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ऑडियो: रानी माँ (कन्हैयालाल पाण्डेय)

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने शीतल माहेश्वरी के स्वर में साधना वैद की कहानी बोझ का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं कन्हैयालाल पाण्डेय की लघुकथा "रानी माँ" , जिसे स्वर दिया है, कन्हैयालाल पाण्डेय ने। इस रचना का कुल प्रसारण समय 3 मिनट 42 सेकण्ड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानी, उपन्यास, नाटक, धारावाहिक, प्रहसन, झलकी, एकांकी, या लघुकथा को स्वर देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। कन्हैयालाल पाण्डेय 4 नवम्बर, 1954 को हरदोई में जन्म। भारतीय रेल यातायात सेवा (सेवानिवृत्त)। हिन्दी में छह साहित्यिक तथा दो संगीत पुस्तकों का लेखन। साहित्य व संगीत के क्षेत्र में अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हर सप्ताह यहीं पर सुनिए एक नयी कहानी सासु माँ कहतीं, "दुलहिन से पूछ लो।" ( कन्हैयालाल पाण्डेय की "रानी माँ" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्ल

राग धानी : SWARGOSHTHI – 475 : RAG DHANI

स्वरगोष्ठी – 475 में आज  काफी थाट के राग – 19 : राग धानी  पण्डित जीतेन्द्र अभिषेकी से राग धानी में एक शास्त्रीय रचना और लता मंगेशकर से फिल्म का गीत सुनिए  जितेन्द्र अभिषेकी  लता मंगेशकर  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “काफी थाट के राग” की उन्नीसवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम से कम पाँच का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के बारह में से मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार समुदाय को थाट कहते हैं, जिससे राग उत्पन्न होते हों। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ क

राग मीरा अथवा मीराबाई की मल्हार : SWARGOSHTHI – 474 : RAG MIRA OR MIRABAI KI MALHAR

स्वरगोष्ठी – 474 में आज काफी थाट के राग – 18 : राग मीरा अथवा मीराबाई की मल्हार पण्डित अजय चक्रवर्ती से राग मीरा मल्हार में एक रचना और वाणी जयराम से फिल्म का गीत सुनिए पण्डित अजय चक्रवर्ती  वाणी जयराम  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “काफी थाट के राग” की अठारहवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम से कम पाँच का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के बारह में से मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार समुदाय को थाट कहते हैं, जिससे राग उत्पन्न होते हों। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी