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भावनाओं का सम्बल - ज्योत्सना सिंह

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की कहानी दो घड़े का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं ज्योत्सना सिंह की लघुकथा "भावनाओं का सम्बल" , जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी का कुल प्रसारण समय 2 मिनट 25 सेकण्ड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। लघुकथा भावनाओं का सम्बल का गद्य  'सेतु' द्वैभाषिक पत्रिका  पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानी, उपन्यास, नाटक, धारावाहिक, प्रहसन, झलकी, एकांकी, या लघुकथा को स्वर देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। ज्योत्सना सिंह : इंडिया वॉच चैनल, लखनऊ पुस्तक मेला, दिल्ली विश्व पुस्तक मेला, केकेसी डिग्री कॉलेज, आदि में काव्य पाठ। नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण, अमर उजाला, जन ख़बर लाइव आदि दैनिक पेपर में रचनायें प्रकाशित। हर सप्ताह यहीं पर सुनिए एक नयी कहानी "तुम भी अच्छे चक्कर में फँस गए हो दादा

राग कलावती : SWARGOSHTHI – 360 : RAG KALAVATI

स्वरगोष्ठी – 360 में आज पाँच स्वर के राग – 8 : “मैका पिया बुलावे अपने मन्दिरवा...” विदुषी गंगूबाई हंगल से राग कलावती की बन्दिश और लता मंगेशकर व सुरेश वाडकर से फिल्म का गीत सुनिए विदुषी गंगूबाई हंगल सुरेश वाडकर और लता मंगेशकर ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला – “पाँच स्वर के राग” की आठवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के कुछ ऐसे रागों पर चर्चा कर रहे हैं, जिनमें केवल पाँच स्वरों का प्रयोग होता है। भारतीय संगीत में रागों के गायन अथवा वादन की प्राचीन परम्परा है। संगीत के सिद्धान्तों के अनुसार राग की रचना स्वरों पर आधारित होती है। विद्वानों ने बाईस श्रुतियों में से सात शुद्ध अथवा प्राकृत स्वर, चार कोमल स्वर और एक तीव्र स्वर; अर्थात कुल बारह स्वरो में से कुछ स्वरों को संयोजित कर रागों की रचना की है। सात शुद्ध स्वर हैं; षडज, ऋषभ, गान्धार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद। इन स्वरों में से षडज और पंचम अचल स्वर मान

चित्रकथा - 59: शम्मी आंटी को श्रद्धांजलि उनके संघर्ष की कहानी के साथ

अंक - 59 शम्मी आंटी को श्रद्धांजलि "प्यार की दुनिया में यह पहला क़दम..." 24 April 1929 – 6 March 2018 6 मार्च 2018 को जानीमानी अभिनेत्री शम्मी (शम्मी आंटी) का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। एक सशक्त अभिनेत्री, एक मिलनसार इंसान, और एक ख़ूबसूरत सितारा, यानी कि शम्मी आंटी। जी हाँ, प्यार से लोग उनके नाम के साथ "आंटी" लगाते हैं। शम्मी आंटी ने शुरुआत बतौर फ़िल्म नायिका की थीं, फिर आगे चल कर चरित्र अभिनेत्री और फिर टेलीविज़न के परदे पर भी ख़ूब लोकप्रियता हासिल की। अधिकतर कलाकारों का संघर्ष जहाँ उनके अरिअर के शुरुआती समय में होता है, वहाँ शम्मी जी का संघर्ष उस समय शुरु हुआ जब वो अपने करिअर के शीर्ष पर थीं। ऐसा क्यों? यही हम जानने की कोशिश करेंगे आज के ’चित्रकथा’ के इस अंक में। तो आइए पढ़ें शम्मी आंटी के संघर्ष की कहानी। आज के ’चित्रकथा’ का यह अंक समर्पित है अभिनेत्री शम्मी (आंटी) की पुण्य स्मृति को! श म्मी आंटी का असली नाम था नरगिस रबाड़ी। मात्र तीन वर्ष की आयु में पिता को खोने के बाद, उनकी माँ ने धार्म