सभी पाठकों और श्रोताओं को होली की शुभकामनायें. आज होली के अवसर पर आवाज़ पर भी कुछ बहुत ख़ास है आपके लिए. इस शुभ दिन को हमने चुना है आपको एक उभरती हुई गायिका से मिलवाने के लिए जो आपको अपनी मधुर आवाज़ में "होरी" के रंगों से सराबोर करने वाली हैं.
गायिका और संगीत निर्देशिका लीपिका भट्टाचार्य लगभग तभी से युग्म के साथ जुडी हैं जब से हमने अपने पहले संगीतबद्ध गीत के साथ युग्म पर संगीत रचना की शुरुआत की थी. उन दिनों वो एक जिंगल का काम कर चुकी थी. पर चूँकि हमारा काम इन्टरनेट आधारित रहा तो इसमें अलग अलग दिशाओं में बैठे कलाकारों के दरमियाँ मेल बिठाने के मामले में अक्सर परेशानियाँ सामने आती रही. लीपिका भी इसी परेशानी में उलझी रही, इस बीच उन्होंने अपनी दो कृष्ण भजन की एल्बम का काम मुक्कमल कर दिया जिनके नाम थे -"चोरी चोरी माखन" और "हरे कृष्ण". इन सब व्यस्तताओं के बीच भी उनका आवाज़ से सम्पर्क निरंतर बना रहा. बीच में उनके आग्रह पर हमने शोभा महेन्द्रू जी का लिखा एक शिव भजन उन्हें भेजा था स्वरबद्ध करने के लिए पर बात बन नहीं पायी. अब ऐसी प्रतिभा की धनी गायिका को आपसे मिलवाने का होली से बेहतर मौका और क्या हो सकता था. तो आईये लीपिका के स्वरों और सुरों के रंग में रंग जाईये और डूब जाईये होली की मस्ती में. यदि आप होली नहीं भी खेलते तो हमारा दावा है लीपिका के इस "होरी" गीत को सुनने के बाद आपका भी मन मचल उठेगा रंग खेलने के लिए. लीजिये सुनिए -
इसके आगे है>>>>>होरी गीतों के मशहूर जनगायक पंडित छन्नूलाल मिश्रा के गीतों से सजी शैलेश भारतवासी की प्रस्तुति
होली मुबारक
गायिका और संगीत निर्देशिका लीपिका भट्टाचार्य लगभग तभी से युग्म के साथ जुडी हैं जब से हमने अपने पहले संगीतबद्ध गीत के साथ युग्म पर संगीत रचना की शुरुआत की थी. उन दिनों वो एक जिंगल का काम कर चुकी थी. पर चूँकि हमारा काम इन्टरनेट आधारित रहा तो इसमें अलग अलग दिशाओं में बैठे कलाकारों के दरमियाँ मेल बिठाने के मामले में अक्सर परेशानियाँ सामने आती रही. लीपिका भी इसी परेशानी में उलझी रही, इस बीच उन्होंने अपनी दो कृष्ण भजन की एल्बम का काम मुक्कमल कर दिया जिनके नाम थे -"चोरी चोरी माखन" और "हरे कृष्ण". इन सब व्यस्तताओं के बीच भी उनका आवाज़ से सम्पर्क निरंतर बना रहा. बीच में उनके आग्रह पर हमने शोभा महेन्द्रू जी का लिखा एक शिव भजन उन्हें भेजा था स्वरबद्ध करने के लिए पर बात बन नहीं पायी. अब ऐसी प्रतिभा की धनी गायिका को आपसे मिलवाने का होली से बेहतर मौका और क्या हो सकता था. तो आईये लीपिका के स्वरों और सुरों के रंग में रंग जाईये और डूब जाईये होली की मस्ती में. यदि आप होली नहीं भी खेलते तो हमारा दावा है लीपिका के इस "होरी" गीत को सुनने के बाद आपका भी मन मचल उठेगा रंग खेलने के लिए. लीजिये सुनिए -
इसके आगे है>>>>>होरी गीतों के मशहूर जनगायक पंडित छन्नूलाल मिश्रा के गीतों से सजी शैलेश भारतवासी की प्रस्तुति
होली मुबारक
Comments
आपने इस गीत को बहुत अच्छी तरह से गाया है। आवाज़ में जो ऊर्जा दिखनी चाहिए, वह दिख रही है। हम तो आग्रह करेंगे कि इस रामनवमी पर भी अपनी कोई प्रस्तुति दें।
होली मुबारक़
सदय गायिका पर रहे, राधे-आनंदकंद.
मधुर कंठ ध्वनि मोहती, ऊर्जा स्वर में खूब.
उच्चारण स्पष्ट हैं, सकीं भाव में डूब.
रमीं छंद में लीपिका, साध सकीं आलाप.
भाव गीत के सके हैं अंतर्मन में व्याप.
-sanjivsalil.blogspot.com
Aap sabhi ko ye holi geet aachi lagi is ke liye danyawad.
Mere is geet ko aawaj me post karne aur aap sab tak pahuchane ke liye sajeev jee ko bahut bahut dhanyawad.
Leepikaa