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गीत अतीत 18 || हर गीत की एक कहानी होती है || जियो रे बाहुबली || बाहुबली 2 द कन्क्लुशन || संजीव चिम्मल्गी

Geet Ateet 18 Har Geet Kii Ek Kahaani Hoti Hai... Jiyo Re Bahubali... Bahubali 2 - The Conclusion (Also Feat. Daler Mehndi, Ramya Behara, MM Kreem ) Sanjeev Chimmalgi - Singer  " जब एम् एम् क्रीम जी ने मुझे पहली बार देखा तो कहने लगे कि मैं तो किसी सोच रहा था कि आप कोई पंडित जी टायप के होंगें कुरता धोती में पान चबाने वाले, पर आप तो जींस टी शर्ट वाले निकले  " -    संजीव चिम्माल्गी   जानिये कि क्यों पूरी रिकॉर्डिंग के दौरान बेचैन से रहे संगीतकार एम् एम् क्रीम साहब, हिंदुस्तान की सबसे कामियाब फिल्म बाहुबली २ द कन्क्लुशन के शीर्षक गीत के बनने की कहानी सुनिए, इस गीत के गायक संजीव चिम्मल्गी से आज गीत अतीत पर, गीत में संजीव का साथ दिया है रम्या बेहरा और दिलेर मेहँदी ने, बोल लिखे हैं मनोज मुन्तशिर ने... बिना देर किये प्ले का बट्टन दबाएँ और सुनें .... डाउनलोड कर के सुनें  यहाँ  से.... सुनिए इन गीतों की कहानियां भी - ओ रे रंगरेज़ा (जॉली एल एल बी) मैनरलैस मजनूं (रंनिंग शादी डॉट कॉम) रंग (अरविन्द तिवारी, गैर फ़िल्मी सिंगल) हमसफ़र (बदरी की द

हरिशंकर परसाई की देशभक्ति की पॉलिश

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने  अनुराग शर्मा  की आवाज़ में हिंदी साहित्यकार स्वयं प्रकाश की कहानी " अकाल मृत्यु " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं हरिशंकर परसाई का व्यंग्य " देशभक्ति की पॉलिश ", जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। कहानी का कुल प्रसारण समय 11 मिनट 23 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। मेरी जन्म-तारीख 22 अगस्त 1924 छपती है। यह भूल है। तारीख ठीक है। सन् गलत है। सही सन् 1922 है। ।  ~ हरिशंकर परसाई (1922-1995) हर शुक्रवार को "बोलती कहानियाँ" पर सुनें एक नयी कहानी "दोस्त, इतना लिखकर भारत माता तो चली गईं ..." ( हरिशंकर परसाई की "देशभक्ति की पॉलिश" से एक अंश ) नीचे के प्ले

राग भैरवी : SWARGOSHTHI – 322 : RAG BHAIRAVI

स्वरगोष्ठी – 322 में आज संगीतकार रोशन के गीतों में राग-दर्शन – 8 : राग भैरवी रोशन की जन्मशती वर्ष में विदुषी प्रभा अत्रे और मन्ना डे से राग भैरवी के गीत सुनिए ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के मंच पर ‘स्वरगोष्ठी’ की जारी श्रृंखला “संगीतकार रोशन के गीतों में राग-दर्शन” की आठवीं कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, इस श्रृंखला में हम फिल्म जगत में 1948 से लेकर 1967 तक सक्रिय रहे संगीतकार रोशन के राग आधारित गीत प्रस्तुत कर रहे हैं। रोशन ने भारतीय फिल्मों में हर प्रकार का संगीत दिया है, किन्तु राग आधारित गीत और कव्वालियों को स्वरबद्ध करने में उन्हें विशिष्टता प्राप्त थी। भारतीय फिल्मों में राग आधारित गीतों को स्वरबद्ध करने में संगीतकार नौशाद और मदन मोहन के साथ रोशन का नाम भी चर्चित है। इस श्रृंखला में हम आपको संगीतकार रोशन के स्वरबद्ध किये राग आधारित गीतों में से कुछ गीतों को चुन कर सुनवा रहे हैं और इनके रागों पर चर्चा भी कर रहे हैं। इस परिश्रमी संगीतकार का पूरा नाम रोशन लाल नागरथ था। 14 जुलाई 1917 को

चित्रकथा - 23: उत्तर प्रदेश के 12 लोकप्रिय लोक-गीतों पर आधारित 12 फ़िल्मी गाने (भाग - 2)

अंक - 23 उत्तर प्रदेश के 12 लोकप्रिय लोक-गीतों पर आधारित 12 फ़िल्मी गाने "चले आओ सैयाँ, रंगीले मैं वारी..."  ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ में आपका हार्दिक स्वागत है।  विश्व के हर में लोक-संगीत का अलग ही मुकाम है। संगीत की यह वह धारा है जिसे गाने के लिए किसी कौशल और शिक्षा की ज़रूरत नहीं पड़ती। यह तो लोक संगीत है जिसे हर कोई गा सकता है अपने तरीके से। भारत में लोक-संगी

गीत अतीत 17 || हर गीत की एक कहानी होती है || रिश्ता || लाली की शादी में लडडू दीवाना || ग़ुलाम मोहम्मद खावर

Geet Ateet 17 Har Geet Kii Ek Kahaani Hoti Hai... Rishta Laali Ki Shadi Men Laaddoo Diwana (Ankit Tiwari, Arko ) Ghulam Mohd khavar- Lyricist " अर्को ने कहा कि उनके पास रोज़ सैकड़ों गीत आते हैं, पर जब वो गिटार के साथ मेरे गीत को लेकर बैठे तो धुन खुद ब खुद जेहन में आने लगी.... ." - ग़ुलाम मोहम्मद खावर  जानिये फिल्म लाली की शादी में लडडू दीवाना के गीत "रिश्ता" के बनने की कहानी गीतकार ग़ुलाम मोहम्मद खावर से, संगीतकार हैं अर्को और उनके साथ इस गीत को गाया है अंकित तिवारी ने... प्ले पर क्लिक करे और सुनें .... डाउनलोड कर के सुनें  यहाँ  से.... सुनिए इन गीतों की कहानियां भी - ओ रे रंगरेज़ा (जॉली एल एल बी) मैनरलैस मजनूं (रंनिंग शादी डॉट कॉम) रंग (अरविन्द तिवारी, गैर फ़िल्मी सिंगल) हमसफ़र (बदरी की दुल्हनिया) सनशाईन (गैर फ़िल्मी सिंगल) हौले हौले (गैर फ़िल्मी सिंगल) कागज़ सी है ज़िन्दगी (जीना इसी का नाम है)  बेखुद (गैर फ़िल्मी सिंगल) इतना तुम्हें (मशीन)  आ गया हीरो (आ गया हीरो) ये मैकदा (गैर फ़िल्मी ग़ज़ल) पूरी कायनात (पूर्णा)

स्वयं प्रकाश की कथा अकाल मृत्यु

लोकप्रिय स्तम्भ " बोलती कहानियाँ " के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। इस शृंखला में पिछली बार आपने अर्चना चावजी के स्वर में रबींद्रनाथ ठाकुर की कथा भिखारिन का वाचन सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं स्वयं प्रकाश की कथा अकाल मृत्यु , जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। प्रस्तुत अंश का कुल प्रसारण समय 8 मिनट 51 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का पद्य हिंदी समय पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। लेखक: स्वयं प्रकाश जन्म: 20 जनवरी, 1947 सम्मान: राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार, वनमाली स्मृति पुरस्कार, सुभद्राकुमारी चौहान पुरस्कार, पहल पुरस्‍कार हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी इम्मी के हाथ में एक छींका था जिसमें

राग तोड़ी : SWARGOSHTHI – 321 : RAG TODI

स्वरगोष्ठी – 321 में आज संगीतकार रोशन के गीतों में राग-दर्शन – 7 : राग तोड़ी राग तोड़ी में विदुषी मालिनी राजुरकर से खयाल और लता मंगेशकर से गीत सुनिए ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के मंच पर ‘स्वरगोष्ठी’ की जारी श्रृंखला “संगीतकार रोशन के गीतों में राग-दर्शन” की सातवीं कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, इस श्रृंखला में हम फिल्म जगत में 1948 से लेकर 1967 तक सक्रिय रहे संगीतकार रोशन के राग आधारित गीत प्रस्तुत कर रहे हैं। रोशन ने भारतीय फिल्मों में हर प्रकार का संगीत दिया है, किन्तु राग आधारित गीत और कव्वालियों को स्वरबद्ध करने में उन्हें विशिष्टता प्राप्त थी। भारतीय फिल्मों में राग आधारित गीतों को स्वरबद्ध करने में संगीतकार नौशाद और मदन मोहन के साथ रोशन का नाम भी चर्चित है। इस श्रृंखला में हम आपको संगीतकार रोशन के स्वरबद्ध किये राग आधारित गीतों में से कुछ गीतों को चुन कर सुनवा रहे हैं और इनके रागों पर चर्चा भी कर रहे हैं। इस परिश्रमी संगीतकार का पूरा नाम रोशन लाल नागरथ था। 14 जुलाई 1917 को तत्कालीन पश्च