रंगोत्सव पर सभी पाठकों और श्रोताओं को हार्दिक मंगलकामना
स्वरगोष्ठी – 459 में आज 
काफी थाट के राग – 3 : राग शहाना 
पण्डित जितेन्द्र अभिषेकी से राग शहाना में होली गीत और विस्मृत गायिका मंजु से फिल्मी ठुमरी सुनिए 
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| पण्डित जितेन्द्र अभिषेकी | 
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| फिल्म "गाली" का एक पोस्टर | 
राग शहाना के
 स्वर काफी थाट के स्वरों से मेल खाते हैं, अर्थात यह राग काफी थाट के जन्य
 राग है। राग शहाना की जाति सम्पूर्ण-सम्पूर्ण होती है, अर्थात इसके आरोह 
और अवरोह में सभी सात स्वर प्रयोग किये जाते हैं। इस राग में गान्धार स्वर 
कोमल, दोनों निषाद तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते हैं। राग का वादी 
स्वर पंचम और संवादी स्वर षडज माना जाता है। राग के गायन या वादन का सबसे 
उपयुक्त समय रात्रि का तीसरा प्रहर माना जाता है। राग शहाना एक उत्तरांग 
प्रधान राग है। इसमें षडज और धैवत स्वरों की संगति बहुत अच्छी लगती है। इस 
राग में पंचम और तार सप्तक के षडज स्वर बड़े महत्त्वपूर्ण होते हैं। राग 
शहाना, कान्हड़ा का ही एक प्रकार है। इसके बावजूद इसे केवल शहाना के नाम से 
सम्बोधित किया जाता है। राग शहाना चूँकि काफी थाट का जन्य राग है, अतः राग 
काफी की भाँति राग शहाना में होली की रचनाएँ खूब मुखर होती हैं। राग शहाना 
का स्पष्ट परिचय देने के लिए अब हम आपको सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ पण्डित 
जितेन्द्र अभिषेकी के स्वर में होली पर्व के उल्लास से परिपूर्ण मध्यलय त्रिताल में निबद्ध एक खयाल रचना 
सुनवा रहे हैं। ‘यू-ट्यूब’ के सौजन्य से प्रस्तुत इस रचना के बोल है; “होली की धुनक मोरे कान पड़ी है...”। 
राग शहाना : “होली की धुनक मोरे कान पड़ी है...” : पण्डित जितेन्द्र अभिषेकी 
राग
 शहाना में कोमल निषाद और पंचम स्वर की संगति बार-बार दिखाई जाति है। 
प्रत्येक आलाप का अन्त कान्हड़ा अंग; कोमल गान्धार, मध्यम, ऋषभ और षडज से 
होता है। उत्तरांग में अधिकतर पंचम से सीधे तार सप्तक को जाते हैं, किन्तु 
म, प, ध, कोमल नि और सां स्वर समूह अनिष्ट नहीं है। कभी-कभी इसका भी प्रयोग
 किया जाता है। शुद्ध निषाद का अल्प प्रयोग आरोह में तार सप्तक के षडज के 
साथ किया जाता है। विद्वानों ने इसमें बहार, अड़ाना, बागेश्री और मल्हार 
रागों का मिश्रण माना है। राग सूहा और सुघराई इसके समप्रकृति राग हैं। धैवत
 के प्रयोग से राग शहाना, राग सूहा से अलग हो जाता है और उत्तरांग प्रधान 
होने से राग सुघराई से अलग हो जाता है। अब हम आपको 1944 में प्रदर्शित 
पुरानी फिल्म “गाली” से एक होली गीत मिस मंजु के स्वर में सुनवा रहे हैं। 
पारम्परिक ठुमरी गीत को हनुमान प्रसाद ने संगीतबद्ध किया है। “फिल्मी गीतों
 में राग” विषयक शोधकर्ता और संगीत विषयक पुस्तकों के सुप्रसिद्ध लेखक 
के.एल. पाण्डेय (कन्हैयालाल पाण्डेय) के सुझाव से हम इन गीतों का चुनाव कर 
रहे हैं। श्री पाण्डेय के अनुसार इस ठुमरी गीत की रचना ‘सगुनपिया’ ने की 
है। कुछ विद्वानों का मत है कि इस ठुमरी कि रचना अवध का नवाब वाजिद अली शाह ने की है। होली की पूर्व संध्या पर आप यह विस्मृत गीत सुनिए और मुझे आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।  
राग शहाना : “होली मैं खेलूँगी उन संग डट के...” : मिस मंजू : फिल्म – गाली   
संगीत पहेली 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 के 459वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1971 में प्रदर्शित एक 
फिल्म के गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक 
अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के सही 
उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों 
का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। 460वें अंक 
की पहेली तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे उन्हें वर्ष के प्रथम 
सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के प्राप्तांकों 
की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की जाएगी और उन्हें 
सम्मानित भी किया जाएगा। 
1 - इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग की छाया है? 
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए। 
3 – इस गीत में किस गायक और गायिका के स्वर हैं? 
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia9@gmail.com
 पर ही शनिवार 14 मार्च, 2020 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि 
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली 
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
 देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। फेसबुक पर पहेली का उत्तर स्वीकार
 नहीं किया जाएगा। विजेताओं के नाम हम उनके शहर/ग्राम, प्रदेश और देश के 
नाम के साथ “स्वरगोष्ठी” के अंक संख्या 461 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक 
में प्रस्तुत गीत, संगीत या कलाकार के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने
 किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में 
स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia9@gmail.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता 
 
“स्वरगोष्ठी”
 के 457वें अंक में हमने आपको 1994 में प्रदर्शित फिल्म “सरदारी बेगम” से 
एक राग आधारित होली गीत का अंश सुनवा कर आपसे तीन में से कम से कम दो सही 
उत्तरों की अपेक्षा की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – पीलू, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – दादरा तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – आरती अंकलीकर। फिल्म में इस गीत का एक अन्य संस्करण है, जिसे पार्श्वगायिका आशा भोसले ने स्वर दिया है। 
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; खण्डवा, मध्यप्रदेश से रविचन्द्र जोशी, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
 उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को दो दो अंक मिलते हैं। ‘रेडियो प्लेबैक 
इण्डिया’ की ओर से आप सभी को हार्दिक बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है 
कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर ई मेल से ही भेजा करें। इस पहेली 
प्रतियोगिता में हमारे नए प्रतिभागी भी हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं
 है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको 
पहेली का कोई एक उत्तर भी ज्ञात हो तो भी आप इसमें भाग ले सकते हैं।    
अपनी बात 
मित्रों,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
 नई श्रृंखला “काफी थाट के राग” की तीसरी कड़ी में आज आपने काफी थाट के जन्य
 राग शहाना का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस राग के शास्त्रीय स्वरूप को 
समझने के लिए आपने सुविख्यात संगीतज्ञ पण्डित जितेन्द्र अभिषेकी के स्वर 
में इस राग की एक होली रचना का रसास्वादन किया। राग शहाना के आधार पर रचे 
गए फिल्मी गीत के उदाहरण के लिए हमने आपके लिए 1944 में प्रदर्शित फिल्म 
“गाली” का एक गीत विस्मृत पार्श्वगायिका मिस मंजू के स्वर में प्रस्तुत 
किया। फिल्म के संगीतकार हनुमान प्रसाद हैं। अथक प्रयासों के बावजूद गीत की गायिका मंजु अथवा  संगीतकार हनुमान प्रसाद का कोई भी चित्र हमें प्राप्त नहीं हो सका। इसीलिए आपके अवलोकनार्थ फिल्म का एक पोस्टर लगा दिया है। कुछ तकनीकी समस्या के कारण 
अपने फेसबुक के मित्र समूह पर “स्वरगोष्ठी” का लिंक साझा नहीं कर पा रहे 
हैं। सभी संगीत अनुरागियों से अनुरोध है कि हमारी वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com
 पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें। 
“स्वरगोष्ठी” के वेब पेज के दाहिनी ओर निर्धारित स्थान पर अपना ई-मेल आईडी 
अंकित कर आप हमारे सभी पोस्ट को नियमित रूप से अपने ई-मेल पर प्राप्त कर 
सकते है। “स्वरगोष्ठी” की पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की 
प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी 
“स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया 
हमें भेजते रहेंगे। आज के इस अंक अथवा श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ 
कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia9@gmail.com
 पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः सात बजे “स्वरगोष्ठी” के 
इसी मंच पर एक बार फिर संगीत के सभी अनुरागियों का स्वागत करेंगे। 
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र   
 राग शहाना : SWARGOSHTHI – 459 : RAG SHAHANA : 8 मार्च, 2020


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