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दूसरा कमरा (बोलती कहानियाँ सीज़न 1) पॉडकास्ट # 1

रेडियो प्लेबैक इंडिया के साप्ताहिक स्तम्भ ' बोलती कहानियाँ ' के अंतर्गत हम आपको सुनवाते हैं हिन्दी की नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। बोलती कहानियाँ (सीज़न 1) केे पॉडकास्ट # 1 में आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं गिरिजेश राव लिखित मार्मिक कथा " दूसरा कमरा ", अनुराग शर्मा ही के स्वर में। तो चलिए एक पौधा रोपते हैं और उसे जिलाते हैं।  ‍- गिरिजेश राव हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी "सबसे अच्छा बड़का है - स्टैंड पर टेबल फैन की तरह घूमता दोनों की बारी बारी सुनता है और जब आँखें फेरता है तो सुखद बयार बहा ले जाती है।” (गिरिजेश राव कृत "दूसरा कमरा" से एक अंश) यूट्यूब पर सुनिये एंकर पर सुनिये गूगल पॉडकास्ट पर सुनिये स्पॉटिफ़ाइ पर सुनिये कहानी " दूसरा कमरा " का कुल प्रसारण समय 6 मिनट 34 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहत

राग कल्याण (यमन) और शुद्ध कल्याण : SWARGOSHTHI – 502 : RAG KALYAN (YAMAN) & SHUDDH KALYAN

       स्वरगोष्ठी – 502 में आज   देशभक्ति गीतों में शास्त्रीय राग – 6   "ये चमन हमारा अपना है..." और  "जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया...", राग कल्याण (यमन) और शुद्ध कल्याण की दो रचनायें “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ "स्वरगोष्ठी" के मंच पर मैं सुजॉय चटर्जी, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ।  उन्नीसवीं सदी में देशभक्ति गीतों के लिखने-गाने का रिवाज हमारे देश में काफ़ी ज़ोर पकड़ चुका था। पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ा देश गीतों, कविताओं, लेखों के माध्यम से जनता में राष्ट्रीयता की भावना जगाने का काम करने लगा। जहाँ एक तरफ़ कवियों और शाइरों ने देशप्रेम की भावना से ओतप्रोत रचनाएँ लिखे, वहीं उन कविताओं और गीतों को अर्थपूर्ण संगीत में ढाल कर हमारे संगीतकारों ने उन्हें और भी अधिक प्रभावशाली बनाया। ये देशभक्ति की धुनें ऐसी हैं कि जो कभी हमें जोश से भर देती हैं तो कभी इनके करुण स्वर हमारी आँखें नम कर जाते हैं। कभी ये हमारा सर गर्व से ऊँचा कर देते हैं तो कभी इन्हें सुनते हुए हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इन देशभक्ति की रचनाओं में बहुत सी रचनाएँ

राग मियाँ की मल्हार में "करो सब निछावर" : SWARGOSHTHI – 501 : RAG MIAN KI MALHAR

      स्वरगोष्ठी – 501 में आज   देशभक्ति गीतों में शास्त्रीय राग – 5   "करो सब निछावर, बनो सब फ़कीर...", राग मियाँ मल्हार में देशभक्ति की वर्षा “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ "स्वरगोष्ठी" के मंच पर मैं सुजॉय चटर्जी, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, पिछले सप्ताह ’स्वरगोष्ठी’ के 500 अंक पूरे हुए। ’स्वरगोष्ठी’ का एक पड़ाव पार हुआ जहाँ तक इसे स्वर्गीय कृष्णमोहन मिश्र जी ने पहुँचाया। उनके इस प्रिय स्तम्भ को उनके जाने के बाद भी जीवित रखने के उद्देश्य से हम इसे तब तक आगे बढ़ाना चाहेंगे जब तक हमारे लिए यह सम्भव है। इसलिए आज इसकी 501-वीं कड़ी से हम इसे आगे बढ़ा रहे हैं। इस सफ़र में हमारा हमसफ़र बने रहने के लिए आप सभी संगीत रसिकों का बहुत-बहुत धन्यवाद! उन्नीसवीं सदी में देशभक्ति गीतों के लिखने-गाने का रिवाज हमारे देश में काफ़ी ज़ोर पकड़ चुका था। पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ा देश गीतों, कविताओं, लेखों के माध्यम से जनता में राष्ट्रीयता की भावना जगाने का काम करने लगा। जहाँ एक तरफ़ कवियों और शाइरों ने देशप्रेम की भावना से ओतप्रोत रचनाएँ लिखे, वहीं उन क