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जगजीत सिंह ‘The Pied Piper’

रेडियो पर जगजीत सिंह की गजल बज रही है और मुझे याद आ रहा है, वो नब्बे का दशक जब हमारी उम्र रही होगी तीस के ऊपर(कितनी ऊपर हम नहीं बताने वाले…:)) पतिदेव काम के सिलसिले में अक्सर शहर से बाहर रहते थे। जब जब वो बाहर जाते दिन तो रोज की दिनचर्या में गुजर जाता लेकिन रातों को हमें अकेले डर के मारे नींद न आती। अब क्या करते? ऐसे में पूरी पूरी रात जगजीत सिंह की आवाज हमारा सहारा बनती। मेरी पंसद के एक दो गीत हो जाएं,क्या कहते हैं आप ? परेशां रात सारी हैं सितारों तुम तो सो जाओ.. . मेरी तन्हाइयों तुम भी लगा लो मुझको सीने से कि मैं घबरा गया हूँ इस तरह रो रो के जीने से आप कहेगें नब्बे का दशक? लेकिन जगजीत सिंह और चित्रा सिंह( उनकी धर्मपत्नी) की जोड़ी तो 1976 में ही अपनी पहली एलबम “The Unforgettables” से ही लोकप्रिय हो गये थे। जी हां जानते हैं, जानते हैं, हम भी उसी युवा वर्ग से थे जो उनकी पहली एल्बम से ही उनकी आवाज का दिवाना हो गया था, इसी लिए तो अपने संगीत के खजाने में से सिर्फ़ उनके ही कैसेट निकाल कर सुने जाते थे। भई तब सी डी का रिवाज नहीं था न्। अब जब कोई आप को इतना प्रभावित करे तो उसके बारे में सब कु

चुप चुप खड़े हो ज़रूर कोई बात है...पहली मुलाकात है जी...पहली मुलाकात है...

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 24 दो स्तों, आज पहली बार 'ओल्ड इस गोल्ड' में हम एक ऐसे संगीतकार जोडी को याद कर रहे हैं जिनकी जोडी फिल्म संगीत की दुनिया की पहली संगीतकार जोडी रही है. और यह जोडी है हुस्नलाल और भगतराम की. साल 1949 हुस्नलाल भगतराम के संगीत सफ़र का एक महत्वपूर्ण साल रहा. इस साल उनके संगीत से सजी कुल 10 फिल्में आईं - अमर कहानी, बड़ी बहन, बालम, बाँसुरिया, हमारी मंज़िल, जल तरंग, जन्नत, नाच, राखी, और सावन भादों. इनमें से फेमस पिक्चर्स के 'बॅनर' तले बनी फिल्म बड़ी बहन ने जैसे पुर देश भर में हंगामा मचा दिया. इस फिल्म के गीत इतने ज़्यादा प्रसिद्ध हुए कि हर गली गली में गूंजने लगे, इनके चर्चे होने लगे. डी डी कश्यप द्वारा निर्देशित इस फिल्म में सुरैय्या और गीता बाली ने दो बहनों की भूमिका अदा की, और नायक बने रहमान. चाँद (1944), नरगिस (1946), मिर्ज़ा साहिबां (1947), और प्यार की जीत (1948) जैसी कामियाब फिल्मों के बाद गीतकार क़मर जलालाबादी और हुस्नलाल भगतराम की जोडी बड़ी बहन में एक साथ आए और एक बार फिर चारों तरफ छा गये. हुस्नलाल भगतराम का संगीत संयोजन इस फिल्म में कमाल का था. छ

नवलेखन पुरस्कार वितरण समारोह की रिकॉर्डिंग

हिन्द-युग्म महत्वपूर्ण सार्वजनिक साहित्यिक समारोहों की रिकॉर्डिंग उपलब्ध कराता रहा है ताकि कार्यक्रम का आनंद वे लोग भी ले सकें जो सशरीर समारोह उसमें सम्मिलित नहीं हो सकते। सबसे पहले हमने उदय प्रकाश का कहानीपाठ सुनवाया। फिर तेजेन्द्र शर्मा और गौरव सोलंकी के कथापाठ की रिकॉर्डिंग सुनवाई थी। आज सुनिए १४ मार्च २००९ को भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा आयोजित नवलेखन पुरस्कार वितरण समारोह की रिकॉर्डिंग। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित थीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता की भारतीय ज्ञानपीठ सम्मान २००६ से सम्मानित कवि कुँवर नारायाण। इसके अलावा इस कार्यक्रम में अतिथि के दौर पर अजित कुमार, कैलाश वाजपेयी, अशोक वाजपेयी, ऋता शुक्ल, रवीन्द्र कालिया उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में १३ नई साहित्यकि पुस्तकों का विमोचन हुआ। जिसमें हिन्द-युग्मी विमल चंद्र पाण्डेय और पंकज सुबीर के पहले कहानी-संग्रहों का विमोचन भी शामिल था। शुरू के ५० सेकेण्ड की रिकॉर्डिंग हमारे पास उपलब्ध नहीं है। कुल समयः २ घण्टे १५ मिनट सुनें- आप भी अपने इर्द-गिर्द के होने वाले इस तरह के साहित्यिक आयोजनों की रिकॉर्डिंग podcas

भूलने वाले याद न आ...

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 23 न मस्ते दोस्तों, 'ओल्ड इस गोल्ड' की एक और सुरीली शाम के साथ हम हाज़िर हैं. दोस्तों, अब तक इस शृंखला में हमने आपको जितने भी गाने सुनवाए हैं वो 50 और 60 के दशकों के फिल्मों से चुने गये थे. लेकिन आज हम झाँक रहे हैं 40 के दशक में. इस दशक को हालाँकि कुछ लोग फिल्म संगीत का सुनहरा दौर नहीं मानते हैं, लेकिन इस दशक के आखिर के दो-तीन सालों में फिल्म संगीत में बहुत से परिवर्तन आए. देश के बँटवारे के बाद उस ज़माने के कई कलाकार पाकिस्तान चले गये, वहाँ के कई कलाकार यहाँ आ गये. नये गीतकार, संगीतकार और गायक गायिकाओं ने इस क्षेत्र में कदम रखा. फिल्म संगीत की धारा और लोगों की रूचि बदलने लगी. नये फनकारों के नये नये अंदाज़ जनता को रास आने लगा और यह फनकार तेज़ी से कामयाबी की सीढियाँ चढ़ने लगे. ऐसे ही एक संगीतकार थे नौशाद. नौशाद साहब ने अपनी पारी की शुरुआत 1942 में करने के बाद 1944 की फिल्म "रत्तन" में उन्हे पहली बड़ी कामयाबी नसीब हुई. इसके बाद उन्हे पीछे मुड्कर देखने की ज़रूरत महसूस नहीं हुई. सन् 1948 में उन्ही के संगीत से सजी एक फिल्म आई थी "अनोखी अदा"

"दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे" ने रचा इतिहास, किये ७०० सप्ताह पूरे

सप्ताह की संगीत सुर्खियाँ (13) स्लम डॉग के बाल सितारों ने याद दिलाई शफीक सैयद की लगभग २० साल पहले मीरा नायर की फिल्म "सलाम बॉम्बे" बहुत चर्चित हुई थी, और विदेशी फिल्म की श्रेणी में भारत की तरफ से ऑस्कर में नामांकित भी हुई थी. इस फिल्म में सबसे ज्यादा वाह वाही लूटी थी एक चाय वाले की भूमिका में इसके बाल कलाकार शफीक सैयद ने. पर इस फिल्म के बाद सैयद को मुंबई में कोई काम नहीं मिला. थक हार कर १९९३ में वो बैंगलोर आ गये. दुःख की बात है की इतनी प्रतिभा होने के बाद भी सैयद आज ऑटो चला रहे हैं, जीविका के लिए. ५२ दिन की शूटिंग, उस ज़माने में १५००० रूपए का मेहनताना, अप्रत्याक्षित लोकप्रियता, राष्ट्रपति भवन में सत्कार. आज ये सब बातें सैयद के लिए एक सपना ही लगती होगी. पर ख़ुशी की बात ये है कि फिल्मों से उनका प्रेम आज भी बरकरार है, और अपने खाली समय में स्क्रिप्ट लिखते हैं. उम्मीद करें कि उनकी कहानी को भी कोई प्रोड्यूसर मिले. पप्पू के पास होने के बाद अब चुनाव आयोग का नया नारा -"वोट ऑन" "पप्पू" कामियाब हो गया. अब चुनाव आयोग ने इसी फार्मूले पर लोक सभा चुनावों के लिए फि

पंकज सुबीर के कहानी-संग्रह 'ईस्ट इंडिया कम्पनी' का विमोचन कीजिए

दोस्तो, आज सुबह-सुबह आपने भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा नवलेखन पुरस्कार से सम्मानित कथा-संग्रह 'डर' का विमोचन किया और इस संग्रह से एक कहानी भी सुनी । अब बारी है लोकप्रिय ब्लॉगर, ग़ज़ल प्रशिक्षक पंकज सुबीर के पहले कहानी-संग्रह 'ईस्ट इंडिया कम्पनी' के विमोचन की। गौरतलब है कि इस पुस्तक के साथ-साथ १२ अन्य हिन्दी साहित्यिक कृतियों के विमोचन का कार्यक्रम आज ही हिन्दी भवन सभागार, आईटीओ, नई दिल्ली में चल रहा है। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता २००६ के भारतीय ज्ञानपीठ सम्मान से सम्मानित कवि कुँवर नारायण कर रहे हैं। सभी पुस्तकों का विमोचन दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के हाथों होना है। लेकिन घबराइए नहीं। हम आपको ऑनलाइन और पॉडकास्ट विमोचन का नायाब अवसर दे रहे हैं, जिसके तहत आप इस कहानी-संग्रह का विमोचन अपने हाथों कर सकेंगे, वह भी शीला दीक्षित से पहले। साथ ही साथ हम इस कहानी संग्रह की शीर्षक कहानी भी सुनवायेंगे। तो कर दीजिए लोकार्पण अनुराग शर्मा की आवाज़ में इस संग्रह की शीर्षक कहानी 'ईस्ट इंडिया कम्पनी' नीचे के प्लेयर से सुनें: - यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रह

अपने हाथों कीजिए कहानी-संग्रह 'डर' (नवलेखन पुरस्कार से सम्मानित) का विमोचन

जैसाकि आपने १२ मार्च को ख़बरों में पढ़ा था कि १४ मार्च २००९ को सुबह ११ बजे हिन्दी भवन, आईटीवो, नई दिल्ली में दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के हाथों १३ नई साहित्यिक कृतियों का विमोचन होगा। इन १३ पुस्तकों में हिन्द-युग्म के कहानीकार विमल चंद्र पाण्डेय का प्रथम कहानी-संग्रह 'डर' भी शामिल है। उल्लेखनीय है भारत की सर्वोच्च साहित्यिक संस्था भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा हर वर्ष दो लेखकों की कृतियों (एक गद्य तथा दूसरा पद्य में) को नवलेखन पुरस्कार दिया जाता है, जिसमें रु २५,००० ना नग़द इनाम और उस संग्रह का प्रकाशन शामिल है। वर्ष २००८ के गद्य का नवलेखन पुरस्कार विमल चंद्र पाण्डेय को उनके पहले कहानी-संग्रह 'डर' के लिए दिया गया है। आज सुबह ११ बजे इस पुस्तक का विमोचन भी होगा, इसी कार्यक्रम में विमल चंद्र पाण्डेय का कथापाठ भी होगा। अभी कुछ महीने पहले से हमने राकेश खण्डेलवाल के पहले कविता (गीत)-संग्रह 'अंधेरी रात का सूरज' का पॉडकास्ट और ऑनलाइन विमोचन कर हिन्दी पुस्तकों के विमोचन करने की परम्परा को नया रूप दिया है। अनुराग शर्मा तथा अन्य ५ कवियों के पहले कविता-संग्रह '