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से रा यात्री की कहानी "अवांतर प्रसंग"

रेडियो प्लेबैक इंडिया के साप्ताहिक स्तम्भ 'बोलती कहानियाँ' के अंतर्गत हम आपको सुनवाते हैं हिन्दी की नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में  उन्हीं की लघुकथा " बलिहारी गुरु आपने " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं, हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार श्री  से रा यात्री की कहानी अवांतर प्रसंग ,  अनुराग शर्मा  के स्वर में। कहानी "अवांतर प्रसंग" का कुल प्रसारण समय 8 मिनट 26 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। भारतीय समाज की जो छद्म खुशहाली आज अजगर का आकार ग्रहण करते, मुद्रा प्रसार के समुद्र में डूबती-उतराती दीख पड़ती है, वह चार-पाँच दशक पहले तक अकल्पित थी। ~ से रा यात्री हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी &quo

राग केदार : SWARGOSHTHI – 405 : RAG KEDAR

स्वरगोष्ठी – 405 में आज कल्याण थाट के राग – 3 : राग केदार शुभा मुद्गल से राग केदार की बन्दिश और फिल्म 'नरसी भगत' का इसी राग में पिरोया गीत सुनिए विदुषी शुभा मुद्गल हेमन्त कुमार, सुधा मल्होत्रा और मन्ना डे “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी लघु श्रृंखला “कल्याण थाट के राग” के तीसरे अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट-व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन प

ऑडियो लघुकथा: बलिहारी गुरु आपने (अनुराग शर्मा)

रेडियो प्लेबैक इंडिया के साप्ताहिक स्तम्भ 'बोलती कहानियाँ' के अंतर्गत हम आपको सुनवाते हैं हिन्दी की नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने उषा छाबड़ा की आवाज़ में हिन्दी के प्रसिद्ध लेखक उदयन वाजपेयी की बोधकथा " शेर और कवया " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं अनुराग शर्मा की एक लघुकथा " बलिहारी गुरु आपने ", उन्हीं के स्वर में। कहानी "बलिहारी गुरु आपने" का कुल प्रसारण समय 1 मिनट 57 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा "बलिहारी गुरु आपने" का टेक्स्ट बर्ग वार्ता पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। मैं भारत से बाहर भारत मुझ में रहता है मेरी सब सीमाएँ राष्ट्र असीमित सहता है ~ अनुराग शर्मा हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी

राग कामोद : SWARGOSHTHI – 404 : RAG KAMOD

स्वरगोष्ठी – 404 में आज कल्याण थाट के राग – 2 : राग कामोद पण्डित राजन-साजन मिश्र से राग कामोद की बन्दिश और लता मंगेशकर से एक फिल्मी गीत सुनिए पण्डित राजन और साजन मिश्र लता मंगेशकर “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी नई लघु श्रृंखला “कल्याण थाट के राग” के दूसरे अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट-व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे

कल्याण थाट : SWARGOSHTHI – 403 : KALYAN THAT

स्वरगोष्ठी – 403 में आज कल्याण थाट के राग – 1 : राग कल्याण अर्थात यमन उस्ताद राशिद खाँ से राग कल्याण / यमन में खयाल और मोहम्मद रफी से एक फिल्मी गीत सुनिए उस्ताद राशिद खाँ मोहम्मद रफी “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से आरम्भ हो रही एक नई लघु श्रृंखला “कल्याण थाट के राग” के प्रथम अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट-व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारा

ऑडियो: शेर और कवया (उदयन वाजपेयी) - उषा छाबड़ा

लोकप्रिय स्तम्भ " बोलती कहानियाँ " के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा  के स्वर में   प्रियांकी मिश्रा  के संस्मरण " मेघ " का वाचन सुना था। आज प्रस्तुत है उदयन वाजपेयी की रोचक बालकथा ' शेर और कवया ', जिसे स्वर दिया है उषा छाबड़ा ने। यह कहानी तक्षशिला प्रकाशन की पत्रिका साइकिल में प्रकाशित हुई थी। इसका कुल प्रसारण समय 9 मिनट 4 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितने सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं आदि को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। विचारक, अनुवादक, पत्रकार, और साहित्यकार उदयन वाजपेयी का जन्म 04 जनवरी 1960 को सागर (मध्य प्रदेश) में हुआ था। कम-से-कम भारत में राष्ट्रवाद के उभरने के पीछे हमारा आधुनिकता की अन्ध-स्वीकृति और अपनी पारम्परिक दृष्टियों का उतना

वर्ष के महाविजेता - 2 : SWARGOSHTHI – 402 : MAHAVIJETA OF THE YEAR

स्वरगोष्ठी – 402 में आज महाविजेताओं की प्रस्तुतियाँ – 2 संगीत पहेली के महाविजेताओं क्षिति, हरिणा और प्रफुल्ल का उन्हीं की प्रस्तुतियों से अभिनन्दन क्षिति तिवारी डी.हरिणा माधवी "रेडियो प्लेबैक इण्डिया" के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर सभी संगीत-प्रेमियों का नए वर्ष के दूसरे अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। पिछले अंक में हमने आपसे ‘स्वरगोष्ठी’ स्तम्भ के बीते वर्ष की कुछ विशेष गतिविधियों की चर्चा की थी। साथ ही पहेली के दूसरे, तीसरे और चौथे महाविजेता डॉ. किरीट छाया, विजया राजकोटिया और शुभा खाण्डेकर से आपको परिचित कराया था और उनकी प्रस्तुतियों को भी सुनवाया था। इस अंक में भी हम गत वर्ष की कुछ अन्य गतिविधियों का उल्लेख करने के साथ ही संगीत पहेली के एक प्रथम और दो द्वितीय महाविजेताओं की घोषणा कर रहे हैं और उनका सम्मान भी कर रहे हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के पाठक और श्रोता जानते हैं कि इस स्तम्भ के प्रत्येक अंक में संगीत पहेली के माध्यम से हम हर सप्ताह भारतीय संगीत से जुड़े तीन प्रश्न देकर पूर