स्वरगोष्ठी – 419 में आज 
बिलावल थाट के राग – 7 : राग अल्हैया बिलावल 
विदुषी किशोरी अमोनकर से इस राग में खयाल और मन्ना डे व साथियों से फिल्मी गीत सुनिए 
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| विदुषी किशोरी अमोनकर | 
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| संगीतकार मदन मोहन | 
राग
 अल्हैया बिलावल का सम्बन्ध बिलावल थाट से माना गया है और इस थाट के आश्रय 
राग बिलावल का ही एक प्रकार है। इस राग के आरोह में मध्यम स्वर वर्जित होता
 है और अवरोह में सातो स्वर प्रयोग किये जाते हैं। इस कारण इस राग की जाति 
षाड़व-सम्पूर्ण होती है। आरोह में शुद्ध और अवरोह में दोनों निषाद प्रयोग 
किये जाते है। शेष सभी स्वर शुद्ध प्रयोग होते हैं। राग अल्हैया बिलावल के 
गायन-वादन का समय दिन का प्रथम प्रहर होता है। राग के आरोह में ऋषभ और 
अवरोह में गान्धार स्वर का अधिकतर वक्र प्रयोग किया जाता है। शुद्ध निषाद 
स्वर का प्रयोग आरोह में और कोमल निषाद का अल्प प्रयोग केवल अवरोह में दो 
धैवत के बीच में किया जाता है राग का वादी स्वर धैवत और संवादी स्वर 
गान्धार होता है। यह उत्तरांग प्रधान राग है, अर्थात इसका वादी स्वर सप्तक 
के उत्तरांग में आता है। इस राग का चलन भी सप्तक के उत्तरांग में और तार 
सप्तक में अधिक किया जाता है। आजकल राग अल्हैया बिलावल का प्रचार इतना अधिक
 बढ़ गया है केवल बिलावल कह देने से लोग अल्हैया बिलावल ही समझते हैं, जबकि 
राग बिलावल और अल्हैया बिलावल दो अलग-अलग राग हैं। राग अल्हैया बिलावल के 
वास्तविक स्वरूप का अनुभव करने के लिए अब हम आपको 16 मात्रा में निबद्ध एक 
खयाल सुनवा रहे हैं। इसे प्रस्तुत कर रही हैं, जयपुर अतरौली घराने के गायकी
 में दक्ष विदुषी किशोरी अमोनकर। इस गायन में उनकी शिष्याओं का योगदान भी 
है। राग अल्हैया बिलावल की इस बन्दिश के बोल हैं – ‘कवन बतरिया गैलो 
माई...’। आप यह रचना सुनिए। 
राग अल्हैया बिलावल : ‘कवन बतरिया गैलो माई...’ : विदुषी किशोरी अमोनकर 
मदन
 मोहन उन गिने-चुने संगीतकारों में से थे जो नए-नए प्रयोग करने से नहीं 
कतराते थे। शास्त्रीय रागों को लेकर तरह-तरह के प्रयोग मदन मोहन ने किए जो 
उनके गीतों में साफ़ झलकता है। उदाहरण के तौर पर फ़िल्म ’बावर्ची’ का गीत ही 
ले लीजिए "भोर आई गया अँधियारा..."। यह स्थायी और सात अन्तरों वाला 
गीत यूँ तो एक रागमाला गीत है किन्तु गीत का शुरुआती भाग मुख्य रूप से राग 
अल्हैया बिलावल पर आधारित है। ’बावर्ची’ फ़िल्म में एक ऐसा प्रसंग था कि 
सुबह के वक़्त संयुक्त परिवार में चहल-पहल शुरु हुई है, पिताजी के 
चरण-स्पर्ष हो रहे हैं, सुबह की चाय पी जा रही है, बावर्ची अपने काम पे लगा
 है, संगीतकार बेटा अपने सुर लगा रहा है, घर की बेटियाँ घर के काम-काज में 
लगी हैं। इस प्रसंग के लिए गीत बनाना आसान काम नहीं था। पर मदन मोहन ने एक 
ऐसे गीत की रचना कर दी कि इस तरह का यह आज तक का एकमात्र गीत बन कर रह गया 
है। बावर्ची बने फ़िल्म के नायक राजेश खन्ना के लिए मन्ना डे की आवाज़ ली गई 
जो इस गीत के मुख्य गायक हैं, जो बिखरते हुए उस परिवार को एक डोर में बाँधे
 रखने के लिए इस गीत में सबको शामिल कर लेते हैं। पिता हरीन्द्रनाथ 
चट्टोपाध्याय का पार्श्वगायन उन्होंने ख़ुद ही किया, संगीतकार बेटे (असरानी)
 को आवाज़ दी किशोर कुमार ने, और घर की दो बेटियों (जया भादुड़ी और उषा किरण)
 के लिए आवाज़ें दीं शास्त्रीय-संगीत की शीर्ष की दो गायिकाओं लक्ष्मी शंकर 
और निर्मला देवी ने। कैफ़ी आज़मी ने गीत लिखा और नृत्य निर्देशन के लिए चुना 
गया गोपीकृष्ण को। कलाकारों के इस अद्वितीय आयोजन ने इस गीत को अमर बना 
दिया। और मदन मोहन ने अल्हैया बिलावल के साथ राग खमाज, मारू बिहाग, नट 
भैरवी, धानी और हंसध्वनि के अन्तरों से इस गीत को सजाया है। गीत का स्थायी 
और पहला अन्तरा राग अल्हैया बिलावल में निबद्ध है। दूसरा अन्तरा “धरती भी झूमें...” लक्ष्मी शंकर, निर्मला देवी और मन्ना डे के स्वर में है और खमाज पर आधारित है। तीसरा अन्तरा “दिन ये सन्देशा लेकर...” भी राग खमाज पर आधारित है और हरीन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय की आवाज़ में है। चौथे अन्तरे “देखो कहता है तुमसे...” में पुनः लक्ष्मी शंकर, निर्मला देवी और मन्ना डे के स्वर हैं और यह राग मारू बिहाग पर आधारित है। गीत का अगला अन्तरा “गुड मार्निंग गुड मार्निंग ओ पापा...” किशोर कुमार और हरीन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय की आवाज़ में है। यह भाग राग नट भैरवी पर आधारित है। इन्हीं आवाज़ों में गीत का अगला अन्तरा “द मार्निंग रेज़ आर कमिंग...” राग धानी पर आधारित है। गीत का अन्तिम अन्तरा “आई पनिया भरन की बेला...”,
 जो लक्ष्मी शंकर और निर्मला देवी के स्वर में है। इसे मदन मोहन ने राग 
हंसध्वनि का आधार दिया है। गीत का समापन इसी राग के तराना से होता है। हर 
बदले हुए राग के अन्तरे के बाद राग अल्हैया बिलावल में निबद्ध स्थायी की 
पंक्तियाँ वापस आती हैं। आप राग अल्हैया बिलावल से आरम्भ होने वाले इस 
रागमाला गीत का रसास्वादन कीजिए और हमें आज के इस अंक को यहीं विराम देने 
की अनुमति दीजिए। 
राग अल्हैया बिलावल : "भोर आई गया अँधियारा..." : मन्ना डे और साथी : फिल्म – बावर्ची 
संगीत पहेली 
 
“स्वरगोष्ठी”
 के 419वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1971 में प्रदर्शित एक 
फिल्म के राग आधारित गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर 
आपको दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो 
प्रश्नों के सही उत्तर देने आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा 
तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते 
हैं। 420वें अंक तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें वर्ष 2019
 के दूसरे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के 
प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की 
जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। 
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग की छाया है? 
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए। 
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायक के स्वर हैं? 
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
 पर ही शनिवार, 18 मई, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि 
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली 
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS में दिये गए उत्तर मान्य हो 
सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर देने की अन्तिम तिथि के बाद 
किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता 
का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक 
संख्या 421 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा
 कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके 
बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप 
पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 के 417वें अंक की पहेली में हमने आपसे वर्ष 1956 में प्रदर्शित फिल्म 
“परिवार” के एक गीत का एक अंश सुनवा कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक 
प्राप्त करने के लिए कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा की थी। 
पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – हंसध्वनि, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – तीनताल और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – लता मंगेशकर और मन्ना डे। 
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, कल्याण, महाराष्ट्र से शुभा खाण्डेकर, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
 उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक 
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर 
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी 
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
 सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
 इसमें भाग ले सकते हैं।  
अपनी बात 
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| हिन्दी सिने राग इनसाइक्लोपीडिया भाग दो का मुखपृष्ठ | 
‘रेडियो
 प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर श्रृंखला “बिलावल 
थाट के राग” की सातवीं कड़ी में आज आपने बिलावल थाट के राग “अल्हैया बिलावल”
 का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के 
लिए सुविख्यात गायिका विदुषी किशोरी अमोनकर द्वारा प्रस्तुत एक खयाल रचना 
का रसास्वादन किया। इसके बाद इसी राग पर आधारित एक गीत फिल्म “बावर्ची” से 
राग अल्हैया बिलावल और रागमाला में पिरोया एक मोहक गीत मन्ना डे, लक्ष्मी 
शंकर, निर्मला देवी, किशोर कुमार और हरीन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय के स्वरों 
में सुनवाया। संगीतकार मदन मोहन ने इस गीत को राग अल्हैया बिलावल और 
रागमाला के स्वरों में पिरोया है। “स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली कड़ियों के 
बारे में हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास
 है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते 
रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के 
बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा 
अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
 पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र   
 राग अल्हैया बिलावल : SWARGOSHTHI – 419 : RAG ALHAIYA BILAWAL : 12 मई, 2019



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