स्वरगोष्ठी – 282 में आज 
पावस ऋतु के राग – 3 : मिलन की आतुरता और गौड़ मल्हार 
“गरजत बरसत भीजत आई लो...” 
‘रेडियो
 प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी 
श्रृंखला – “पावस ऋतु के राग” की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सभी
 संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आपको स्वरों के माध्यम से 
बादलों की उमड़-घुमड़, बिजली की कड़क और रिमझिम फुहारों में भींगने के लिए 
आमंत्रित करता हूँ। यह श्रृंखला, वर्षा ऋतु के रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत
 पर केन्द्रित है। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपसे वर्षा ऋतु में 
गाये-बजाए जाने वाले रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं पर चर्चा 
करेंगे। इसके साथ ही सम्बन्धित राग के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी 
प्रस्तुत करेंगे। भारतीय संगीत के अन्तर्गत मल्हार अंग के सभी राग पावस ऋतु
 के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में समर्थ हैं। आम तौर पर इन रागों का 
गायन-वादन वर्षा ऋतु में अधिक किया जाता है। इसके साथ ही कुछ ऐसे 
सार्वकालिक राग भी हैं जो स्वतंत्र रूप से अथवा मल्हार अंग के मेल से भी 
वर्षा ऋतु के अनुकूल परिवेश रचने में सक्षम होते हैं। इस श्रृंखला की तीसरी
 कड़ी में आज हम राग गौड़ मल्हार पर चर्चा करेंगे। इस राग के गायन-वादन से 
संगीतज्ञ वर्षा ऋतु में उपजने वाले भावों का सृजन करते हैं। आज की कड़ी में 
हम आपको पहले 1951 में प्रदर्शित फिल्म ‘मल्हार’ का एक गीत सुनवाते हैं। यह
 गीत लता मंगेशकर की आवाज़ में है और इसे संगीतकार रोशन ने राग गौड़ मल्हार 
के स्वरों में पिरोया है। इसके साथ ही राग का वास्तविक स्वरूप उपस्थित करने
 के लिए सुप्रसिद्ध गायिका विदुषी मालिनी राजुरकर के स्वर में राग गौड़ 
मल्हार में प्रस्तुत एक खयाल रचना सुनवा रहे हैं। ![]()  | 
| लता मंगेशकर | 
राग गौड़ मल्हार : ‘गरजत बरसत भीजत आई लो...’ : लता मंगेशकर : फिल्म - मल्हार  
![]()  | 
| मालिनी राजुरकर | 
राग गौड़ मल्हार : ‘गरजत बरसत भीजत आई लो...’ : विदुषी मालिनी राजुरकर   
संगीत पहेली 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 के 282वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको एक राग आधारित गीत का अंश 
सुनवा रहे हैं। इसे सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों
 के उत्तर देने हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 290वें अंक की पहेली के सम्पन्न होने 
के बाद तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस वर्ष की चौथी 
श्रृंखला (सेगमेंट) का विजेता घोषित किया जाएगा। 
1 – गीत के इस अंश को सुन का आपको किस राग का अनुभव हो रहा है? 
2 – गीत में प्रयोग किये गए ताल का नाम बताइए। 
3 – इस गीत में कण्ठ-स्वर को पहचानिए और हमे इस गायिका का नाम बताइए। 
आप उपरोक्त तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com  या  radioplaybackindia@live.com पर इस प्रकार भेजें कि हमें शनिवार, 10 सितम्बर, 2016 की मध्यरात्रि से पूर्व तक अवश्य प्राप्त हो जाए। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते है, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर 
भेजने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। इस पहेली के विजेताओं के नाम हम 
‘स्वरगोष्ठी’ के 284वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रकाशित और 
प्रसारित गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या 
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी 
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के विजेता 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 क्रमांक 280 की संगीत पहेली में हमने आपको 1998 में प्रदर्शित फिल्म ‘साज’
 से एक राग आधारित गीत का एक अंश सुनवा कर आपसे तीन प्रश्न पूछा था। आपको 
इनमें से किसी दो प्रश्न का उत्तर देना था। इस पहेली के पहले प्रश्न का सही
 उत्तर है- राग – मियाँ की मल्हार, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है – ताल – तीनताल तथा तीसरे प्रश्न का उत्तर है- स्वर – सुरेश वाडकर। 
इस
 बार की पहेली में पाँच प्रतिभागियों ने सही उत्तर देकर विजेता बनने का 
गौरव प्राप्त किया है। पहेली का सही उत्तर देने वाले प्रतिभागी हैं - 
चेरीहिल, न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी और पेंसिलवेनिया और अमेरिका से विजया राजकोटिया। इन सभी विजेताओं ने दो-दो अंक अर्जित किये है। सभी विजेता प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई। 
अपनी बात 
मित्रो,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ में हमारी 
श्रृंखला ‘पावस ऋतु के राग’ जारी है। आज के अंक में आपने राग गौड़ मल्हार का
 रसास्वादन किया। श्रृंखला के अगले अंक में हम पावस ऋतु के एक अन्य राग का 
परिचय प्राप्त करेंगे। ‘स्वरगोष्ठी’ साप्ताहिक स्तम्भ के बारे में हमारे 
पाठक और श्रोता नियमित रूप से हमें पत्र लिखते है। हम उनके सुझाव के अनुसार
 ही आगामी विषय निर्धारित करते है। हमारी अगली श्रृंखला के लिए आप अपने 
सुझाव हमे भेज सकते हैं। श्रृंखला “पावस ऋतु के राग” के लिए आप अपने सुझाव 
या फरमाइश ऊपर दिये गए ई-मेल पते पर शीघ्र भेजिए। हम आपकी फरमाइश पूर्ण 
करने का हर सम्भव प्रयास करेंगे। आपको हमारी यह श्रृंखला कैसी लगी? हमें 
ई-मेल अवश्य कीजिए। अगले रविवार को एक नए अंक के साथ प्रातः 8 बजे 
‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर आप सभी संगीतानुरागियों का हम स्वागत करेंगे। 
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र   
 


Comments