हम अपने आवाज़ के दुनिया के दोस्तों को समय-समय में भाषा-साहित्य, कला-संस्कृति जगत के कर्मवीरों से मिलवाते रहते हैं। और जब भी बात इंटरनेट पर इस दिशा में हो रहे सकारात्मक प्रयासों की होती है तो वेबमंच रेडियो सबरंग डॉट कॉम के संस्थापक चाँद शुक्ला हमारी आँखों के सामने आ जाते हैं। आज इन्हीं से रूबर होते हैं सुधा ओम ढींगरा की इनसे हुई एक गुफ्तगु के माध्यम से-
हदियाबाद, फगवाड़ा, पंजाब में एक बालक विविध भारती सुनता हुआ अक्सर कल्पना की दुनिया में पहुँच जाता और आकाशवाणी के संसार में खो जाता। उसे लगता कि उसकी आवाज़ भी रेडियो से आ रही है और जनता सुन रही है। इस स्वप्न का आनन्द लेते हुए वह किशोरावस्था से युवावस्था में पहुँच गया। कई बार उसे महसूस होता कि स्वप्न सच कहाँ होते हैं। पर फिर कहीं से एक आशा की किरण कौंध जाती, सपने साकार होते हैं। पढ़ाई पूरी कर, संघर्ष और चुनौतियों का सामना करते हुए वह युवक अमेरिका, जर्मन घूमते हुए डेनमार्क आ गया। उस समय पूरे यूरोप ने कम्युनिटी रेडियो की स्वीकृति दे दी थी। डेनमार्क पहला ऐसा देश है, जहाँ 1983 में कम्युनिटी रेडियोज़ की स्थापना हुई। कोई भी लाईसैंस ले कर रेडियो प्रोग्राम शुरू कर सकता था। कई लोगों ने अपने राज्य, अपने शहर, अपने एरिया में रेडियो प्रोग्राम शुरू कर लिए। युवक को अपने बचपन का सपना साकार होता महसूस हुआ। उसने ग्रास रूट ऑर्गेनाईजेशन 98.9 एफ़.एम से अपने कार्यक्रम के लिए समय माँगा और उन्होंने उस युवक की बात मान कर भारतीय प्रोग्राम के तहत उसे साथ ले लिया। अगस्त 1989 में उसने अनेकता में एकता का प्रतीक रेडियो सबरंग का प्रसारण शुरू किया। उस समय रेडियो सबरंग की रेंज 40-50 किलोमीटर होती थी और भारतीय, पाकिस्तानी, बंगलादेशी कहने का भाव हिन्दी, उर्दू समझते वाले सभी इस प्रोग्राम को सुनते, यह प्रोग्राम बहुत पापुलर हुआ। 15 वर्ष यह कार्यक्रम चला और बहुत से प्रसिद्ध, प्रतिष्ठित लोगों से फ़ोन पर सीधा सम्पर्क स्थापित कर रेडियो पर प्रसारण होता था। आज मैं आप की मुलाकात कई भाषाओं में परांगत उस व्यक्तित्व और आवाज़ से करवा रही हूँ जिसे सुनने को लोग लालायित रहते हैं और जिसकी स्वप्नशील आँखों और कल्पना ने वेब रेडियो सबरंग का रूप धरा-- अध्यक्ष Global Community Radio Broadcasters एवं डायरेक्टर वेब रेडियो सबरंग--नाम है चाँद शुक्ला 'हदियाबादी'.
चाँद जी, यह बताएँ कि रेडियो सबरंग वेब रेडियो सबरंग में कब और कैसे परिवर्तित हुआ?
सुधा जी, ऍफ़.एम रेडियो की जब रेंज कम हो गई तो महसूस हुआ कि हमारे श्रोता ही हमें सुन नहीं पा रहे तो हमने इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लाने का फैसला किया. पिछले कई वर्षों से नियमित प्रसारित होने वाला 'रेडियो सबरंग' ही हमने वेब रेडियो सबरंग में परिवर्तित कर दिया. यह वैश्विक समुदाय को एकजुट करने का एक सराहनीय और अनूठा प्रयास है. यह अनेकता में एकता का प्रतीक है। साहित्य और भाषा का एक ऐसा रेडियो वेब है जिसने अपनी सार्थक और प्रासंगिक सामग्री के कारण हिन्दी भाषा प्रेमियों के मध्य समस्त संसार में अपनी अलग पहचान बनाई है ।
विदेशों में अपनी भाषा में कुछ भी करने के लिए काफी चुनौतियों का सामना करता पड़ता है --आप को भी आई होंगी?
तकनीक ना जानने की कठिनाईयाँ आईं, आवाज़ तो हम दे सकते थे, लेकिन उसे मिक्सर से बाहर कैसे निकालना है यह चुनौती थी, पर ग्रास रूट ऑर्गेनाईजेशन वालों ने तकनीकि जानकार मुहैया करवाए. हमने इसे बारीकी से समझा और फिर कार्यक्रम चल निकला. मैंने इसमें दुनिया की नामवर हस्तियों के इंटरव्यू लिए -नेता, अभिनेता, पत्रकार, लेखक, कवि, शायर, कलाकार.
आप ने जिन हस्तियों के इंटरव्यू लिए हैं कुछेक नाम बताएँगे..हालाँकि नामों की लिस्ट तो बहुत लम्बी होगी...
जी, साहिबा --ज्ञानी ज़ैल सिंह, गुलाम नबी आज़ाद, सुषमा स्वराज, अरुण जेतली, किरण बेदी, अमृता प्रीतम , कुलदीप नैय्यर , आशा भोंसले, मन्ना डे , नुसरत फतेह अली , मेंहदी हसन, सुरिन्द्र कौर, सबरी ब्रदर्स, सुरेश वाडेकर, नरेन्द्र चंचल आदि...आदि
चाँद जी, वेब रेडियो सबरंग है क्या?
'रेडियो सबरंग' (डेनमार्क) से संचालित होने वाला हिन्दी साहित्य और भाषा का एक ऐसा रेडियो वेब है जिसने अपनी सार्थक और प्रासंगिक सामग्री के कारण हिन्दी भाषा प्रेमियों के मध्य समस्त संसार में अपनी अलग पहचान बनाई है । 'रेडियो सबरंग' में श्रोताओं के लिए 'सुर संगीत ' , 'कलामे- शायर ' ,'सुनो कहानी' तथा ' भूले बिसरे गीत ' जैसी वशिष्ट सामग्री को बेहद रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है । 'सुर संगीत' में श्रोता सुरीले गीतों तथा कविताओं का आनन्द ले सकते हैं. कवि /गीतकारों द्वारा रचित गीतों को बहुत मधुर संगीत में स्वरबद्ध करके प्रस्तुत किया गया है. जिसमें विश्वभर के सुप्रसिद्ध कवियों और गीतकारों की रचनाएँ स्वरबद्ध की गई हैं. कलामे शायर – इसमें विशेष बात यह है कि आप रचनाओं को स्वयं शायर/कवि की आवाज़ में सुनने का आनंद उठा सकते हैं .सुनो कहानी- 'रेडियो सबरंग' में हम कहानीकार को स्वयं की आवाज़ में कहानी सुनाते सुनेगें . यह बेहद रोमांचकारी अनुभव है. भूले- बिसरे गीत- इस के द्वारा हिन्दी फ़िल्मों के सदाबहार गीतों को प्रस्तुत किया गया है . अभी बहुत से कहानीकार, कवि, शायर इसमें आप और देखेंगे. कार्य धीरे -धीरे प्रगति कर रहा है. अपने वर्तमान स्वरुप में ' रेडियो सबरंग' साहित्य की विभिन्न विधाओं के रचनात्मक प्रस्तुतीकरण के कारण पूरे संसार में सुना और सराहा जा रहा है . कुल मिलाकर विदेश की धरती पर हिंदी भाषा को समर्पित 'रेडियो सबरंग' ने पूरे वैश्विक समुदाय को हिंदी भाषा और साहित्य के द्वारा एक सूत्र में बांधने का उल्लेखनीय कार्य किया हैं.
चाँद जी, आलोचक रेडियो सबरंग पर दोष लगते हैं कि इसमें अधिकतर मंचीय कवि/शायर हैं. समकालीन साहित्य दूर है. आप की चुनाव पद्धति क्या है?
मोहतरमा, नए पुराने हम नहीं देखते. हमने वैश्विक समुदाय से कई लोगों को अवसर दिया है और आगे भी देंगे. चुनाव पद्धति कहें या प्रणाली हम दमदार रचना /कलाम, अभिव्यक्ति और लुभावनी आवाज़ जो लोगों के दिलों को छू ले, ढूँढते हैं. आकर्षित करने वाले साहित्यकार जिन्हें लोग सुनने के लिए हमारे रेडियो पर आएँ, हम चाहते हैं. समकालीन साहित्य की बात करूँ तो कुछ नाम ले रहा हूँ - एस.आर. हरनोट, सूरज प्रकाश, इला प्रसाद, सुभाष नीरव, तेजेन्द्र शर्मा, सुधा ओम ढींगरा आदि क्या समकालीन साहित्यकार नहीं हैं..अभी तो शुरुआत है कुल तीन वर्ष ही हुए हैं और बड़ी कठिनाईयाँ आईं हैं. आगे -आगे देखिये होता है क्या ? हम भिन्न-भिन्न रूचि के लोगों के लिए हर तरह की सामग्री देना चाहते हैं. आखिर यह वैश्विक समुदाय की प्रस्तुति है और पूरे विश्व के लोगों के लिए है.
भविष्य में आप की योजनाएँ क्या हैं? वेब रेडियो सबरंग को आप कहाँ देखना चाहते हैं?
इनसे मिलें नया मंच शुरू करना चाहता हूँ जिसमें ऍफ़.एम रेडियो सबरंग की तरह बड़े -बड़े साहित्यकारों के फ़ोन पर इंटरव्यू ले कर लगाना चाहता हूँ , कलामे शायर और सुनो कहानी की तरह.
अभी तो अंतर्राष्ट्रीय सामग्री आ रही है. बाकि श्रोता जो सुझाव देंगे, उसके अनुसार इसे रंग रूप देते रहेंगे. परिवर्तन जीवन का नियम है. यह लोगों का अपना रेडियो है और उनकी राय का ध्यान रखा जायेगा.
कोई और स्वप्न जो अधूरा हो....?
मैडम, जब मैं डेनमार्क आया था तो एफ़. ऍम रेडियो को सुनकर सोचता था कि काश! भारत में भी ऐसा हो सके. तब मैंने और स्वर्गीय शमशेर सिंह शेर ने पंजाब केसरी के तत्त्वाधान में जालन्धर और दिल्ली में प्रेस काँफ्रैंसेस की थीं, और एफ़. ऍम रेडियो शरू करने के लिए एक पत्थर उछाला था, नारा बुलन्द किया था.. काम तो प्रसार भारती ने किया पर मुझे ख़ुशी है कि मेरा यह सपना भी पूरा हुआ- पूरे भारत में एफ़. ऍम रेडियो सुना जाता है...
बातचीत और प्रस्तुति-- सुधा ओम ढींगरा
हदियाबाद, फगवाड़ा, पंजाब में एक बालक विविध भारती सुनता हुआ अक्सर कल्पना की दुनिया में पहुँच जाता और आकाशवाणी के संसार में खो जाता। उसे लगता कि उसकी आवाज़ भी रेडियो से आ रही है और जनता सुन रही है। इस स्वप्न का आनन्द लेते हुए वह किशोरावस्था से युवावस्था में पहुँच गया। कई बार उसे महसूस होता कि स्वप्न सच कहाँ होते हैं। पर फिर कहीं से एक आशा की किरण कौंध जाती, सपने साकार होते हैं। पढ़ाई पूरी कर, संघर्ष और चुनौतियों का सामना करते हुए वह युवक अमेरिका, जर्मन घूमते हुए डेनमार्क आ गया। उस समय पूरे यूरोप ने कम्युनिटी रेडियो की स्वीकृति दे दी थी। डेनमार्क पहला ऐसा देश है, जहाँ 1983 में कम्युनिटी रेडियोज़ की स्थापना हुई। कोई भी लाईसैंस ले कर रेडियो प्रोग्राम शुरू कर सकता था। कई लोगों ने अपने राज्य, अपने शहर, अपने एरिया में रेडियो प्रोग्राम शुरू कर लिए। युवक को अपने बचपन का सपना साकार होता महसूस हुआ। उसने ग्रास रूट ऑर्गेनाईजेशन 98.9 एफ़.एम से अपने कार्यक्रम के लिए समय माँगा और उन्होंने उस युवक की बात मान कर भारतीय प्रोग्राम के तहत उसे साथ ले लिया। अगस्त 1989 में उसने अनेकता में एकता का प्रतीक रेडियो सबरंग का प्रसारण शुरू किया। उस समय रेडियो सबरंग की रेंज 40-50 किलोमीटर होती थी और भारतीय, पाकिस्तानी, बंगलादेशी कहने का भाव हिन्दी, उर्दू समझते वाले सभी इस प्रोग्राम को सुनते, यह प्रोग्राम बहुत पापुलर हुआ। 15 वर्ष यह कार्यक्रम चला और बहुत से प्रसिद्ध, प्रतिष्ठित लोगों से फ़ोन पर सीधा सम्पर्क स्थापित कर रेडियो पर प्रसारण होता था। आज मैं आप की मुलाकात कई भाषाओं में परांगत उस व्यक्तित्व और आवाज़ से करवा रही हूँ जिसे सुनने को लोग लालायित रहते हैं और जिसकी स्वप्नशील आँखों और कल्पना ने वेब रेडियो सबरंग का रूप धरा-- अध्यक्ष Global Community Radio Broadcasters एवं डायरेक्टर वेब रेडियो सबरंग--नाम है चाँद शुक्ला 'हदियाबादी'.
चाँद जी, यह बताएँ कि रेडियो सबरंग वेब रेडियो सबरंग में कब और कैसे परिवर्तित हुआ?
सुधा जी, ऍफ़.एम रेडियो की जब रेंज कम हो गई तो महसूस हुआ कि हमारे श्रोता ही हमें सुन नहीं पा रहे तो हमने इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लाने का फैसला किया. पिछले कई वर्षों से नियमित प्रसारित होने वाला 'रेडियो सबरंग' ही हमने वेब रेडियो सबरंग में परिवर्तित कर दिया. यह वैश्विक समुदाय को एकजुट करने का एक सराहनीय और अनूठा प्रयास है. यह अनेकता में एकता का प्रतीक है। साहित्य और भाषा का एक ऐसा रेडियो वेब है जिसने अपनी सार्थक और प्रासंगिक सामग्री के कारण हिन्दी भाषा प्रेमियों के मध्य समस्त संसार में अपनी अलग पहचान बनाई है ।
विदेशों में अपनी भाषा में कुछ भी करने के लिए काफी चुनौतियों का सामना करता पड़ता है --आप को भी आई होंगी?
तकनीक ना जानने की कठिनाईयाँ आईं, आवाज़ तो हम दे सकते थे, लेकिन उसे मिक्सर से बाहर कैसे निकालना है यह चुनौती थी, पर ग्रास रूट ऑर्गेनाईजेशन वालों ने तकनीकि जानकार मुहैया करवाए. हमने इसे बारीकी से समझा और फिर कार्यक्रम चल निकला. मैंने इसमें दुनिया की नामवर हस्तियों के इंटरव्यू लिए -नेता, अभिनेता, पत्रकार, लेखक, कवि, शायर, कलाकार.
आप ने जिन हस्तियों के इंटरव्यू लिए हैं कुछेक नाम बताएँगे..हालाँकि नामों की लिस्ट तो बहुत लम्बी होगी...
जी, साहिबा --ज्ञानी ज़ैल सिंह, गुलाम नबी आज़ाद, सुषमा स्वराज, अरुण जेतली, किरण बेदी, अमृता प्रीतम , कुलदीप नैय्यर , आशा भोंसले, मन्ना डे , नुसरत फतेह अली , मेंहदी हसन, सुरिन्द्र कौर, सबरी ब्रदर्स, सुरेश वाडेकर, नरेन्द्र चंचल आदि...आदि
चाँद जी, वेब रेडियो सबरंग है क्या?
'रेडियो सबरंग' (डेनमार्क) से संचालित होने वाला हिन्दी साहित्य और भाषा का एक ऐसा रेडियो वेब है जिसने अपनी सार्थक और प्रासंगिक सामग्री के कारण हिन्दी भाषा प्रेमियों के मध्य समस्त संसार में अपनी अलग पहचान बनाई है । 'रेडियो सबरंग' में श्रोताओं के लिए 'सुर संगीत ' , 'कलामे- शायर ' ,'सुनो कहानी' तथा ' भूले बिसरे गीत ' जैसी वशिष्ट सामग्री को बेहद रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है । 'सुर संगीत' में श्रोता सुरीले गीतों तथा कविताओं का आनन्द ले सकते हैं. कवि /गीतकारों द्वारा रचित गीतों को बहुत मधुर संगीत में स्वरबद्ध करके प्रस्तुत किया गया है. जिसमें विश्वभर के सुप्रसिद्ध कवियों और गीतकारों की रचनाएँ स्वरबद्ध की गई हैं. कलामे शायर – इसमें विशेष बात यह है कि आप रचनाओं को स्वयं शायर/कवि की आवाज़ में सुनने का आनंद उठा सकते हैं .सुनो कहानी- 'रेडियो सबरंग' में हम कहानीकार को स्वयं की आवाज़ में कहानी सुनाते सुनेगें . यह बेहद रोमांचकारी अनुभव है. भूले- बिसरे गीत- इस के द्वारा हिन्दी फ़िल्मों के सदाबहार गीतों को प्रस्तुत किया गया है . अभी बहुत से कहानीकार, कवि, शायर इसमें आप और देखेंगे. कार्य धीरे -धीरे प्रगति कर रहा है. अपने वर्तमान स्वरुप में ' रेडियो सबरंग' साहित्य की विभिन्न विधाओं के रचनात्मक प्रस्तुतीकरण के कारण पूरे संसार में सुना और सराहा जा रहा है . कुल मिलाकर विदेश की धरती पर हिंदी भाषा को समर्पित 'रेडियो सबरंग' ने पूरे वैश्विक समुदाय को हिंदी भाषा और साहित्य के द्वारा एक सूत्र में बांधने का उल्लेखनीय कार्य किया हैं.
चाँद जी, आलोचक रेडियो सबरंग पर दोष लगते हैं कि इसमें अधिकतर मंचीय कवि/शायर हैं. समकालीन साहित्य दूर है. आप की चुनाव पद्धति क्या है?
मोहतरमा, नए पुराने हम नहीं देखते. हमने वैश्विक समुदाय से कई लोगों को अवसर दिया है और आगे भी देंगे. चुनाव पद्धति कहें या प्रणाली हम दमदार रचना /कलाम, अभिव्यक्ति और लुभावनी आवाज़ जो लोगों के दिलों को छू ले, ढूँढते हैं. आकर्षित करने वाले साहित्यकार जिन्हें लोग सुनने के लिए हमारे रेडियो पर आएँ, हम चाहते हैं. समकालीन साहित्य की बात करूँ तो कुछ नाम ले रहा हूँ - एस.आर. हरनोट, सूरज प्रकाश, इला प्रसाद, सुभाष नीरव, तेजेन्द्र शर्मा, सुधा ओम ढींगरा आदि क्या समकालीन साहित्यकार नहीं हैं..अभी तो शुरुआत है कुल तीन वर्ष ही हुए हैं और बड़ी कठिनाईयाँ आईं हैं. आगे -आगे देखिये होता है क्या ? हम भिन्न-भिन्न रूचि के लोगों के लिए हर तरह की सामग्री देना चाहते हैं. आखिर यह वैश्विक समुदाय की प्रस्तुति है और पूरे विश्व के लोगों के लिए है.
भविष्य में आप की योजनाएँ क्या हैं? वेब रेडियो सबरंग को आप कहाँ देखना चाहते हैं?
इनसे मिलें नया मंच शुरू करना चाहता हूँ जिसमें ऍफ़.एम रेडियो सबरंग की तरह बड़े -बड़े साहित्यकारों के फ़ोन पर इंटरव्यू ले कर लगाना चाहता हूँ , कलामे शायर और सुनो कहानी की तरह.
अभी तो अंतर्राष्ट्रीय सामग्री आ रही है. बाकि श्रोता जो सुझाव देंगे, उसके अनुसार इसे रंग रूप देते रहेंगे. परिवर्तन जीवन का नियम है. यह लोगों का अपना रेडियो है और उनकी राय का ध्यान रखा जायेगा.
कोई और स्वप्न जो अधूरा हो....?
मैडम, जब मैं डेनमार्क आया था तो एफ़. ऍम रेडियो को सुनकर सोचता था कि काश! भारत में भी ऐसा हो सके. तब मैंने और स्वर्गीय शमशेर सिंह शेर ने पंजाब केसरी के तत्त्वाधान में जालन्धर और दिल्ली में प्रेस काँफ्रैंसेस की थीं, और एफ़. ऍम रेडियो शरू करने के लिए एक पत्थर उछाला था, नारा बुलन्द किया था.. काम तो प्रसार भारती ने किया पर मुझे ख़ुशी है कि मेरा यह सपना भी पूरा हुआ- पूरे भारत में एफ़. ऍम रेडियो सुना जाता है...
बातचीत और प्रस्तुति-- सुधा ओम ढींगरा
Comments
जी बहुतै पसन्द आई
bahoot achha intervew hua hai chaand hadiabadi ka
aap dono ko Badhai howe aap dono issi terhe se dunia me tareki kerte rehe
aapke Dershno ka Abhilashi
Shanti
shantishar@gmail.com
नीरज
App ki liye aik share araj hai...
tum woh diya ho jo roshan karta hai jahan ko...
dusron ki khatir jalta hai...
tumhari aik loo se..naa jane kitno ka bhavish chamakta hani...
Tum woh diya ho jo dosron ki liye jaltan hai..
dosron ki liye jalta hai..
bhagwan app ki umar lambi kare or app ease hi Hindustan ki janta ka bhala kartern rahen..
App ka apna....
Sunil Sahijpal
Arj hai...
Jab tujhe deka to laga ...
tujhse jann pehchan nahi hai...fir bhi kion apna sa lagtaa hai..
fir yaka yak yadd ayaa to to woh chand hai.. jo lakho dillon main bass ta hai...
Sunil Sahipal
साहित्य और संगीत के बीच में एक पुल बांध रखा है शुक्लाजी ने.
देवी नागरानी