Skip to main content

10 सेगमेण्ट्स - 100 एपिसोड्स - 43 प्रतियोगी - 'सिने पहेली' का सफ़र अपने अंजाम की तरफ़...

सिने पहेली



 
नमस्कार, दोस्तों। आज 'सिने पहेली' के 100वें एपिसोड के परिणामों के साथ 10 सेगमेण्ट्स का यह लम्बा सफ़र पूरा हो रहा है। हालाँकि महामुकाबला अभी बाक़ी है, पर 'सिने पहेली' प्रतियोगिता के नियमित एपिसोड्स आज सम्पन्न हो रहे हैं। शुरू से लेकर अब तक इस प्रतियोगिता में कुल 43 प्रतियोगियों ने भाग लिया है। इनमें से कुछ प्रतियोगी शुरू से लेकर अन्त तक जुड़े रहे (जैसे कि प्रकाश गोविन्द और पंकज मुकेश); कुछ प्रतियोगी थोड़े बाद में जुड़े पर अन्त तक जुड़े रहे (जैसे कि विजय कुमार व्यास और चन्द्रकान्त दीक्षित); कुछ खिलाड़ी शुरू से लेकर अन्त तक जुड़े तो रहे पर नियमित रूप से नहीं भाग लिया (जैसे कि इन्दु पुरी गोस्वामी और क्षिति तिवारी); और बाक़ी प्रतियोगी ऐसे रहे जिन्होंने बीच में ही खेल छोड़ दिया। इस तरह से मिले-जुले रूप में इन 43 प्रतियोगियों ने 'सिने पहेली' प्रतियोगिता को सजाया, सँवारा और दिलचस्प बनाया। 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के तरफ़ से मैं आप सभी 43 प्रतियोगियों को धन्यवाद देता हूँ, और उम्मीद करता हूँ कि भविष्य में भी किसी अन्य स्तम्भ के माध्यम से आप सब से दोबारा बातचीत होगी। 'सिने पहेली' के 10वें सेगमेण्ट्स के विजेताओं के नाम घोषित करने से पहले आइए नज़र डालें पहेली के सही जवाबों पर।



सिने पहेली - 100 का हल




उत्‍तर 1. Son Of India
उत्‍तर 2. Murder
उत्‍तर 3. Night in London
उत्‍तर 4. Gambler
उत्‍तर 5. Indian
उत्‍तर 6. Opera House
उत्‍तर 7. Bombay To Goa
उत्‍तर 8. Dream Girl
उत्‍तर 9. Bluff Master
उत्‍तर 10.Singapore



पिछली पहेली के विजेता


इस बार हमारे चार नियमित प्रतियोगियों ने भाग लिया, और सबसे पहले 100% सही जवाब भेज कर 'सरताज प्रतियोगी' बने लखनऊ के श्री प्रकाश गोविन्द। बहुत बहुत बधाई आपको प्रकाश जी! 10-वें सेगमेण्ट की समाप्ति पर सम्मिलित स्कोर कार्ड कुछ इस तरह का बना...




इस तरह से पूरे 100% अंक अर्जित कर इस दसवें सेगमेण्ट के विजेता बने हैं- 
श्री विजय कुमार व्यास
दूसरे स्थान पर हैं- 

श्री प्रकाश गोविन्द 
और तीसरे स्थान पर अच्छी टक्कर दी- 
श्री पंकज मुकेश ने।
श्री चन्द्रकान्त दीक्षित
 

ने भी अच्छे स्पोर्ट्समैनशिप का परिचय दिया।
आप चारों को बहुत बहुत बधाई। 


और अब तालिका पर नज़र डालने की बारी, यानी कि निर्णायक 'महाविजेता स्कोर कार्ड' पर। 





'महाविजेता स्कोर कार्ड' में नाम दर्ज होने वाले सभी 9 खिलाड़ियों को हार्दिक बधाई हमारी ओर से। आप में से कुछ खिलाड़ी ऐसे हैं जो इस खेल को छोड़ चुके हैं, जैसे कि गौतम केवलिया, रीतेश खरे, सलमन ख़ान, और महेश बसन्तनी। आप सभी को हमने ईमेल के माध्यम से सम्पर्क किया और पाया कि आप महामुकाबले में भाग ले पाने में असमर्थ हैं।

इस तरह से महामुकाबले के लिए शीर्ष के पाँच प्रतियोगी ये रहे...


आप पाँच प्रतियोगियों को बहुत बहुत बधाई और ढेरों शुभकामनाएँ। अब आप पाँचों के बीच होगा महामुकाबला, और इसी महामुकाबले के परिणाम से तय होगा 'सिने पहेली' का महाविजेता। 'सिने पहेली' महामुकाबले की पहेली प्रस्तुत की जायेगी अगले शनिवार 22 फ़रवरी भारतीय समयानुसार प्रात: 9 बजे। आपके उत्तर एक ही ईमेल में हमें 28 फ़रवरी भारतीय समयानुसार रात 10 बजे तक प्राप्त हो जाने चाहिए। महाविजेता की घोषणा 1 मार्च प्रात: 9 बजे की जायेगी

तो आज बस इतना ही, 'सिने पहेली' प्रतियोगिता से जुड़े सभी प्रतियोगियों और पाठकों को एक बार फिर से धन्यवाद देते हुए, विजेताओं को मुबारक़बाद देते हुए, और महाविजेता के दावेदारों को शुभकामनायें देते हुए आज मैं आपसे विदा लेता हूँ। फिर मुलाक़ात होगी महामुक़ाबले के मैदान पर, ज़रूर पधारियेगा अगले शनिवार सुबह 6 बजे। नमस्कार!

प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी

Comments

Sajeev said…
जबरदस्त होगा महामुकबाला, सभी ५ प्रतिभागियों को अग्रिम शुभकामनाएँ, और हृद्दय से आभार उन सभी प्रतिभागियों का जो १०० एपिसोडों तक यहाँ बने रहे और जम कर मुकाबला किया, आप सभी विजेता हैं मेरी नज़र में

Popular posts from this blog

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...

खमाज थाट के राग : SWARGOSHTHI – 216 : KHAMAJ THAAT

स्वरगोष्ठी – 216 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 3 : खमाज थाट   ‘कोयलिया कूक सुनावे...’ और ‘तुम्हारे बिन जी ना लगे...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया था। वर्तमान समय मे...

आसावरी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 221 : ASAVARI THAAT

स्वरगोष्ठी – 221 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 8 : आसावरी थाट राग आसावरी में ‘सजन घर लागे...’  और  अड़ाना में ‘झनक झनक पायल बाजे...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की आठवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया ...