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चित्रकथा - 62: हिन्दी फ़िल्मों के महिला गीतकार (भाग-1)

अंक - 62 हिन्दी फ़िल्मों के महिला गीतकार (भाग-1) "अंबर की एक पाक सुराही..."  ’रेडियो प्लेबैक इंडिया’ के सभी पाठकों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार! फ़िल्म जगत एक ऐसा उद्योग है जो पुरुष-प्रधान है। अभिनेत्रियों और पार्श्वगायिकाओं को कुछ देर के लिए अगर भूल जाएँ तो पायेंगे कि फ़िल्म निर्माण के हर विभाग में महिलाएँ पुरुषों की तुलना में ना के बराबर रही हैं। जहाँ तक फ़िल्मी गीतकारों और संगीतकारों का सवाल है, इन विधाओं में तो महिला कलाकारों की संख्या की गिनती उंगलियों पर की जा सकती है। आज ’चित्रकथा’ में हम एक शोधालेख लेकर आए हैं जिसमें हम बातें करेंगे हिन्दी फ़िल्म जगत के महिला गीतकारों की, और उनके द्वारा लिखे गए यादगार गीतों की। आज का यह अंक समर्पित है महिला फ़िल्म गीतकारों को!  अ गर यह पूछा जाए कि किस महिला गीतकार की रचनाएँ सबसे ज़्यादा फ़िल्मों में सुनाई दी हैं, तो शायद इसका सही जवाब होगा मीराबाई। एक तरफ़ जहाँ यह एक सुन्दर और मन को शान्ति प्रदान करने वाली बात है, वहीं दूसरी ओर यह एक दुर्भाग्यजनक बात भी है कि जिस दे

राग बिलावल और बिहाग : SWARGOSHTHI – 363 : RAG BILAWAL & BIHAG

स्वरगोष्ठी – 363 में आज दस थाट, बीस राग और बीस गीत – 2 : बिलावल थाट उस्ताद अब्दुल करीम खाँ से राग बिलावल और लता मंगेशकर से बिहाग पर आधारित फिल्मी गीत  उस्ताद अब्दुल करीम खाँ लता मंगेशकर 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी नई श्रृंखला ‘दस थाट, बीस राग और बीस गीत’ के दूसरे अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नार

चित्रकथा - 61: अभिनेता नरेन्द्र झा को श्रद्धांजलि

अंक - 61 अभिनेता नरेन्द्र झा को श्रद्धांजलि फ़िल्मी चरित्र अभिनेता के रूप में नरेन्द्र झा 14 मार्च 2018 को जाने-माने चरित्र अभिनेता नरेन्द्र झा का मात्र 55 वर्ष की आयु में निधन हो गया। SRCC से अभिनय का डिप्लोमा, जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (JNU) से इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री, और सुन्दर कदकाठी के नरेन्द्र झा जब मायानगरी बम्बई में क़दम रखे, तो विज्ञापन जगत ने उन्हें फ़ौरन गले लगा लिया। ’दूरदर्शन’ के पहले ’टेली-सोप’ धारावाहिक ’शान्ति’ से नरेन्द्र झा की पहचान बनी और बीसियों धारावाहिकों में उन्होंने आगे चल कर काम किया। इन दिनों जारी ’योग गुरु बाबा रामदेव’ में भी वो अभिनय कर रहे थे। करीब दस साल तक धारावाहिकों में अभिनय के बाद 2002 में उन्हें पहली बार किसी फ़िल्म में अभिनय का मौका मिला। नरेन्द्र झा के अभिनय क्षमता का लोहा दिग्गज फ़िल्मकार भी मानते थे। श्याम बेनेगल ने अपनी एकाधिक कृतियों में उन्हें कास्ट किया। आइए आज ’चित्रकथा’ के इस अंक में हम नज़र डालें कुछ ऐसी बड़ी फ़िल्मों पर जिनमें नरेन्द्र झा द्वारा निभाए हुए किरदार यादगार रहे हैं। आज का यह अंक समर्पि