ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 568/2010/268 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों, नमस्कार! 'कितना हसीं है मौसम', सी. रामचन्द्र को सपर्पित इस लघु शृंखला में आज हम चितलकर और साथियों का गाया एक जोश भरा गीत सुनेंगे। इस गीत के बारे में बताने से पहले आपको याद दिला दें कि कल की कड़ी में हम ज़िक्र कर रहे थे लता मंगेशकर और सी. रामचन्द्र के बीच के अनबन के बारे में। हमने कुछ कही सुनी बातें तो जानी, सी. रामचन्द्र का राजु भारतन को दिए इंटरव्यु के बारे में भी जाना; लेकिन इस चर्चा को तब तक पूरी नहीं मानी जा सकती जब तक हम लता जी से इसके बारे में ना पूछ लें। और हमारे इस काम को अंजाम दिया अमीन सायानी साहब ने जिन्होंने लता जी से इसके बारे में पूछा और लता जी ने विस्तार से बताया। लीजिए पेश है उस इंटरव्यु का वही अंश, यह प्रस्तुत हुआ था 'सरगम के सितारों की महफ़िल' रेडियो प्रोग्राम में। अमीन सायानी: सी. रामचन्द्र से क्या बात हो गई, कैसे अनबन हो गई, क्यों हो गई, और ना होती तो कितना अच्छा होता? लता मंगेशकर: (हँसते हुए) नहीं, अगर आप ऐसे सोचें तो मेरा दुश्मन कोई नहीं है, ना ही मैं किसी की दुश्मन हूँ। पर