Skip to main content

Posts

ऑडियो: रामनिवास मानव की लघुकथा परिचित

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने शीतल माहेश्वरी के स्वर में दीपक मशाल की लघुकथा बेचैनी " का वाचन सुना था। आज प्रस्तुत है  रामनिवास मानव  की लघुकथा परिचित , जिसे स्वर दिया है शीतल माहेश्वरी ने। प्रस्तुत लघुकथा " परिचित " का कुल प्रसारण समय 2 मिनट 26 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। डॉ. रामनिवास मानव जन्म: 2 जुलाई 1954; तिगरा, महेन्द्रगढ़ (हरियाणा)। अब तक कुल बत्तीस पुस्तकें प्रकाशित। हरियाणा के समकालीन हिन्दी-साहित्य के प्रथम शोधार्थी तथा अधिकारी विद्वान। हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी "बिना ख़ाना-पूर्ति किये हम सामान तुम्हें कैसे दे सकते हैं?”  

राग भैरवी : SWARGOSHTHI – 385 : RAG BHAIRAVI

स्वरगोष्ठी – 385 में आज राग से रोगोपचार – 14 : सदा-सुहागिन राग भैरवी अस्वाभाविक शारीरिक और मानसिक समस्याओं से मुक्ति दिलाता है यह राग विदुषी परवीन सुल्ताना पण्डित भीमसेन जोशी ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “राग से रोगोपचार” की चौदहवीं और समापन कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, इस श्रृंखला के लेखक, संगीतज्ञ और इसराज तथा मयूरवीणा के सुविख्यात वादक पण्डित श्रीकुमार मिश्र के साथ आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मानव का शरीर प्रकृति की अनुपम देन है। बाहरी वातावरण के प्रतिकूल प्रभाव से मानव के तन और मन में प्रायः कुछ विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। इन विकृतियों को दूर करने के लिए हम विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों की शरण में जाते हैं। पूरे विश्व में रोगोपचार की अनेक पद्धतियाँ प्रचलित है। भारत में हजारों वर्षों से योग से रोगोपचार की परम्परा जारी है। प्राणायाम का तो पूरा आधार ही श्वसन क्रिया पर केन्द्रित होता है। संगीत में स्वरोच्चार भी श्वसन क्रिया पर केन्द्रित होते हैं। भारतीय संगीत

बोलती कहानियाँ: बेचैनी (लघुकथा)

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने शीतल माहेश्वरी के स्वर में शरद जोशी के व्यंग्य रेल यात्रा " का वाचन सुना था। आज प्रस्तुत है दीपक मशाल  की लघुकथा बेचैनी , जिसे स्वर दिया है शीतल माहेश्वरी ने। प्रस्तुत लघुकथा " बेचैनी " का कुल प्रसारण समय 2 मिनट 26 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। कुछ बड़े लोगों से मिला था कभी, तबसे कोई बड़ा नहीं लगता इतनी बौनी है दुनिया कि कोई, खड़ा हुआ भी खड़ा नहीं लगता  ~ दीपक मशाल हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी "हाँ जी पहुँच गये हैं गेट पर।”  ( दीपक मशाल की लघुकथा "बेचैनी" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें.