स्वरगोष्ठी – 215 में आज 
दस थाट, दस राग और दस गीत – 2 : बिलावल थाट 
'तेरे सुर और मेरे गीत दोनों मिल कर बनेगी प्रीत...'  
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक 
स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस
 गीत’ के दूसरे अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का 
हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के 
रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं।
 भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का 
प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5
 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है।
 सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट 
कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 
मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग 
किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ 
किया था। वर्तमान समय में रागों के वर्गीकरण के लिए यही पद्धति प्रचलित है।
 भातखण्डे जी द्वारा प्रचलित ये 10 थाट हैं- कल्याण, बिलावल, खमाज, भैरव, 
पूर्वी, मारवा, काफी, आसावरी, तोड़ी और भैरवी। इन्हीं 10 थाटों के अन्तर्गत 
प्रचलित-अप्रचलित सभी रागों को सम्मिलित किया गया है। श्रृंखला के आज के 
अंक में हम आपसे बिलावल थाट पर चर्चा करेंगे और इस थाट के आश्रय राग बिलावल
 में निबद्ध एक खयाल प्रस्तुत करेंगे। साथ ही इस थाट के अन्तर्गत वर्गीकृत 
राग बिहाग के स्वरों में पिरोया एक फिल्मी गीत का उदाहरण भी प्रस्तुत 
करेंगे। 
भारतीय संगीत के रागों को उनमें लगने वाले
 स्वरों के अनुसार वर्गीकृत करने की प्रणाली को थाट कहा जाता है। पण्डित 
विष्णु नारायण भातखण्डे ने कुल दस थाट के अन्तर्गत सभी रागों का वर्गीकरण 
किया था। उन्होने थाट के कुछ लक्षण बताए हैं। किसी भी थाट में कम से कम सात
 स्वरों का प्रयोग ज़रूरी है। थाट में ये सात स्वर स्वाभाविक क्रम में रहने
 चाहिये। अर्थात सा के बाद रे, रे के बाद ग आदि। थाट को गाया-बजाया नहीं जा
 सकता। इसके स्वरों के अनुकूल किसी राग की रचना की जा सकती है, जिसे गाया 
बजाया जा सकता है। एक थाट से कई रागों की रचना हो सकती है। इस श्रृंखला की 
पहली कड़ी में हमने आपको ‘कल्याण’ थाट का परिचय दिया था। आज का दूसरा थाट 
है- ‘बिलावल’। इस थाट में प्रयोग होने वाले स्वर हैं- सा, रे, ग, म, प, ध, 
नि अर्थात सभी शुद्ध स्वर का प्रयोग होता है। पण्डित विष्णु नारायण 
भातखण्डे कृत ‘क्रमिक पुस्तक मालिका’ (भाग-1) के अनुसार ‘बिलावल’ थाट का 
आश्रय राग ‘बिलावल’ ही है। इस थाट के अन्तर्गत आने वाले अन्य प्रमुख राग 
हैं- अल्हैया बिलावल, बिहाग, देशकार, हेमकल्याण, दुर्गा, शंकरा, पहाड़ी, 
भिन्न षडज, हंसध्वनि, माँड़ आदि। राग ‘बिलावल’ में सभी सात शुद्ध स्वरों का 
प्रयोग होता है। वादी स्वर धैवत और संवादी स्वर गांधार होता है। इस राग के 
गायन-वादन का समय प्रातःकाल का प्रथम प्रहर होता है। 
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| उस्ताद अब्दुल करीम खाँ | 
राग बिलावल : ‘प्यारा नज़र नहीं आवे...’ : उस्ताद अब्दुल करीम खाँ 
 
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| संगीतकार बसन्त देसाई | 
राग बिहाग : ‘तेरे सुर और मेरे गीत...’ : लता मंगेशकर : फिल्म – गूँज उठी शहनाई : संगीत – बसन्त देसाई
 
संगीत पहेली  
‘स्वरगोष्ठी’
 के 215वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको फिल्म में शामिल एक राग 
आधारित गीत का अंश सुनवा रहे हैं। इसे सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से 
किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। पहेली क्रमांक 220 के सम्पन्न होने
 तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस वर्ष की दूसरी 
श्रृंखला (सेगमेंट) का विजेता घोषित किया जाएगा। 
1 – गीत के इस अंश में किस राग का आभास हो रहा है? राग का नाम बताइए। 
2 – प्रस्तुत रचना किस ताल में निबद्ध है? ताल का नाम बताइए। 
3 - क्या आप गायिका की आवाज़ को पहचान रहे है? यदि हाँ, तो उनका नाम बताइए। 
आप इन प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
 पर ही शनिवार, 25 अप्रेल, 2015 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य नहीं होंगे। विजेता का नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 
217वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत किये गए गीत-संगीत, 
राग अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम
 सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस मंच पर स्वागत करते हैं। आप 
पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के विजेता 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 की 213वें अंक की संगीत पहेली में हमने आपको विख्यात गायक उस्ताद राशिद 
खाँ द्वारा प्रस्तुत खयाल का एक अंश सुनवा कर आपसे तीन में से किसी दो 
प्रश्न के उत्तर पूछे गए थे। पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग यमन, दूसरे 
प्रश्न का सही उत्तर है- मध्यलय तीनताल और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है- 
उस्ताद राशिद खाँ। इस बार की पहेली में पहले और दूसरे प्रश्न के सही उत्तर 
देकर तीनों प्रतिभागियों ने पूरे दो-दो अंक अर्जित किये हैं। तीसरे प्रश्न 
के उत्तर में तीनों प्रतिभागी भ्रमित हुए। जबलपुर से क्षिति तिवारी ने इस 
प्रश्न कोई उत्तर नहीं दिया है। हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी ने गायक 
कलाकार को उस्ताद अमीर खाँ के रूप में पहचाना है। पेंसिलवेनिया, अमेरिका की
 विजया राजकोटिया ने एकदम सही उत्तर तो नहीं दिया है, किन्तु उस्ताद राशिद 
खाँ के साथ पण्डित राजन मिश्र के नाम का विकल्प भी दिया है। तीनों 
प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई। 
अपनी बात 
 
मित्रो,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर इन 
दिनों हमारी लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ जारी है। श्रृंखला के
 आज के अंक में हमने आपसे बिलावल थाट और राग पर सोदाहरण चर्चा की। अगले अंक
 से हम एक और थाट के साथ उपस्थित होंगे। ‘स्वरगोष्ठी’ के विभिन्न अंकों के 
बारे में हमें पाठकों, श्रोताओं और पहेली के प्रतिभागियों के अनेक 
प्रतिक्रियाएँ और सुझाव मिलते हैं। प्राप्त सुझाव और फर्माइशों के अनुसार 
ही हम अपनी आगामी प्रस्तुतियों का निर्धारण करते हैं। आप भी यदि कोई सुझाव 
देना चाहते हैं तो आपका स्वागत है। अगले रविवार को प्रातः 9 बजे 
‘स्वरगोष्ठी’ के नये अंक के साथ हम उपस्थित होंगे। हमें आपकी प्रतीक्षा 
रहेगी। 
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र   
 


Comments
2. Addha Tintal
3. Preeti Sagar in film Bhumika