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गीत अतीत 10 || हर गीत की एक कहानी होती है || आ गया हीरो || आ गया हीरो || आर्घ्या बैनर्जी

Geet Ateet 10 Har Geet Kii Ek Kahaani Hoti Hai... Aa Gaya Hero Aa Gaya Hero Arghya Banerjee - Composer & Singer गोविंदा की ताज़ातरीन फिल्म "आ गया हीरो" के शीर्षक गीत की चर्चा आज गीत अतीत में, अराफात महमूद के लिखे और अर्घ्य बैनर्जी के गाये इस गीत के संगीतकार भी खुद अर्घ्य ही हैं, सुनिए अर्घ्य बैनर्जी से इस गीत से जुडी कुछ दिलचस्प बातें, प्ले पर क्लिक करें और आनंद लें..... डाउनलोड कर के सुनें  यहाँ  से.... सुनिए इन गीतों की कहानियां भी - ओ रे रंगरेज़ा (जॉली एल एल बी) मैनरलैस मजनूं (रंनिंग शादी डॉट कॉम) रंग (अरविन्द तिवारी, गैर फ़िल्मी सिंगल) हमसफ़र (बदरी की दुल्हनिया) सनशाईन (गैर फ़िल्मी सिंगल) हौले हौले (गैर फ़िल्मी सिंगल) कागज़ सी है ज़िन्दगी  बेखुद  इतना तुम्हें  

मधुदीप गुप्ता की लघुकथा - मज़हब

लोकप्रिय स्तम्भ " बोलती कहानियाँ " के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। इस शृंखला में पिछली बार आपने अनुराग शर्मा के स्वर में (स्वर्गीय) डॉ. सतीश दुबे की लघुकथा श्रद्धांजलि का वाचन सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं मधुदीप गुप्ता की लघुकथा मज़हब , जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। प्रस्तुत अंश का कुल प्रसारण समय 2 मिनट 51 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। लेखक: मधुदीप गुप्ता जन्म: 1-5-1950; दुजाना (हरियाणा) सम्प्रति: निदेशक, दिशा प्रकाशन लघुकथा शृंखला ‘पड़ाव और पड़ताल’ के 20 खण्डों के सम्पादन/संयोजन हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी हाँ बाबा, आप सोजुद्दीन हैं।  (मधुदीप गुप्ता की लघुकथा 'मज़हब&

श्रद्धांजलि : SWARGOSHTHI – 314 : A TRIBUTE

स्वरगोष्ठी – 314 में आज विशेष अंक : किशोरी ताई को भावभीनी श्रद्धांजलि फिल्म “भिन्न षडज” के माध्यम से विदुषी किशोरी अमोनकर की स्मृतियों को सादर नमन ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के मंच पर ‘स्वरगोष्ठी’ के विशेष अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, आज के इस अंक में हम भारतीय संगीत जगत की सुप्रसिद्ध गायिका विदुषी किशोरी अमोनकर को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। विगत 3 अप्रैल 2017 को शास्त्रीय संगीत की सुप्रसिद्ध गायिका पद्मविभूषण किशोरी अमोनकर का 84 वर्ष की आयु में देहावसान हो जाने से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत जगत को गहरी क्षति पहुँची है। शास्त्रीय संगीत जगत में किशोरी जी का जो स्थान रिक्त हुआ है, उसकी पूर्ति हो पाना सम्भव नहीं है। संयोग से निधन के अगले सप्ताह सोमवार 10 अप्रैल को किशोरी जी का जन्मदिवस था। आज के इस विशेष अंक में हम किशोरी अमोनकर जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर निर्मित एक फिल्म का प्रदर्शन आपके लिए कर रहे हैं। सुप्रसिद्ध फ़िल्मकार अमोल पालेकर और संध्या गोखले द्वारा निर्देशित इस फिल्

चित्रकथा - 15: नक़्श लायलपुरी के लिखे 60 मुजरे (भाग - 1)

अंक - 15 नक़्श लायलपुरी के लिखे 60 मुजरे - भाग 1 "भरोसा कर लिया जिस पर, उसी ने हमको लूटा है..."  ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ में आपका हार्दिक स्वागत है।  एक बार ’विविध भारती’ के एक साक्षात्कार में गीतकार नक़्श लायलपुरी साहब ने फ़रमाया था कि उन्होंने क़रीब 60 मुजरे लिखे हैं जो कि अलग-अलग रंग, अलग-अलग मिज़ाज के हैं। उन्होंने श्रोताओं से इन्हें सुनने का भी सुझाव दिया था। य

गीत अतीत 09 || हर गीत की एक कहानी होती है || इतना तुम्हें || मशीन || अराफात महमूद

Geet Ateet 09 Har Geet Ki Ek Kahani Hoti Hai... Itna Tumhe Machine  Arafat Mehmood - Lyricist Add caption अब्बास मस्तान निर्देशित "मशीन" का गीत 'इतना तुम्हें' फिल्म के प्रोमो से पहले जारी हुआ, और खूब पसंद किया गया, ९० के दशक में आई फिल्म "यलगार" के गीत 'आखिर तुम्हें आना है' का रीक्रिएशन है ये गीत, जिसे नए अंदाज़ में ढाला है तनिष्क बागची ने, गाया है यासीर देसाई और शाशा तिरुपति ने, और लिखा है अराफात महमूद ने, सुनते है गीतकार अराफात महमूद की जुबानी, इतना तुम्हें गीत के बनने की कहानी....  डाउनलोड कर के सुनें  यहाँ  से.... सुनिए इन गीतों की कहानियां भी - ओ रे रंगरेज़ा (जॉली एल एल बी) मैनरलैस मजनूं (रंनिंग शादी डॉट कॉम) रंग (अरविन्द तिवारी, गैर फ़िल्मी सिंगल) हमसफ़र (बदरी की दुल्हनिया) सनशाईन (गैर फ़िल्मी सिंगल) हौले हौले (गैर फ़िल्मी सिंगल) कागज़ सी है ज़िन्दगी  बेखुद 

चैत्र की चैती : SWARGOSHTHI – 313 : CHAITRA KI CHAITI

स्वरगोष्ठी – 313 में आज फागुन के रंग – 5 : चैती गीतों का लालित्य विदुषी गिरिजा देवी के स्वरों में सुनिए – “चैत मासे चुनरी रंगइबे हो रामा, पिया घर लइहें...” ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के मंच पर ‘स्वरगोष्ठी’ की श्रृंखला “फागुन के रंग” की पाँचवीं और समापन कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, इस श्रृंखला में हम आपसे फाल्गुनी संगीत पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय पंचांग के अनुसार बसन्त ऋतु की आहट माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही मिल जाती है। बसन्त ऋतु के आगमन के साथ ऋतु के अनुकूल गायन-वादन का सिलसिला आरम्भ हो जाता है। इस ऋतु में राग बसन्त और राग बहार आदि का गायन-वादन किया जाता है। होलिका दहन के साथ ही रंग-रँगीले फाल्गुन मास का आगमन होता है। पिछले दिनों हमने हर्षोल्लास से होलिका दहन और उसके अगले दिन रंगों का पर्व मनाया था। इस परिवेश का एक प्रमुख राग काफी होता है। स्वरों के माध्यम से फाल्गुनी परिवेश, विशेष रूप से श्रृंगार रस की अभिव्यक्ति के लिए राग काफी सबसे उपयुक्त राग है। अब तो चैत्र, शुक्ल प्रतिपदा अ

चित्रकथा - 14: फ़िल्मी गीतों में सितार वादक जयराम आचार्य का योगदान

अंक - 14 सितार वादक जयराम आचार्य को श्रद्धांजलि फ़िल्मी गीतों में जयराम आचार्य का योगदान  ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ में आपका हार्दिक स्वागत है।  12 अप्रैल 2017 को सितार वादक, दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित, पंडित जयराम आचार्य का निधन हो जाने से फ़िल्म-संगीत के धरोहर को समृद्ध करने वाले उन तमाम गुमनाम टिमटिमाते सितारों में से एक सितारा हमेशा के लिए डूब गया। यह कटु सत्य