Skip to main content

Posts

चित्रकथा - 25: हिन्दी फ़िल्म संगीत में गायिका सबिता चौधरी का योगदान

अंक - 25 गायिका सबिता चौधरी को श्रद्धांजलि "मन ना मोरे सता, देख मोहे बता..."  सबिता चौधरी (1945 - 2017) 29 जून 2017 को जानी-मानी गायिका सबिता चौधरी का 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बांग्ला फ़िल्मी व ग़ैर-फ़िल्मी गीतों की मशहूर गायिका सबिता जी ने कई हिन्दी फ़िल्मों के लिए भी पार्श्वगायन किया है। सुप्रसिद्ध संगीतकार सलिल चौधरी की पत्नी सबिता चौधरी का संगीत के धरोहर को समृद्ध करने में उल्लेखनीय योगदान रहा। आइए आज याद करें उन हिन्दी फ़िल्मी गीतों को जिनमें सबिता जी की आवाज़ शामिल हैे। आज के ’चित्रकथा’ का यह अंक समर्पित है स्वर्गीया सबिता चौधरी की पुण्य स्मृति को। क ल मुसलाधार बारिश हो रही थी। घर के बरामदे में बैठ कर बारिश को निहारता हुआ कुछ उदास सा हो गया था। एक कविता की पंक्तियाँ याद आ रही थीं - "उसकी हवा सारी ख़ुशी उड़ा ले गई, आज बारिश मुझे उदास कर गई। क्यों पता नहीं मेरा दिल दुखा गई, लगा ऐसे जैसे रोया हो बहुत, आसमाँ मेरी तरह, नहीं समझ आया क्या हुआ, बस मेरी आँख नम कर गई...।" और तभी बगल में बज रहे रेडियो पर सबित

गीत अतीत 19 || हर गीत की एक कहानी होती है || ओ रे कहारों || बेगम जान || कल्पना पटोवरी

Geet Ateet 19 Har Geet Kii Ek Kahaani Hoti Hai... O Re Kaharo Begum Jaan (Kausar Munir, Anu Malik ) Kalpana Patowary- Singer " यूँ  तो मैंने ३० भाषाओं के गीत गाये हैं, और लगभग हर जोनर में गाया है, फिर भी जो आसाम की कल्पना है,जो भोजपुरी गायिका कल्पना है उसे तलाश रहती है कि बॉलीवुड में कुछ ऐसे गीत मिले गाने को जिसमें हमारी अपनी संस्कृति की महक हो... ." -    कल्पना पटोवरी  जानिए कि कैसे एम् टीवी पर गाये एक खड़ी बिरहा गीत की बदौलत गायिका कल्पना को मिला बेगम जान का ये क्लास्सिक गीत, कौसर मुनीर ने है इसे लिखा और स्वरबद्ध किया है अनु मालिक ने, सुनिए कल्पना पटोवरी से "ओ रे कहारों" गीत की कहानी... प्ले पर क्लिक करे और सुनें .... डाउनलोड कर के सुनें  यहाँ  से.... सुनिए इन गीतों की कहानियां भी - ओ रे रंगरेज़ा (जॉली एल एल बी) मैनरलैस मजनूं (रंनिंग शादी डॉट कॉम) रंग (अरविन्द तिवारी, गैर फ़िल्मी सिंगल) हमसफ़र (बदरी की दुल्हनिया) सनशाईन (गैर फ़िल्मी सिंगल) हौले हौले (गैर फ़िल्मी सिंगल) कागज़ सी है ज़िन्दगी (जीना इसी का

भीष्म साहनी की "दो गौरय्या"

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने  अर्चना चावजी की आवाज़ में हिंदी साहित्यकार हरिशंकर परसाई के व्यंग्य " देशभक्ति की पॉलिश " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं भीष्म साहनी की कथा " दो गौरय्या ", जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। कहानी का कुल प्रसारण समय 12 मिनट 18 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। भीष्म साहनी (1915-2003) हर शुक्रवार को "बोलती कहानियाँ" पर सुनें एक नयी कहानी "घर के अंदर भी यही हाल है। बीसियों तो चूहे बसते हैं।" ( भीष्म साहनी की "दो गौरय्या" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें। (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) यदि

राग कामोद : SWARGOSHTHI – 323 : RAG KAMOD

स्वरगोष्ठी – 323 में आज संगीतकार रोशन के गीतों में राग-दर्शन – 9 : राग कामोद रोशन की जन्मशती वर्ष में मिश्र बन्धुओं और लता मंगेशकर से कामोद की बन्दिश सुनिए ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के मंच पर ‘स्वरगोष्ठी’ की जारी श्रृंखला “संगीतकार रोशन के गीतों में राग-दर्शन” की नौवीं कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, इस श्रृंखला में हम फिल्म जगत में 1948 से लेकर 1967 तक सक्रिय रहे संगीतकार रोशन के राग आधारित गीत प्रस्तुत कर रहे हैं। रोशन ने भारतीय फिल्मों में हर प्रकार का संगीत दिया है, किन्तु राग आधारित गीत और कव्वालियों को स्वरबद्ध करने में उन्हें विशिष्टता प्राप्त थी। भारतीय फिल्मों में राग आधारित गीतों को स्वरबद्ध करने में संगीतकार नौशाद और मदन मोहन के साथ रोशन का नाम भी चर्चित है। इस श्रृंखला में हम आपको संगीतकार रोशन के स्वरबद्ध किये राग आधारित गीतों में से कुछ गीतों को चुन कर सुनवा रहे हैं और इनके रागों पर चर्चा भी कर रहे हैं। इस परिश्रमी संगीतकार का पूरा नाम रोशन लाल नागरथ था। 14 जुलाई 1917 को तत्काल

चित्रकथा - 24: 2017 के मई - जून में प्रदर्शित फ़िल्मों का संगीत

अंक - 24 2017 के मई - जून में प्रदर्शित फ़िल्मों का संगीत "नाच मेरी जान होके मगन तू..."  ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ में आपका हार्दिक स्वागत है।  देखते ही देखते वर्ष 2017 का आधा पूरा हो गया। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हिन्दी फ़िल्म जगत में बहुत सी फ़िल्में बनती चली गईं। और इन फ़िल्मों के लिए गाने भी बनते चले गए। वर्ष के प्रथम चार महीनों के फ़िल्म-संगीत की समीक्षा ’चित्र

गीत अतीत 18 || हर गीत की एक कहानी होती है || जियो रे बाहुबली || बाहुबली 2 द कन्क्लुशन || संजीव चिम्मल्गी

Geet Ateet 18 Har Geet Kii Ek Kahaani Hoti Hai... Jiyo Re Bahubali... Bahubali 2 - The Conclusion (Also Feat. Daler Mehndi, Ramya Behara, MM Kreem ) Sanjeev Chimmalgi - Singer  " जब एम् एम् क्रीम जी ने मुझे पहली बार देखा तो कहने लगे कि मैं तो किसी सोच रहा था कि आप कोई पंडित जी टायप के होंगें कुरता धोती में पान चबाने वाले, पर आप तो जींस टी शर्ट वाले निकले  " -    संजीव चिम्माल्गी   जानिये कि क्यों पूरी रिकॉर्डिंग के दौरान बेचैन से रहे संगीतकार एम् एम् क्रीम साहब, हिंदुस्तान की सबसे कामियाब फिल्म बाहुबली २ द कन्क्लुशन के शीर्षक गीत के बनने की कहानी सुनिए, इस गीत के गायक संजीव चिम्मल्गी से आज गीत अतीत पर, गीत में संजीव का साथ दिया है रम्या बेहरा और दिलेर मेहँदी ने, बोल लिखे हैं मनोज मुन्तशिर ने... बिना देर किये प्ले का बट्टन दबाएँ और सुनें .... डाउनलोड कर के सुनें  यहाँ  से.... सुनिए इन गीतों की कहानियां भी - ओ रे रंगरेज़ा (जॉली एल एल बी) मैनरलैस मजनूं (रंनिंग शादी डॉट कॉम) रंग (अरविन्द तिवारी, गैर फ़िल्मी सिंगल) हमसफ़र (बदरी की द

हरिशंकर परसाई की देशभक्ति की पॉलिश

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने  अनुराग शर्मा  की आवाज़ में हिंदी साहित्यकार स्वयं प्रकाश की कहानी " अकाल मृत्यु " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं हरिशंकर परसाई का व्यंग्य " देशभक्ति की पॉलिश ", जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। कहानी का कुल प्रसारण समय 11 मिनट 23 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। मेरी जन्म-तारीख 22 अगस्त 1924 छपती है। यह भूल है। तारीख ठीक है। सन् गलत है। सही सन् 1922 है। ।  ~ हरिशंकर परसाई (1922-1995) हर शुक्रवार को "बोलती कहानियाँ" पर सुनें एक नयी कहानी "दोस्त, इतना लिखकर भारत माता तो चली गईं ..." ( हरिशंकर परसाई की "देशभक्ति की पॉलिश" से एक अंश ) नीचे के प्ले