'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको नई-पुरानी, प्रसिद्ध-अल्पज्ञात, मौलिक-अनूदित, हर प्रकार की हिंदी कहानियाँ सुनवाते रहे हैं। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा  की आवाज़ में सुदर्शन रत्नाकर की लघुकथा " विश्वसनीय " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं उषा छाबड़ा  की बालकथा " खेल ", उन्हीं के स्वर में।   इस बालकथा का टेक्स्ट उनके ब्लॉग अनोखी पाठशाला  पर उपलब्ध है। इस बालकथा का कुल प्रसारण समय 3 मिनट 8 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।   यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।           इंसानियत की मशाल सब मिलकर उठाएँ  जश्न मानवता का एक जुट हों मनाएँ  चलो सब एक हो नया गीत गुनगुनाएँ  प्रेम के संदेश को जन जन में फैलाएँ  ~ उषा छाबड़ा   हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी    "बड़ी हुई तो क्या हुआ। मैं तो उससे बात भी नहीं करूंगा।" ...