स्वरगोष्ठी – 417 में आज 
बिलावल थाट के राग – 5 : राग शंकरा   
उस्ताद विलायत खाँ से राग शंकरा की रचना और मुबारक बेगम से फिल्मी गीत सुनिए 
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| उस्ताद विलायत खां | 
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| मुबारक बेगम | 
राग शंकरा
 भारतीय संगीत का एक गम्भीर प्रकृति का राग है। मयूर वीणा के सुविख्यात 
वादक पण्डित श्रीकुमार मिश्र के अनुसार, यह राग मानव की अन्तर्व्यथा को 
आध्यात्म से जोड़ने वाले भावों की अभिव्यक्ति के लिए समर्थ होता है। 
औड़व-षाड़व जाति के राग शंकरा के आरोह में ऋषभ और मध्यम तथा अवरोह में मध्यम 
स्वर का प्रयोग नहीं किया जाता। शेष सभी स्वर शुद्ध प्रयोग होते हैं। 
उत्तरांग प्रधान इस राग का वादी स्वर पंचम और संवादी तार सप्तक का षडज स्वर
 होता है। रात्रि के दूसरे प्रहर में यह राग गाने-बजाने की परम्परा है। इस 
राग के स्वरूप के बारे में विद्वानो में कुछ मत-भिन्नता भी है। कुछ विद्वान
 इस राग को औड़व-औड़व जाति का मानते हैं, अर्थात आरोह और अवरोह, दोनों में 
ऋषभ और मध्यम स्वर का प्रयोग नहीं करते। एक अन्य मतानुसार केवल मध्यम स्वर 
ही वर्जित होता है। वर्तमान में राग शंकरा का  औड़व-षाड़व जाति ही अधिक 
प्रचलित है। आइए, अब हम आपको तंत्रवाद्य सितार पर एक मोहक गत सुनवा रहे 
हैं। विश्वविख्यात सितार-वादक उस्ताद विलायत खाँ से सभी संगीत-प्रेमी 
परिचित हैं। राग शंकरा की तीनताल में निबद्ध यह रचना उन्हीं की कृति है। आप
 इस आकर्षक सितार-वादन की रसानुभूति कीजिए। 
राग शंकरा : सितार पर तीनताल की गत : वादक उस्ताद विलायत खाँ 
वर्ष
 1966 में श्री विनायक चित्र द्वारा निर्मित और महेन्द्र प्राण द्वारा 
निर्देशित फिल्म ‘सुशीला’ प्रदर्शित हुई थी। मधुर गीतों के कारण यह फिल्म 
अत्यन्त सफल हुई थी। फिल्म के संगीतकार थे सी. अर्जुन, जिनकी प्रतिभा का 
उचित मूल्यांकन फिल्म संगीत के क्षेत्र में नहीं हुआ। 1 सितम्बर, 1933 को 
सिन्ध (वर्तमान पाकिस्तान) में जन्में सी. अर्जुन को संगीत अपने गायक पिता 
से विरासत में प्राप्त हुआ था। विभाजन के समय यह परिवार बड़ौदा आकर बस गया। 
सी. अर्जुन ने आरम्भ में कुछ समय तक रेलवे की नौकरी भी की, लेकिन संगीत के 
क्षेत्र में कुछ कर गुजरने के उद्देश्य से नौकरी छोड़ कर तत्कालीन बम्बई का 
रुख किया और यहाँ आकर संगीतकार बुलों सी. रानी के सहायक बन गए। उन दिनों 
गजलों के संगीत संयोजन में बुलों सी. रानी बड़े माहिर माने जाते थे। सी. 
अर्जुन ने गजल-संयोजन की कला उन्हीं से सीखी थी। स्वतंत्र संगीतकार के रूप 
में सी. अर्जुन की 1960 में प्रदर्शित प्रथम हिन्दी फिल्म ‘रोड नम्बर 303’ 
थी। इस फिल्म के गीत बेहद मोहक सिद्ध हुए। 1961 में प्रदर्शित फिल्म ‘मैं 
और मेरा भाई’ में सी. अर्जुन अपनी गजल-संयोजन की प्रतिभा को रेखांकित करने 
में सफल हुए। इस फिल्म के गीतकार जाँनिसार अख्तर थे। गीतकार और संगीतकार की
 इस जोड़ी ने इसके बाद कई फिल्मों में आकर्षक और लोकप्रिय गज़लों से फिल्म 
संगीत को समृद्ध किया। फिल्म ‘मैं और मेरा भाई’ में जाँनिसार अख्तर की 
लिखी, आशा भोसले और मुकेश के स्वरों में गायी सदाबहार गजल - ‘मैं अभी गैर हूँ मुझको अभी अपना न कहो...’
 ने सी. अर्जुन को अमर बना दिया। इस फिल्म के बाद उन्होने अपनी फिल्मों में
 स्तरीय गज़लों का सिलसिला जारी रखा। 1964 की फिल्म ‘पुनर्मिलन’ में- ‘पास बैठो तबीयत बहल जाएगी...’, 1965 की फिल्म ‘एक साल पहले’ में - ‘नज़र उठा कि ये रंगीं समाँ रहे न रहे...’ और 1966 में ‘चले हैं ससुराल’ जैसी कम बजट की फिल्म को भी उन्होने - ‘हमने तेरी वफ़ा का जफ़ा नाम रख दिया...’
 जैसी लोकप्रिय गजल से सँवार कर अपनी प्रतिभा का रेखांकन किया। गज़लों के 
श्रेष्ठ संगीतकार के रूप में सी. अर्जुन की सबसे सफल और लोकप्रिय 1966 की 
ही फिल्म थी ‘सुशीला’। इस फिल्म में उन्हें एक बार फिर जाँनिसार अख्तर का 
साथ मिला। इस फिल्म के सभी गीतों को अपार ख्याति मिली। गायिका मुबारक बेगम 
की आवाज़ में फिल्म की एक गजल - ‘बेमुरव्वत बेवफा बेगाना-ए-दिल आप हैं...’
 तो आज भी सदाबहार है। राग शंकरा पर आधारित यह गजल जाँनिसार अख्तर की शायरी
 और सी. अर्जुन के उत्कृष्ट संगीत के लिए सदा याद रखा जाएगा। इस लघु 
श्रृंखला के आज के अंक के लिए हमने राग शंकरा पर आधारित यही गीत चुना है। 
लीजिए, आप यह गीत सुनिए और मुझे आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति
 दीजिए। 
राग शंकरा : ‘बेमुरव्वत बेवफा बेगाना-ए-दिल आप हैं...’ : मुबारक बेगम : फिल्म - सुशीला 
संगीत पहेली 
 
“स्वरगोष्ठी”
 के 417वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1956 में प्रदर्शित एक 
फिल्म के राग आधारित गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर 
आपको दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो 
प्रश्नों के सही उत्तर देने आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा 
तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते 
हैं। 420वें अंक तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें वर्ष 2019
 के दूसरे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के 
प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की 
जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। 
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इस गीत में किस राग का स्पर्श है? 
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए। 
3 – इस गीत में किन युगल-गायकों के स्वर हैं? 
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
 पर ही शनिवार, 4 मई, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि 
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली 
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
 देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर 
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
 के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 419 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में 
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या 
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी 
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 के 415वें अंक की पहेली में हमने आपसे वर्ष 1960 में प्रदर्शित फिल्म 
“बंजारन” के एक गीत का एक अंश सुनवा कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक 
प्राप्त करने के लिए कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा की थी। 
पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – दुर्गा, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – कहरवा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – लता मंगेशकर और मुकेश।   
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, कल्याण, महाराष्ट्र से शुभा खाण्डेकर, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
 उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक 
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर 
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी 
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
 सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
 इसमें भाग ले सकते हैं।  
अपनी बात 
मित्रों,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर श्रृंखला 
“बिलावल थाट के राग” की चौथी कड़ी में आज आपने बिलावल थाट के राग “शंकरा” का
 परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए 
सुविख्यात सितार-वादक उस्ताद विलायत खाँ का बजाया तीनताल में एक रचना का 
रसास्वादन किया। इसके बाद इसी राग पर आधारित एक गीत फिल्म “सुशीला” से 
मुबारक बेगम के स्वर में प्रस्तुत किया गया। संगीतकार सी. अर्जुन ने इस गीत
 को राग शंकरा के स्वरों का आधार दिया है। “स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली 
कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। 
हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का 
अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और 
श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। हमारी 
वर्तमान अथवा अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो 
हमें swargoshthi@gmail.com
 पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे। 
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र   
 राग शंकरा : SWARGOSHTHI – 417 : RAG SHANKARA : 28 अप्रैल, 2019


Comments
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