ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 447/2010/147
विदेशी धुनों पर आधारित हिंदी फ़िल्मी गीतों की लघु शृंखला 'गीत अपना धुन पराई' इन दिनों जारी है 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर। ५० के दशक से क्लब सॊंग्स का एक ट्रेण्ड चल पड़ा था हिंदी फ़िल्मों में। यक़ीनन इन गीतों का आधार पाश्चात्य संगीत ही होना था। ऐसे में हमारे कई संगीतकारों ने इस तरह के क्लब सॊंग्स के लिए सहारा लिया विदेशी धुनों का, विदेशी गीतों का। ओ. पी. नय्यर साहब ने ५० के दशक में गीता दत्त से बहुत से ऐसे नशीले क्लब सॊंग्स गवाए और उन्ही में से एक बेहद मशूर गीत आज हम आपको सुनवाने जा रहे हैं। १९५४ की फ़िल्म 'आर पार' का वही मशहूर गीत "बाबूजी धीरे चलना, प्यार में ज़रा संभलना"। मजरूह साहब के बोल और गीता जी की नशीली आवाज़। 'आर पार' से पहले ओ.पी. नय्यर तीन फ़िल्मों में संगीत दे चुके थे - 'आसमान', 'छम छमा छम', और 'बाज़'। ये तीनों ही फ़िल्में फ़्लॊप हो जाने की वजह से इस नए संगीतकार की तरफ़ किसी ने ध्यान नहीं दिया। लेकिन जब १९५४ में 'आर पार' हिट हुई तो नय्यर साहब का यूनिक स्टाइल को लोगों ने महसूस किया और इतना पसंद किया गया कि देखते ही देखते नय्यर साहब बन गए फ़िल्म इंडस्ट्री के रीदम किंग। 'आर पार' गुरु दत्त की फ़िल्म थी। प्रभात फ़िल्म कंपनी में नृत्य निर्देशक के रूप में करीयर शुरु करने के बाद देव आनंद ने उन्हे १९५१ में अपनी फ़िल्म 'बाज़ी' निर्देशित करने का मौका। उसके बाद आई 'जाल' और 'बाज़'। १९५४ में गुरु दत्त ने अपना बैनर स्थापित किया और 'आर पार' इस बैनर की पहली फ़िल्म थी। उधर नय्यर साहब, जो अपने पहले तीन फ़िल्मों की असफलता से निराश होकर बम्बई नगरी छोड़ने का प्लान बना रहे थे, 'आर पार' की सफलता ने उनके क़दमों को रोक लिया और जिसकी वजह से हमें अगले दो दशकों तक मिलते रहे एक से एक लाजवाब गीत।
"बाबूजी धीरे चलना" की धुन जिस विदेशी धुन से प्रेरीत है वह गीत है "परहैप्स परहैप्स परहैप्स"। गीत का मुखड़ा कुछ इस तरह का है - "You won't admit you love me, And so how am I ever to know? You always tell me, Perhaps, perhaps, perhaps"। दरअसल यह एक स्पैनिश गीत है जिसके बोल हैं "Quizás, Quizás, Quizás" जिसे लिखा व स्वरबद्ध किया था क्यूबा के गीतकार ओसवाल्डो फ़ारे ने सन् १९४७ में। बाद में इसी धुन पर अंग्रेज़ी के बोल लिखे जो डेविस ने, लेकिन यह बताना ज़रूरी है कि यह स्पैनिश गीत का अनुवाद नहीं है, बल्कि सिर्फ़ उसकी धुन का इस्तेमाल किया गया है। यह धुन इतनी प्रचलित हुई कि उसके बाद बहुत सारे वर्ज़न बने जो समय समय पर रेकॊर्ड कंपनियों ने जारी भी किए। पहले दस वर्ज़नों की सूची हम यहाँ आपको दे रहे हैं (सौजन्य: विकिपीडिया):
1949: The Gordon Jenkins version, with Tony Bavaar as vocalist, was recorded on August 12, 1939 and released by Decca Records as catalog number 24720.
1958: Nat King Cole regularly performed the song with a heavy American accent. His version appeared on his 1958 album Cole Español.
1958: The Algerian Abdelhakim Garami wrote the Arabic lyrics "Chehilet laayani" inspired by the music of "Quizas quizas".
1959: Finnish singer Olavi Virta recorded this song in Spanish.
1960s: The Jamaican ska musician Prince Buster recorded the song in the 1960s as "Rude, Rude, Rudee".
1964: The Doris Day version was recorded on November 5, 1964 for Columbia Records and not released as a single, but only on albums (see Latin for Lovers). It was featured in the Australian film Strictly Ballroom in 1992.
1964: The Trini Lopez version was recorded for Reprise Records and also not released as a single; from the album entitled The Latin Album released as "RS 6125".
1965: Celia Cruz originally recorded a version of the song; later re-released on the 1994 greatest-hits album Irrepetible.
1965: The Skatalites recorded "Perhaps" on Blue Beat in 1965 for the Latin American Music Company, similar to Prince Buster's "Rude, Rude, Rudee" version of the song.
1969: Paco de Lucia recorded an instrumental flamenco version on the album Hispanoamérica.
तो चलिए, इस विदेशी धुन का आनंद लेते हैं देशी अंदाज़ में गीता दत्त की आवाज़ में। इस फ़िल्म में श्यामा और शकीला ने अभिनय किया था गुरु दत्त के साथ, यह गीत फ़िल्माया गया था शकीला पर। सुनते हैं...
क्या आप जानते हैं...
कि अभी इसी साल यानी २०१० में इस गीत का एक अरबी वर्ज़न निकला है जिसे ईजीप्शियन सिंगर रूला ज़ाकी ने गाया है अपने ऐल्बम "ज़िक्रायती' में और जिसके बोल हैं "अहवक अहवक अहवक"।
पहेली प्रतियोगिता- अंदाज़ा लगाइए कि कल 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर कौन सा गीत बजेगा निम्नलिखित चार सूत्रों के ज़रिए। लेकिन याद रहे एक आई डी से आप केवल एक ही प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। जिस श्रोता के सबसे पहले १०० अंक पूरे होंगें उस के लिए होगा एक खास तोहफा :)
१. Ciao, ciao bambina से प्रेरित है ये गीत, गायक बताएं - २ अंक.
२. संगीतकार जोड़ी कौन सी है - ३ अंक.
३. ग्रेट शो मैन की इस कामियाब फिल्म का नाम बताएं - १ अंक.
४. गीतकार कौन है इस राष्ट्प्रेम की बात करने वाले गीत के - २ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
बहुत बढ़िया अवध जी, ३ शानदार अंक आपके खाते में आये, शरद जी २ अंकों से सुन्तुष्ठ होना पड़ेगा आज आपको, पवन कुमार जी आप तनिक लेट हो गए, रोमेंद्र बहुत दिनों बाद आपको देखकर अच्छा लगा, बधाई
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
विदेशी धुनों पर आधारित हिंदी फ़िल्मी गीतों की लघु शृंखला 'गीत अपना धुन पराई' इन दिनों जारी है 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर। ५० के दशक से क्लब सॊंग्स का एक ट्रेण्ड चल पड़ा था हिंदी फ़िल्मों में। यक़ीनन इन गीतों का आधार पाश्चात्य संगीत ही होना था। ऐसे में हमारे कई संगीतकारों ने इस तरह के क्लब सॊंग्स के लिए सहारा लिया विदेशी धुनों का, विदेशी गीतों का। ओ. पी. नय्यर साहब ने ५० के दशक में गीता दत्त से बहुत से ऐसे नशीले क्लब सॊंग्स गवाए और उन्ही में से एक बेहद मशूर गीत आज हम आपको सुनवाने जा रहे हैं। १९५४ की फ़िल्म 'आर पार' का वही मशहूर गीत "बाबूजी धीरे चलना, प्यार में ज़रा संभलना"। मजरूह साहब के बोल और गीता जी की नशीली आवाज़। 'आर पार' से पहले ओ.पी. नय्यर तीन फ़िल्मों में संगीत दे चुके थे - 'आसमान', 'छम छमा छम', और 'बाज़'। ये तीनों ही फ़िल्में फ़्लॊप हो जाने की वजह से इस नए संगीतकार की तरफ़ किसी ने ध्यान नहीं दिया। लेकिन जब १९५४ में 'आर पार' हिट हुई तो नय्यर साहब का यूनिक स्टाइल को लोगों ने महसूस किया और इतना पसंद किया गया कि देखते ही देखते नय्यर साहब बन गए फ़िल्म इंडस्ट्री के रीदम किंग। 'आर पार' गुरु दत्त की फ़िल्म थी। प्रभात फ़िल्म कंपनी में नृत्य निर्देशक के रूप में करीयर शुरु करने के बाद देव आनंद ने उन्हे १९५१ में अपनी फ़िल्म 'बाज़ी' निर्देशित करने का मौका। उसके बाद आई 'जाल' और 'बाज़'। १९५४ में गुरु दत्त ने अपना बैनर स्थापित किया और 'आर पार' इस बैनर की पहली फ़िल्म थी। उधर नय्यर साहब, जो अपने पहले तीन फ़िल्मों की असफलता से निराश होकर बम्बई नगरी छोड़ने का प्लान बना रहे थे, 'आर पार' की सफलता ने उनके क़दमों को रोक लिया और जिसकी वजह से हमें अगले दो दशकों तक मिलते रहे एक से एक लाजवाब गीत।
"बाबूजी धीरे चलना" की धुन जिस विदेशी धुन से प्रेरीत है वह गीत है "परहैप्स परहैप्स परहैप्स"। गीत का मुखड़ा कुछ इस तरह का है - "You won't admit you love me, And so how am I ever to know? You always tell me, Perhaps, perhaps, perhaps"। दरअसल यह एक स्पैनिश गीत है जिसके बोल हैं "Quizás, Quizás, Quizás" जिसे लिखा व स्वरबद्ध किया था क्यूबा के गीतकार ओसवाल्डो फ़ारे ने सन् १९४७ में। बाद में इसी धुन पर अंग्रेज़ी के बोल लिखे जो डेविस ने, लेकिन यह बताना ज़रूरी है कि यह स्पैनिश गीत का अनुवाद नहीं है, बल्कि सिर्फ़ उसकी धुन का इस्तेमाल किया गया है। यह धुन इतनी प्रचलित हुई कि उसके बाद बहुत सारे वर्ज़न बने जो समय समय पर रेकॊर्ड कंपनियों ने जारी भी किए। पहले दस वर्ज़नों की सूची हम यहाँ आपको दे रहे हैं (सौजन्य: विकिपीडिया):
1949: The Gordon Jenkins version, with Tony Bavaar as vocalist, was recorded on August 12, 1939 and released by Decca Records as catalog number 24720.
1958: Nat King Cole regularly performed the song with a heavy American accent. His version appeared on his 1958 album Cole Español.
1958: The Algerian Abdelhakim Garami wrote the Arabic lyrics "Chehilet laayani" inspired by the music of "Quizas quizas".
1959: Finnish singer Olavi Virta recorded this song in Spanish.
1960s: The Jamaican ska musician Prince Buster recorded the song in the 1960s as "Rude, Rude, Rudee".
1964: The Doris Day version was recorded on November 5, 1964 for Columbia Records and not released as a single, but only on albums (see Latin for Lovers). It was featured in the Australian film Strictly Ballroom in 1992.
1964: The Trini Lopez version was recorded for Reprise Records and also not released as a single; from the album entitled The Latin Album released as "RS 6125".
1965: Celia Cruz originally recorded a version of the song; later re-released on the 1994 greatest-hits album Irrepetible.
1965: The Skatalites recorded "Perhaps" on Blue Beat in 1965 for the Latin American Music Company, similar to Prince Buster's "Rude, Rude, Rudee" version of the song.
1969: Paco de Lucia recorded an instrumental flamenco version on the album Hispanoamérica.
तो चलिए, इस विदेशी धुन का आनंद लेते हैं देशी अंदाज़ में गीता दत्त की आवाज़ में। इस फ़िल्म में श्यामा और शकीला ने अभिनय किया था गुरु दत्त के साथ, यह गीत फ़िल्माया गया था शकीला पर। सुनते हैं...
क्या आप जानते हैं...
कि अभी इसी साल यानी २०१० में इस गीत का एक अरबी वर्ज़न निकला है जिसे ईजीप्शियन सिंगर रूला ज़ाकी ने गाया है अपने ऐल्बम "ज़िक्रायती' में और जिसके बोल हैं "अहवक अहवक अहवक"।
पहेली प्रतियोगिता- अंदाज़ा लगाइए कि कल 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर कौन सा गीत बजेगा निम्नलिखित चार सूत्रों के ज़रिए। लेकिन याद रहे एक आई डी से आप केवल एक ही प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। जिस श्रोता के सबसे पहले १०० अंक पूरे होंगें उस के लिए होगा एक खास तोहफा :)
१. Ciao, ciao bambina से प्रेरित है ये गीत, गायक बताएं - २ अंक.
२. संगीतकार जोड़ी कौन सी है - ३ अंक.
३. ग्रेट शो मैन की इस कामियाब फिल्म का नाम बताएं - १ अंक.
४. गीतकार कौन है इस राष्ट्प्रेम की बात करने वाले गीत के - २ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
बहुत बढ़िया अवध जी, ३ शानदार अंक आपके खाते में आये, शरद जी २ अंकों से सुन्तुष्ठ होना पड़ेगा आज आपको, पवन कुमार जी आप तनिक लेट हो गए, रोमेंद्र बहुत दिनों बाद आपको देखकर अच्छा लगा, बधाई
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
Comments
अवध लाल
PAWAN KUMAR
Kish...
Ottawa, Canada
'जिस देश में गंगा बहती है'
के मेरे पसंदीदा गाने 'आ अब लौट चले की तो बात नही कर रहे.जिसमे लताजी के आलाप 'आजा रे आ जा' जबर्दस्त और मर्मस्पर्शी आलाप लगाया था और प्राण साहब (किरदार कानाम याद नही आ रहा)! की आँख में थरथराता वो एक आँसू... कोई कैसे भूल सकता है. बहुत बीजी हूं रियली.मिस भी करती हूं आप सबको पर क्या करूँ......