसलिए है कि वह ट्युन लक्ष्मी जी ने ख़ुद बनायी हुई है। मतलब कम्प्लीट सोच उनकी है, वह गीत है "एक प्यार का नग़मा है"। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों नमस्कार, 'एक प्यार का नग़मा है' शृंखला की अंतिम कड़ी में आपका बहुत बहुत स्वागत है। प्यारेलाल जी के कहे इन शब्दों को हम आगे बढ़ाएँगे, लेकिन उससे पहले हमारे तमाम नये दोस्तों के लिए यह बता दें कि इन दिनों आप 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर सुन रहे हैं सगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के स्वरबद्ध गीतों से सजी यह लघु शृंखला और आज इस शृंखला को हम अंजाम दे रहे हैं इस दिल को छू लेने वाले युगल गीत के ज़रिये। फ़िल्म 'शोर' का यह सदाबहार गीत है लता और मुकेश की आवाज़ों में जिसमें है यमन और बिलावल का स्पर्श। इस गीत को मनोज कुमार और नंदा पर बड़ी ही कलात्मक्ता से फ़िल्मांकन किया गया है। आनंद बक्शी, राजेन्द्र कृष्ण, भरत व्यास, राजा मेहंदी अली ख़ान, और मजरूह सुल्तानपुरी के बाद आज बारी गीतकार संतोष आनंद की। मनोज कुमार की कई फ़िल्मों में इन्होंने गीत लिखे और 'रोटी कपड़ा और मकान' के गीत "मैं ना भूलूँगा" के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड भी मिला था। आइए अब प्यारेलाल जी की बातों को आगे बढ़ाया जाए। "इस गीत में क्या है कि यह जो इंटरनैशनल म्युज़िक होता है, इसमें वह ख़ुशबू है, इटरनैशनल अपील है। समझे ना आप! तो ये जो ख़ुशबू है यह पूरी में महक सकती है, ऐसी सुगंध है जो सब पसंद करेंगे। लक्ष्मी जी, नहीं हम साथ साथ में ही हैं, लेकिन कभी कभी मैं सोचता हूँ, तो बैठ के मैं यह सोचता हूँ कि "एक प्यार का नग़मा है, मौजों की रवानी है, ज़िंदगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है"। तो लक्ष्मी जी और मेरे बीच में एक बात है, जो आज बहुत फ़ील होता है और आइ लव दिस ट्युन, इट्स माइ फ़ेवरीट, और यह और ज़्यादा फ़ेवरीट है क्योंकि यह कम्प्लीट सॊंग् इस मेड बाइ लक्ष्मी जी, यह मुझे बहुत ख़ुशी होती है बोलते हुए।"
दोस्तों, प्यारेलाल जी की ये बातें विविध भारती के उसी 'उजाले उनकी यादों के' कार्यक्रम से हमने बटोरी है। यहीं पर इस गीत की चर्चा ख़त्म नहीं होती है। दरअसल यह गीत एल.पी के करीयर का एक इतना अहम गीत रहा है कि इसकी चर्चा इतने में समाप्त हो ही नहीं सकती। आइए उसी इंटरव्यु का एक और अंश यहाँ प्रस्तुत किया जाये जिसमें भी इस गीत का ज़िक्र हो आया था।
कमल शर्मा: प्यारे जी, ऐसा मौका आया कभी कि साज़िंदे को लेकर किसी डिरेक्टर ने, प्रोड्युसर ने कहा हो कि इनको पैसा बहुत ज़्यादा दे रहे हो, क्या इनका काम है? लेकिन उसकी अहमीयत आपको पता है कि वो आरटिस्ट क्या कमाल कर सकता है।
प्यारेलाल: यहाँ पर देखिए, संगीत ऐसी चीज़ है जिसकी कोई कीमत नहीं है, जो आप जानते भी हैं, फिर भी मैं बोल दूँ आपको कि संगीत जो है इसको बेचा नहीं जा सकता, इस पे पैसे नहीं कमाते, लेकिन आज टाइम आ गया है, आज क्या फिर शुरु हो गया है लेकिन हमेशा मैं तो यह सोचता हूँ कि एक आरटिस्ट, अगर वो एक पीस भी बजा दे, एक लाइन भी गा दे, उसकी जो कीमत है, वह हम नहीं दे सकते। हर एक गाने का अपना एक रूप होता है, तो साज़िंदे जितने होते हैं, जो रीयल आरटिस्ट होते हैं, जैसे हमारे साथ, हमने साथ में काम किया, हरि जी हैं, सुमंत जी हैं फ़्ल्युट के अंदर, और शिव जी हैं, जो आज बड़े बड़े नाम हैं, और हमारे जो अच्छे म्युज़िशियन्स हैं फ़िल्म के, जो फ़िल्म मे ही रह गये, बाहर नहीं गये वो लोग, इनसे क्या होता था कि बहुत समझ के बजाते थे वो लोग, जैसे आपको याद होगा "एक प्यार का नग़मा है", उसमें देखिये जो वायलिन बजाया है, उनका नाम है जयी फ़रनन्डेज़, उन्होंने बजाया है। देखिये, वॊयस और वायलिन का लगता है एक संगम हो रहा है, दोनों, 'इन्स्ट्रुमेण्ट और वॊयस, तो ये चीज़ बहुत काम करती है।
दोस्तों, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के रचे गीतों का आकाश इतना विराट है कि इस छोटी सी शृंखला में उनके संगीत के वयविद्ध को समेट पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। फिर भी हमने कोशिश की कि इस सुरीले महासागर से १० बेमिसाल मोतियाँ चुन कर आपके लिए एक गीत-माला में पिरोया जाये। यह सुरीला हार आपको कैसा लगा हमें ज़रूर लिखिएगा oig@hindyugm.com के पते पर। चलते चलते बस यही कहेंगे कि एल.पी की यात्रा बेशक कुछ दशकों की है, लेकिन उनका संगीत युग युगांतर तक गूजता रहेगा इस धरती पर, बरसता रहेगा सुरीली बारिश के रूप में। लक्ष्मीकांत जी को 'आवाज़' परिवार की ओर से श्रद्धा सुमन, और प्यारेलाल जी के लिए ईश्वर से यही कामना कि उन्हें दीर्घायु करें, उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें। अब इसी के साथ 'एक प्यार का नग़मा है' शृंखला को समाप्त करने की दीजिए हमें इजाज़त, और आप सुनिए फ़िल्म 'शोर' का यह सदाबहार नग़मा, और सलाम कीजिए लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की सुर साधना को। नमस्कार!
क्या आप जानते हैं...
कि 'शोर' के लिए मनोज कुमार ने अपने पसंदीदा संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी से कुछ मनमुटाव के कारण लक्ष्मी-प्यारे को चुना। और एल.पी ने ऐसा समा बांधा कि अपने आप को मनोज कुमार कैम्प में स्थापित कर लिया।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली ०१ /शृंखला ०२
ये पंक्तियाँ सुनिए गीत की -
अतिरिक्त सूत्र - गायक का साथ दिया है अमीरबाई कर्नाटकी ने इस युगल गीत में
सवाल १ - गायक बताएं - १ अंक
सवाल २ - मुखड़े की पहली पंक्ति बताएं - १ अंक
सवाल ३ - फिल्म का नाम बताएं - २ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
पहली बाज़ी श्याम कान्त जी के नाम रही...बधाई. अमित जी, बिट्टू जी, शरद जी सभी ने बढ़िया खेला...अगली श्रृंखला के लिए शुभकामनाएं
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
"मैं एक गाना बोलता हूँ आपको जो मुझे बहुत पसंद है, और सब से बड़ी ख़ुशी मुझे इसलिए है कि वह ट्युन लक्ष्मी जी ने ख़ुद बनायी हुई है। मतलब कम्प्लीट सोच उनकी है, वह गीत है "एक प्यार का नग़मा है"। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों नमस्कार, 'एक प्यार का नग़मा है' शृंखला की अंतिम कड़ी में आपका बहुत बहुत स्वागत है। प्यारेलाल जी के कहे इन शब्दों को हम आगे बढ़ाएँगे, लेकिन उससे पहले हमारे तमाम नये दोस्तों के लिए यह बता दें कि इन दिनों आप 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर सुन रहे हैं सगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के स्वरबद्ध गीतों से सजी यह लघु शृंखला और आज इस शृंखला को हम अंजाम दे रहे हैं इस दिल को छू लेने वाले युगल गीत के ज़रिये। फ़िल्म 'शोर' का यह सदाबहार गीत है लता और मुकेश की आवाज़ों में जिसमें है यमन और बिलावल का स्पर्श। इस गीत को मनोज कुमार और नंदा पर बड़ी ही कलात्मक्ता से फ़िल्मांकन किया गया है। आनंद बक्शी, राजेन्द्र कृष्ण, भरत व्यास, राजा मेहंदी अली ख़ान, और मजरूह सुल्तानपुरी के बाद आज बारी गीतकार संतोष आनंद की। मनोज कुमार की कई फ़िल्मों में इन्होंने गीत लिखे और 'रोटी कपड़ा और मकान' के गीत "मैं ना भूलूँगा" के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड भी मिला था। आइए अब प्यारेलाल जी की बातों को आगे बढ़ाया जाए। "इस गीत में क्या है कि यह जो इंटरनैशनल म्युज़िक होता है, इसमें वह ख़ुशबू है, इटरनैशनल अपील है। समझे ना आप! तो ये जो ख़ुशबू है यह पूरी में महक सकती है, ऐसी सुगंध है जो सब पसंद करेंगे। लक्ष्मी जी, नहीं हम साथ साथ में ही हैं, लेकिन कभी कभी मैं सोचता हूँ, तो बैठ के मैं यह सोचता हूँ कि "एक प्यार का नग़मा है, मौजों की रवानी है, ज़िंदगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है"। तो लक्ष्मी जी और मेरे बीच में एक बात है, जो आज बहुत फ़ील होता है और आइ लव दिस ट्युन, इट्स माइ फ़ेवरीट, और यह और ज़्यादा फ़ेवरीट है क्योंकि यह कम्प्लीट सॊंग् इस मेड बाइ लक्ष्मी जी, यह मुझे बहुत ख़ुशी होती है बोलते हुए।"
दोस्तों, प्यारेलाल जी की ये बातें विविध भारती के उसी 'उजाले उनकी यादों के' कार्यक्रम से हमने बटोरी है। यहीं पर इस गीत की चर्चा ख़त्म नहीं होती है। दरअसल यह गीत एल.पी के करीयर का एक इतना अहम गीत रहा है कि इसकी चर्चा इतने में समाप्त हो ही नहीं सकती। आइए उसी इंटरव्यु का एक और अंश यहाँ प्रस्तुत किया जाये जिसमें भी इस गीत का ज़िक्र हो आया था।
कमल शर्मा: प्यारे जी, ऐसा मौका आया कभी कि साज़िंदे को लेकर किसी डिरेक्टर ने, प्रोड्युसर ने कहा हो कि इनको पैसा बहुत ज़्यादा दे रहे हो, क्या इनका काम है? लेकिन उसकी अहमीयत आपको पता है कि वो आरटिस्ट क्या कमाल कर सकता है।
प्यारेलाल: यहाँ पर देखिए, संगीत ऐसी चीज़ है जिसकी कोई कीमत नहीं है, जो आप जानते भी हैं, फिर भी मैं बोल दूँ आपको कि संगीत जो है इसको बेचा नहीं जा सकता, इस पे पैसे नहीं कमाते, लेकिन आज टाइम आ गया है, आज क्या फिर शुरु हो गया है लेकिन हमेशा मैं तो यह सोचता हूँ कि एक आरटिस्ट, अगर वो एक पीस भी बजा दे, एक लाइन भी गा दे, उसकी जो कीमत है, वह हम नहीं दे सकते। हर एक गाने का अपना एक रूप होता है, तो साज़िंदे जितने होते हैं, जो रीयल आरटिस्ट होते हैं, जैसे हमारे साथ, हमने साथ में काम किया, हरि जी हैं, सुमंत जी हैं फ़्ल्युट के अंदर, और शिव जी हैं, जो आज बड़े बड़े नाम हैं, और हमारे जो अच्छे म्युज़िशियन्स हैं फ़िल्म के, जो फ़िल्म मे ही रह गये, बाहर नहीं गये वो लोग, इनसे क्या होता था कि बहुत समझ के बजाते थे वो लोग, जैसे आपको याद होगा "एक प्यार का नग़मा है", उसमें देखिये जो वायलिन बजाया है, उनका नाम है जयी फ़रनन्डेज़, उन्होंने बजाया है। देखिये, वॊयस और वायलिन का लगता है एक संगम हो रहा है, दोनों, 'इन्स्ट्रुमेण्ट और वॊयस, तो ये चीज़ बहुत काम करती है।
दोस्तों, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के रचे गीतों का आकाश इतना विराट है कि इस छोटी सी शृंखला में उनके संगीत के वयविद्ध को समेट पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। फिर भी हमने कोशिश की कि इस सुरीले महासागर से १० बेमिसाल मोतियाँ चुन कर आपके लिए एक गीत-माला में पिरोया जाये। यह सुरीला हार आपको कैसा लगा हमें ज़रूर लिखिएगा oig@hindyugm.com के पते पर। चलते चलते बस यही कहेंगे कि एल.पी की यात्रा बेशक कुछ दशकों की है, लेकिन उनका संगीत युग युगांतर तक गूजता रहेगा इस धरती पर, बरसता रहेगा सुरीली बारिश के रूप में। लक्ष्मीकांत जी को 'आवाज़' परिवार की ओर से श्रद्धा सुमन, और प्यारेलाल जी के लिए ईश्वर से यही कामना कि उन्हें दीर्घायु करें, उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें। अब इसी के साथ 'एक प्यार का नग़मा है' शृंखला को समाप्त करने की दीजिए हमें इजाज़त, और आप सुनिए फ़िल्म 'शोर' का यह सदाबहार नग़मा, और सलाम कीजिए लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की सुर साधना को। नमस्कार!
क्या आप जानते हैं...
कि 'शोर' के लिए मनोज कुमार ने अपने पसंदीदा संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी से कुछ मनमुटाव के कारण लक्ष्मी-प्यारे को चुना। और एल.पी ने ऐसा समा बांधा कि अपने आप को मनोज कुमार कैम्प में स्थापित कर लिया।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली ०१ /शृंखला ०२
ये पंक्तियाँ सुनिए गीत की -
अतिरिक्त सूत्र - गायक का साथ दिया है अमीरबाई कर्नाटकी ने इस युगल गीत में
सवाल १ - गायक बताएं - १ अंक
सवाल २ - मुखड़े की पहली पंक्ति बताएं - १ अंक
सवाल ३ - फिल्म का नाम बताएं - २ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
पहली बाज़ी श्याम कान्त जी के नाम रही...बधाई. अमित जी, बिट्टू जी, शरद जी सभी ने बढ़िया खेला...अगली श्रृंखला के लिए शुभकामनाएं
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
Comments
असल में आज कम्पनी के शेयरों में थोड़ी गिरावट आ गयी इसलिए मन नहीं लग रहा है
हालांकि प्रश्न भी काफी कठिन था , मै बता नहीं पाता !
आपसे थोडा दुःख बाँट लेता हूँ तो अकेला महसूस नहीं करता
धन्यवाद सजीव जी इस कम्पटीशन से मेरा अकेलापन दूर हो गया.
भाई आवाज से जुड़े सभी लोग अपने सुख दुःख बाँट सकते हैं ................
मै हमेशा आप के साथ हूँ...........
भाई आवाज से जुड़े सभी लोग अपने सुख दुःख बाँट सकते हैं ................
मै हमेशा आप के साथ हूँ...........
thank you Sujoy ji N Sajeev ji :)
utaar chadhaav jeevan ke abhinn ang hain, aap inse udaas mat hoiye, balki inhi ko apna saathi samjhiye, to yeh kabhi aapko udaas nahin hone denge. :)