स्वरगोष्ठी – 402 में आज
महाविजेताओं की प्रस्तुतियाँ – 2 
संगीत पहेली के महाविजेताओं क्षिति, हरिणा और प्रफुल्ल का उन्हीं की प्रस्तुतियों से अभिनन्दन 
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| क्षिति तिवारी | 
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| डी.हरिणा माधवी | 
वर्ष 2018
 की संगीत पहेली में सर्वाधिक 96 अंक अर्जित कर जबलपुर, मध्यप्रदेश की 
क्षिति तिवारी ने प्रथम महाविजेता होने का गौरव प्राप्त किया है। संगीत 
पहेली में प्रथम महाविजेता होने का सम्मान प्राप्त करने वाली जबलपुर, 
मध्यप्रदेश की श्रीमती क्षिति तिवारी की संगीत शिक्षा लखनऊ और कानपुर में 
सम्पन्न हुई। लखनऊ के भातखण्डे संगीत महाविद्यालय से गायन में प्रथमा से 
लेकर विशारद तक की परीक्षाएँ उत्तीर्ण की। बाद में इस संस्थान को 
विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ, जहाँ से उन्होने संगीत निपुण और उसके 
बाद ठुमरी गायन मे तीन वर्षीय डिप्लोमा भी प्राप्त किया। इसके अलावा कानपुर
 के वरिष्ठ संगीतज्ञ पण्डित गंगाधर राव तेलंग जी के मार्गदर्शन में खैरागढ़,
 छत्तीसगढ़ के इन्दिरा संगीत कला विश्वविद्यालय की संगीत स्नातक और 
स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। क्षिति जी के गुरुओं में डॉ. गंगाधर राव 
तेलंग के अलावा पण्डित सीताशरण सिंह, पण्डित गणेशप्रसाद मिश्र, डॉ. 
सुरेन्द्र शंकर अवस्थी, डॉ. विद्याधर व्यास और श्री विनीत पवइया प्रमुख 
हैं। क्षिति को स्नातक स्तर पर भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से 
ग्वालियर घराने की गायकी के अध्ययन के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति भी मिल 
चुकी है। कई वर्षों तक लखनऊ के महिला कालेज और जबलपुर के एक नेत्रहीन 
बच्चों के विद्यालय मे माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों को संगीत की शिक्षा 
देने के बाद वर्तमान में जबलपुर के ‘महाराष्ट्र संगीत महाविद्यालय’ में 
संगीत गायन की शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं। ध्रुपद, खयाल, ठुमरी और भजन 
गायन के अलावा उन्होने प्रोफेसर कमला श्रीवास्तव से गुरु-शिष्य परम्परा के 
अन्तर्गत लोक संगीत भी सीखा है, जिसे अब वह अपने विद्यार्थियों को बाँट रही
 हैं। क्षिति जी कथक नृत्य और नृत्य नाटिकाओं में गायन संगति की विशेषज्ञ 
हैं। सुप्रसिद्ध नृत्यांगना और भातखण्डे संगीत विश्वविद्यालय की प्रोफेसर 
कुमकुम धर और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कला संकाय की प्रोफेसर और 
नृत्यांगना विधि नागर के कई कार्यक्रमों में अपनी इस प्रतिभा का प्रदर्शन 
कर चुकी हैं। आज के इस विशेष अंक में क्षिति तिवारी के कथक नृत्य के साथ 
गायन संगति की एक रिकार्डिंग हम प्रस्तुत कर रहे हैं। इस रिकार्डिंग में 
क्षिति तिवारी पहले राग यमन में निबद्ध शिवस्तुति, “नागेन्द्रहाराय 
त्रिलोचनाय...” प्रस्तुत किया है। अगले चरण में नृत्यांगना के भाव प्रदर्शन
 के लिए उन्होने राग तिलक कामोद की एक बन्दिश; “नीर भरन कैसे जाऊँ...” का 
गायन प्रस्तुत किया है। लीजिए, अब आप यह रचनाएँ सुनिए और प्रथम महाविजेता 
क्षिति तिवारी का अभिनन्दन कीजिए। 
राग यमन और तिलक कामोद : शिवस्तुति और बन्दिश “नीर भरन कैसे जाऊँ...” : क्षिति तिवारी 
‘स्वरगोष्ठी’
 की संगीत पहेली 2018 में 92 अंक प्राप्त कर द्वितीय महाविजेता बनीं हैं, 
हैदराबाद की डी. हरिणा माधवी। हम उन्हें सहर्ष सम्मानित करते हैं। “संगीत 
जीवन का विज्ञान है”, इस सिद्धान्त को केवल मानने वाली ही नहीं बल्कि अपने 
जीवन में उतार लेने वाली हरिणा जी दो विषयों की शिक्षिका का दायित्व निभा 
रही हैं। हैदराबाद के श्री साईं स्नातकोत्तर महाविद्यालय में विगत 16 वर्षो
 से स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं को लाइफ साइन्स पढ़ा रही हैं। इसके साथ 
ही स्थानीय वासवी कालेज ऑफ म्यूजिक ऐंड डांस से भी उनका जुड़ाव है, जहाँ 
विभिन्न आयुवर्ग के विद्यार्थियों का मार्गदर्शन भी करती हैं। हरिणा जी को 
प्रारम्भिक संगीत शिक्षा अपनी माँ श्रीमती वाणी दुग्गराजू से मिली। आगे चल 
कर अमरावती, महाराष्ट्र के महिला महाविद्यालय की संगीत विभागाध्यक्ष 
श्रीमती कमला भोंडे से विधिवत संगीत सीखना शुरू किया। हरिणा जी के 
बाल्यावस्था के एक और संगीत गुरु एम.वी. प्रधान भी थे, जो एक कुशल तबला 
वादक भी थे। इनके अलावा हरिणा जी ने गुरु किरण घाटे और आर. डी. जी. कालेज, 
अकोला के संगीत विभागाध्यक्ष श्री नाथूलाल जायसवाल से भी संगीत सीखा। हरिणा
 जी ने मुम्बई के अखिल भारतीय गन्धर्व महाविद्यालय से संगीत अलंकार की 
उपाधि प्राप्त की है। पिछले दिनों हरिणा जी की संगीत विषयक पुस्तक; 
“प्रेरणा” का प्रकाशन हुआ था। यह उनकी स्वरचित बन्दिशों का संग्रह है, 
जिसमें राग भैरव से लेकर राग भैरवी तक प्रचलित 25 रागों में कुल 61 
बन्दिशें सम्मिलित की गई हैं। हमारे आग्रह पर इस अंक के लिए हरिणा जी ने 
अपनी पुस्तक से, अपने ही स्वर में राग बागेश्री की एक बन्दिश हमें भेजी है।
 आज के इस विशेष अंक में हम शिक्षिका और विदुषी डी. हरिणा माधवी का 
महाविजेता के रूप में हार्दिक अभिनन्दन करते हैं और आपको हरिणा जी की आवाज़ 
में राग बागेश्री में एक स्वरचित बन्दिश सुनवाते हैं।   
बन्दिश राग बागेश्री : “सखि जनम गवायो...” डी. हरिणा माधवी 
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| प्रफुल्ल पटेल | 
गैर फिल्मी गीत : “मुझे न सपनों से बहलाओ...” : स्वर - प्रफुल्ल पटेल 
संगीत पहेली 
 
“स्वरगोष्ठी”
 के 402सरे अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1975 में प्रदर्शित एक 
फिल्म के रागबद्ध गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको 
दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के 
सही उत्तर देने आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों 
प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। 
पहेली क्रमांक 410 तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें वर्ष 
2019 के पहले सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के 
प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की 
जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। 
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि यह गीत किस राग से प्रेरित है? 
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए। 
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायक के स्वर हैं? 
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
 पर ही शनिवार, 19 जनवरी, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि 
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली 
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
 देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर 
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
 के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 404 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में 
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या 
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी 
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के विजेता 
 
‘स्वरगोष्ठी’ क्रमांक 400 में हमने आपसे पहेली का कोई भी प्रश्न नहीं पूछा था। अब हम आज के अंक की पहेली का उत्तर और विजेताओं के नाम “स्वरगोष्ठी” के क्रमांक 404 में प्रकाशित करेंगे। 
अपनी बात 
मित्रों,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर आज पहेली 
के वर्ष 2018 के महाविजेताओं पर केन्द्रित था। आज के अंक में पहेली की 
प्रथम महाविजेता जबलपुर की क्षिति तिवारी और दो द्वितीय महाविजेता हैदराबाद
 की डी. हरिणा माधवी तथा चेरीहिल, न्यूजर्सी, अमेरिका के प्रफुल्ल पटेल की 
प्रस्तुतियों का रसास्वादन किया। अगले सप्ताह से हम आप जैसे अधिक़तर 
संगीत-प्रेमियों के अनुरोध पर एक नई श्रृंखला आरम्भ कर रहे हैं। हमें 
विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन 
करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला 
के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा
 अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें  swargoshthi@gmail.com
 पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे। 
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र   
वर्ष के महाविजेता - 2 : SWARGOSHTHI – 402 : MAHAVIJETA OF THE YEAR : 13 Jan. 2019



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