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सुनिए हरिवंश राय बच्चन की बाल कविता 'रेल'

बच्चो,

पिछले सप्ताह से आपके लिए नीलम आंटी कविताओं को सुनाने का काम कर रही हैं। हरिवंश रा बच्चन की कविता 'गिलहरी का घर' आप सभी ने बहुत पसंद किया। आज सुनिए बच्चन दादा की ही कविता 'रेल'। ज़रूर बताइएगा कि कैसा लगा?



Baal-Kavita/Harivansh Rai Bachchan/Rail

Comments

बहुत सुंदर लगी.
धन्यवाद
bahut badhai hai neelam ji
नीलम जी,

जब आप कविता के अंत में 'छुक-छुक, छुक-छुक' बोलती हैं तो सुनने वाले का मन बच्चा हो जाता है। मेरा तो इरादा है कि बच्चन जी का पूरा बाल-कविता-संग्रह 'नीली चिड़िया' को ही आप आवाज़ दे दीजिए धीरे-धीरे, एक-एक करके।

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