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ऑडियो: चुड़ैल (बलराम अग्रवाल)

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने पूजा अनिल के स्वर में उषा भदौरिया की लघुकथा नाव का धर्म का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं बलराम अग्रवाल की लघुकथा "चुड़ैल" , जिसे स्वर दिया है, अनुराग शर्मा ने। इस रचना का कुल प्रसारण समय 3 मिनट 16 सेकण्ड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानी, उपन्यास, नाटक, धारावाहिक, प्रहसन, झलकी, एकांकी, या लघुकथा को स्वर देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। बलराम अग्रवाल: 26 नवम्बर 1952 को बुलंदशहर में जन्म; हिंदी लघुकथा के महारथी। प्रकाशित पुस्तकों में सरसों के फूल, ज़ुबैदा, चन्ना चरनदास, दूसरा भीम प्रमुख। अनेक संकलनों का सम्पादन। विदेशी कहानियों व लघुकथाओं का अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद दो पुस्तकों को रूप में प्रकाशित। हर सप्ताह यहीं पर सुनिए एक नयी कहानी "वह विचार मन में आते ही मिसेज़ खन्ना सिर से पाँव तक जैसे हिल सी गयीं।" ( बलराम अग्रव

राग खमाज : SWARGOSHTHI – 489 : RAG KHAMAJ

स्वरगोष्ठी – 489 में आज   राज कपूर के विस्मृत संगीतकार – 5 : संगीतकार नौशाद “दिल को तेरी तस्वीर...” राज कपूर के लिए जब नौशाद ने रफी से पार्श्वगायन कराया उस्ताद निसार हुसैन खाँ  संगीतकार नौशाद  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ "स्वरगोष्ठी" के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “राज कपूर के विस्मृत संगीतकार" की पाँचवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम फिल्म निर्माता, निर्देशक और अभिनेता राज कपूर के फिल्मी जीवन के पहले दशक के कुछ विस्मृत संगीतकारों की और उनकी कृतियों पर चर्चा कर रहे हैं। इन फिल्मों में से राज कपूर ने कुछ फिल्मों का निर्माण, कुछ का निर्देशन और कुछ फिल्मों में केवल अभिनय किया था। आरम्भ के पहले दशक अर्थात 1948 में प्रदर्शित फिल्म "आग" से लेकर 1958 में प्रदर्शित फिल्म "फिर सुबह होगी" तक की चर्चा इस श्रृंखला में की जाएगी। आम तौर पर राज कपूर की फिल्मों के अधिकतर संगीतकार शंकर जयकिशन ही रहे हैं। उन्होने राज कपूर की कुल 20 फिल्मों का संगीत निर्देशन किया है। इसके अलावा बाद की कु

ऑडियो: नाव का धर्म (उषा भदौरिया)

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा के स्वर में कान्ता राॅय की लघुकथा चेहरा का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं उषा भदौरिया की लघुकथा "नाव का धर्म" , जिसे स्वर दिया है, पूजा अनिल  ने। इस रचना का कुल प्रसारण समय 3 मिनट 27 सेकण्ड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानी, उपन्यास, नाटक, धारावाहिक, प्रहसन, झलकी, एकांकी, या लघुकथा को स्वर देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। उषा भदौरिया: उभरती हुई हिंदी लेखिका, लंदन में निवास। हर सप्ताह यहीं पर सुनिए एक नयी कहानी "तेरे जीजू दो दिन के लिये बाहर गये हैं।" ( उषा भदौरिया की "नाव का धर्म" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाउनलोड कर लें:

राग काफी : SWARGOSHTHI – 488 : RAG KAFI

  आपको दीपोत्सव पर हार्दिक मंगलकामना  संगीतकार रोशन की पुण्यतिथि (16 नवम्बर) पर विशेष        स्वरगोष्ठी – 488 में आज   राज कपूर के विस्मृत संगीतकार – 4 : संगीतकार रोशन   राज कपूर द्वारा अभिनीत फिल्म "बावरे नैन" के गीतों को रोशन ने संगीतबद्ध किया था।  विदुषी मालिनी राजुरकर  संगीतकार रोशन  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ "स्वरगोष्ठी" के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “राज कपूर के विस्मृत संगीतकार" की चौथी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम फिल्म निर्माता, निर्देशक और अभिनेता राज कपूर के फिल्मी जीवन के पहले दशक के कुछ विस्मृत संगीतकारों की और उनकी कृतियों पर चर्चा कर रहे हैं। इन फिल्मों में से राज कपूर ने कुछ फिल्मों का निर्माण, कुछ का निर्देशन और कुछ फिल्मों में केवल अभिनय किया था। आरम्भ के पहले दशक अर्थात 1948 में प्रदर्शित फिल्म "आग" से लेकर 1958 में प्रदर्शित फिल्म "फिर सुबह होगी" तक की चर्चा इस श्रृंखला में की जाएगी। आम तौर पर राज कपूर की फिल्मों के अधिकतर संगीतकार शंक

ऑडियो: चेहरा (कान्ता राॅय)

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने कन्हैयालाल पाण्डेय के स्वर में उन्हीं की कहानी पूजाघर का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं कान्ता राॅय की लघुकथा "चेहरा" , जिसे स्वर दिया है, अनुराग शर्मा ने। इस रचना का कुल प्रसारण समय 3 मिनट 16 सेकण्ड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानी, उपन्यास, नाटक, धारावाहिक, प्रहसन, झलकी, एकांकी, या लघुकथा को स्वर देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। कान्ता राॅय: हिंदी लेखिका संघ मध्यप्रदेश, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, मध्यप्रदेश लेखक संघ, कलामंदिर भोपाल, विश्व मैत्री संघ मुंबई. सेवाभारती, आनंद आश्रम भोपाल की आजीवन सदस्य, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की सम्मानित सदस्य। हर सप्ताह यहीं पर सुनिए एक नयी कहानी "लेकिन उसकी अधेड़ावस्था के कारण विश्वास... या अविश्वास... शायद!" ( कान्ता राॅय की "चेहरा" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से स

राग काफी : SWARGOSHTHI – 487 : RAG KAFI

  स्वरगोष्ठी – 487 में आज   राज कपूर के विस्मृत संगीतकार - 3 : संगीतकार ज्ञानदत्त   "सुनहरे दिन" में राज कपूर के लिए कर्णप्रिय राग काफी पर आधारित गीत ज्ञानदत्त ने सँजोया   पण्डित भीमसेन जोशी  फिल्म 'सुनहरे दिन' में राज कपूर  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ "स्वरगोष्ठी" के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “राज कपूर के विस्मृत संगीतकार" की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम फिल्म निर्माता, निर्देशक और अभिनेता राज कपूर के फिल्मी जीवन के पहले दशक के कुछ विस्मृत संगीतकारों की और उनकी कृतियों पर चर्चा कर रहे हैं। इन फिल्मों में से राज कपूर ने कुछ फिल्मों का निर्माण, कुछ का निर्देशन और कुछ फिल्मों में केवल अभिनय किया था। आरम्भ के पहले दशक अर्थात 1948 में प्रदर्शित फिल्म "आग" से लेकर 1958 में प्रदर्शित फिल्म "फिर सुबह होगी" तक की चर्चा इस श्रृंखला में की जाएगी। आम तौर पर राज कपूर की फिल्मों के अधिकतर संगीतकार शंकर जयकिशन ही रहे हैं। उन्होने राज कपूर की कुल 20 फिल्मों

राग सिन्धु भैरवी : SWARGOSHTHI – 486 : RAG SINDHU BHAIRAVI

स्वरगोष्ठी – 486 में आज   राज कपूर के विस्मृत संगीतकार - 2 : संगीतकार नीनू मजुमदार   राज कपूर की स्मृति में नीनू मजूमदार की तीन दशक पहले राग सिन्धु भैरवी में बनाई धुन सुरक्षित थी  राज कपूर  उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर गत सप्ताह से आरम्भ हमारी श्रृंखला “राज कपूर के विस्मृत संगीतकार" की दूसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम फिल्म निर्माता, निर्देशक और अभिनेता राज कपूर के फिल्मी जीवन के पहले दशक के कुछ विस्मृत संगीतकारों की और उनकी कृतियों पर चर्चा कर रहे हैं। इन फिल्मों में से राज कपूर ने कुछ फिल्मों का निर्माण, कुछ का निर्देशन और कुछ फिल्मों में केवल अभिनय किया था। आरम्भ के पहले दशक अर्थात 1948 में प्रदर्शित फिल्म "आग" से लेकर 1958 में प्रदर्शित फिल्म "फिर सुबह होगी" तक की चर्चा इस श्रृंखला में की जाएगी। आम तौर पर राज कपूर की फिल्मों के अधिकतर संगीतकार शंकर जयकिशन ही रहे हैं। उन्होने राज कपूर की कुल 20 फिल्मों का संगीत निर्देशन किया