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हरिशंकर परसाई: शर्म की बात पर ताली पीटना

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने शीतल माहेश्वरी के स्वर में संतोष श्रीवास्तव की कथा " चित्रों की ज़ुबान " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं हरिशंकर परसाई का व्यंग्य " शर्म की बात पर ताली पीटना ", जिसको स्वर दिया है शीतल माहेश्वरी ने। इस प्रस्तुति का कुल प्रसारण समय 10 मिनट 44 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। रचना का गद्य " हिंदी समय " पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। मेरी जन्म-तारीख 22 अगस्त 1924 छपती है। यह भूल है। तारीख ठीक है। सन् गलत है। सही सन् 1922 है। ।  ~ हरिशंकर परसाई (22 अगस्त, 1922 - 10 अगस्त, 1995) हर सप्ताह "बोलती कहानियाँ" पर सुनें एक नयी कहानी "जितना लाइट और लाउडस्पीकर वालों को दोगे, कम से कम उतना

राग मीरा मल्हार : SWARGOSHTHI – 431 : RAG MIRA MALHAR

स्वरगोष्ठी – 431 में आज वर्षा ऋतु के राग – 5 : मीरा मल्हार अथवा मीराबाई की मल्हार पण्डित अजय चक्रवर्ती से इस राग में बन्दिश और वाणी जयराम से फिल्मी गीत सुनिए पण्डित  रविशंकर पण्डित  अजय चक्रवर्ती “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ “स्वरगोष्ठी” के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला – “वर्षा ऋतु के राग” की पाँचवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आपको स्वरों के माध्यम से बादलों की उमड़-घुमड़, बिजली की कड़क और रिमझिम फुहारों में भींगने के लिए आमंत्रित करता हूँ। यह श्रृंखला, वर्षा ऋतु के रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत पर केन्द्रित है। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही सम्बन्धित राग के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी प्रस्तुत करेंगे। भारतीय संगीत के अन्तर्गत मल्हार अंग के सभी राग पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में समर्थ हैं। आम तौर पर इन रागों का गायन-वादन वर्षा ऋतु में अधिक किया जाता है। इसके

चित्रों की ज़ुबान (संतोष श्रीवास्तव)

रेडियो प्लेबैक इंडिया के साप्ताहिक स्तम्भ 'बोलती कहानियाँ' के अंतर्गत हम आपको सुनवाते हैं हिन्दी की नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने शीतल माहेश्वरी की आवाज़ में हरिशंकर परसाई का व्यंग्य ' पुराना खिलाड़ी" (उर्फ़ अपनी अपनी बीमारी) ' का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं संतोष श्रीवास्तव की कथा 'चित्रों की ज़ुबान' , शीतल माहेश्वरी के स्वर में। कथा "चित्रों की ज़ुबान" का कुल प्रसारण समय 27 मिनट 17 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का गद्य अंतरराष्ट्रीय द्वैभाषिक मासिक सेतु पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। जबलपुर में जन्मी संतोष श्रीवास्तव हिंदी साहित्य का एक पहचाना हस्ताक्षर हैं। वे कालिदास पुरस्कार, महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी प