स्वरगोष्ठी – 436 में आज 
भैरव थाट के राग – 2 : राग अहीर भैरव 
परवीन सुल्ताना से राग अहीर भैरव में निबद्ध खयाल और मन्ना डे से फिल्मी गीत सुनिए 
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| परवीन सुल्ताना | 
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| मन्ना डे | 
राग ‘अहीर भैरव’
 भैरव थाट का एक जन्य राग माना जाता है। इसके नाम से ही स्पष्ट हो जाता है 
कि यह राग भैरव का ही एक प्रकार है। इसमें ऋषभ और निषाद स्वर कोमल प्रयोग 
किये जाते हैं। यह सम्पूर्ण जाति का राग है, अर्थात राग के आरोह और अवरोह 
में सात-सात स्वरों का प्रयोग किया जाता है। राग अहीर भैरव के गायन-वादन का
 सबसे उपयुक्त समय दिन का प्रथम प्रहर अर्थात प्रातःकाल माना गया है। राग 
का वादी स्वर मध्यम और संवादी स्वर षडज होता है। राग के वादी-संवादी स्वरों
 के निर्धारण के विषय में विद्वानों में मतभेद है। कुछ विद्वान इस राग में 
षडज स्वर को वादी और मध्यम स्वर को संवादी मानते हैं। ऐसा मानने पर वादी- 
संवादी को समय की दृष्टि से अपवाद मानना पड़ेगा। राग के गायन-वादन का समय 
प्रातःकाल अतः इसे उत्तरांगवादी होना चाहिए। मध्यम के अतिरिक्त किसी अन्य 
स्वर को वादी नहीं माना जा सकता। पंचम स्वर अल्प है, धैवत स्वर को वादी 
मानने पर भैरव अंग कम हो जाएगा और निषाद स्वर किसी भी राग में वादी नहीं 
माना गया है। अतः मध्यम स्वर को ही वादी मानना अधिक उचित है। इससे किसी भी 
नियम का खण्डन नहीं होता। इस राग में मध्यम और कोमल ऋषभ स्वर की संगति तथा 
ऋषभ स्वर पर आन्दोलन भैरव अंग का परिचायक है। आलाप करते समय बीच-बीच में 
ऋषभ स्वर का प्रयोग करते हुए भैरव अंग दिखाते रहना पड़ता है, जिससे राग अहीर
 भैरव का स्वरूप बना रहता है। राग अहीर भैरव के शास्त्रीय स्वरूप का अनुभव 
करने के लिए अब हम आपके लिए विदुषी परवीन सुल्ताना के स्वर में इस राग के 
दो खयाल प्रस्तुत कर रहे हैं। यह वीडियो हम ‘यू-ट्यूब’ से साभार प्रस्तुत 
कर रहे हैं। विलम्बित खयाल के बोल हैं; “साजन ऐसे बन आए...” और द्रुत खयाल 
के बोल है; “मोहे छेड़ो ना गिरधारी...”।   
राग अहीर भैरव : विलम्बित और द्रुत खयाल : विदुषी परवीन सुल्ताना 
राग
 अहीर भैरव के कुछ और विशेषताओं की चर्चा भी आवश्यक है। दरअसल राग अहीर 
भैरव प्राचीन राग नहीं है, किन्तु आजकल इसका प्रचलन बहुत अधिक हो गया है। 
राग भैरव सुनने का अवसर भले ही कम हो किन्तु राग अहीर भैरव सुनने को अवश्य 
मिल जाएगा। कुछ विद्वान इस राग में भैरव और खमाज रागों का मिश्रण तो कुछ 
इसमें भैरव और काफी रागों का मिश्रण मानते हैं। राग अहीर भैरव के पूर्वांग 
में भैरव और उत्तरांग में खमाज या काफी के स्वर प्रयोग किये जाते हैं। भैरव
 अंग अधिक प्रबल होने के कारण इसका प्रत्येक आलाप भैरव अंग से ही समाप्त 
किया जाता है। वादी और गायन-वादन के समय की दृष्टि से यह राग उत्तरांग 
प्रधान है, किन्तु इसका चलन तीनों सप्तकों में समान रूप से होता है। इसमें 
कोमल ऋषभ, शुद्ध गांधार और शुद्ध मध्यम होने के कारण यह प्रातःकालीन 
सन्धिप्रकाश राग कहलाता है। आज हम एक ऐसा फिल्मी गीत प्रस्तुत करेंगे, जिसे
 राग ‘अहीर भैरव’ के स्वरों में पिरोया गया है। 1963 में संगीतकार सचिनदेव 
बर्मन द्वारा स्वरबद्ध गीतों से सजी फिल्म ‘मेरी सूरत तेरी आँखें’ 
प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म का एक सदाबहार गीत- ‘पुछो न कैसे मैंने रैन 
बिताई....’, राग ‘अहीर भैरव’ पर आधारित था। फिल्मों में इस गीत के अलावा 
इसी राग पर आधारित कई गीत रचे गए, किन्तु जो लोकप्रियता फिल्म ‘मेरी सूरत 
तेरी आँखें’ के गीत को प्राप्त हुई, वह अन्य गीतों को न मिल सकी। अद्धा 
तीनताल और कहरवा ताल में निबद्ध इस गीत के गीतकार शैलेन्द्र हैं।आप यह गीत सुनिए और हमें
 आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए। 
राग अहीर भैरव : “पूछो न कैसे मैंने रैन बिताई...” : मन्ना डे : फिल्म - मेरी सूरत तेरी आँखें 
संगीत पहेली 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 के 436वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1962 में प्रदर्शित एक 
फिल्म के गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक 
अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के सही 
उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों 
का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। 440वें अंक 
की पहेली का उत्तर प्राप्त होने तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, 
उन्हें वर्ष 2019 के चौथे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही 
पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की
 घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। 
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का स्पर्श है? 
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए। 
3 – इस गीत में मुख्य स्वर किस पार्श्वगायिका की है। 
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
 पर ही शनिवार, 5 अक्तूबर, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको 
यदि उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप 
पहेली प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
 देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर 
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
 के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 438 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में 
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या 
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी 
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता 
 
“स्वरगोष्ठी”
 के 434वें अंक की पहेली में हमने आपके लिए एक रागबद्ध गीत का एक अंश सुनवा
 कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक प्राप्त करने के लिए कम से कम दो 
प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा आपसे की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही
 उत्तर है; राग – भैरव, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – कहरवा तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – लता मंगेशकर।   
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, खण्डवा, मध्यप्रदेश से रविचन्द्र जोशी, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
 उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक 
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर 
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी 
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
 सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
 इसमें भाग ले सकते हैं।  
अपनी बात 
मित्रों,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
 नई श्रृंखला “भैरव थाट के राग” की दूसरी कड़ी में आज आपने जन्य राग अहीर 
भैरव का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस शैली के शास्त्रीय स्वरूप को समझने 
के लिए आपने सुविख्यात शास्त्रीय गायिका विदुषी परवीन सुलताना के स्वर में 
इस राग की एक रचना का रसास्वादन किया। राग अहीर भैरव की आधार पर रचे गए 
फिल्मी गीत के उदाहरण के लिए हमने आपके लिए सुप्रसिद्ध पार्श्वगायक मन्ना 
डे के स्वर में फिल्म “मेरे सूरत तेरी आँखें” का एक गीत प्रस्तुत किया। 
अगले अंक में हम भैरव थाट के एक जन्य राग का परिचय प्रस्तुत करेंगे। कुछ 
तकनीकी समस्या के कारण “स्वरगोष्ठी” की पिछली कुछ कड़ियाँ हम “फेसबुक” पर 
अपने कुछ मित्र समूह पर साझा नहीं कर पा रहे थे। सभी संगीत-प्रेमियों से 
अनुरोध है कि हमारी वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com
 पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें। 
“स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की 
प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी 
“स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया 
हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो
 तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका 
कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
 पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे। 
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र   
 राग अहीर भैरव : SWARGOSHTHI – 436 : RAG AHIR BHAIRAV : 29 सितम्बर, 2019


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