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रात्रिकालीन राग : SWARGOSHTHI – 306 : RAGAS OF NIGHT

स्वरगोष्ठी – 306 में आज  राग और गाने-बजाने का समय – 6 : रात के दूसरे प्रहर के राग लता जी के दिव्य स्वर में जयजयवन्ती - ‘मनमोहना बड़े झूठे...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर हमारी श्रृंखला, “‘राग और गाने-बजाने का समय” की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। उत्तर भारतीय संगीत की अनेक विशेषताओं में से एक विशेषता यह भी है कि संगीत के प्रचलित राग परम्परागत रूप से ऋतु प्रधान हैं या प्रहर प्रधान। अर्थात संगीत के प्रायः सभी राग या तो अवसर विशेष या फिर समय विशेष पर ही प्रस्तुत किये जाने की परम्परा है। बसन्त ऋतु में राग बसन्त और बहार तथा वर्षा ऋतु में मल्हार अंग के रागों के गाने-बजाने की परम्परा है। इसी प्रकार अधिकतर रागों को गाने-बजाने की एक निर्धारित समयावधि होती है। उस विशेष समय पर ही राग को सुनने पर आनन्द प्राप्त होता है। भारतीय कालगणना के सिद्धान्तों का प्रतिपादन करने वाले प्राचीन मनीषियों ने दिन और रात के चौबीस घण्टों को आठ प्रहर में बाँटा है। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त

छाया-गीत आलेख लेखन प्रतियोगिता के परिणाम

छाया-गीत आलेख लेखन प्रतियोगिता के परिणाम ’रेडियो प्लेबैक इंडिया’ की तरफ़ से आप सभी को सुजॉय चटर्जी का नमस्कार! गत 16 जनवरी को ’छाया गीत आलेख लेखन प्रतियोगिता’ की घोषणा की गई थी। तब से लेकर प्रतियोगिता की समय-सीमा पूरी होने तक, यानी कि 10 फ़रवरी तक करीब-करीब 550 पाठक इस प्रतियोगिता के पेज पर पधारे, और उनमें से कईयों ने अपनी अपनी प्रविष्टि भेज कर हमारे इस पूरे आयोजन को सफल व सार्थक बनाया। इसके लिए हम आप सभी का तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करते हैं। ’विविध भारती’ के प्रसिद्ध ’छाया गीत’ कार्यक्रम के स्वरूप में आलेख लिख कर और गीतों का चयन कर आप सब ने हमें भेजा, और हमारी निर्णायक मंडल ने सभी प्रविष्टियों को भाषा, आलेख की सुन्दर प्रस्तुति और गीतों के चयन के पैमानों पर परखा, और विजेताओं का निर्धारण किया। परिणाम प्रथम स्थान - आशा गुप्ता, पोर्ट ब्लेअर द्वितीय स्थान - प्रकाश गोविन्द, लखनऊ द्वितीय स्थान - मिठाई लाल, वाराणसी तृतीय स्थान - व्योमा मिश्र, इन्दौर आप सभी विजेताओं को ’रेडियो प्लेबैक इंडिया’ की हार्दिक बधाई!

गीत अतीत 01 || हर गीत की एक कहानी होती है || ओ रे रंगरेज़ा || जॉली एल एल बी || जुनैद वसी

Geet Ateet 01  Har Geet Kii Ek Kahaani Hoti Hai... O Re Ranreza - Jolly LLB Junaid Wasi - Lyricist बहुत दिनों बाद किसी फिल्म में एक बहुत ही दमदार सूफियाना कव्वाली सुनने को मिली है, फिल्म जौली एल एल बी 2 के इस गीत को स्वरबद्ध किया है फिल्म "नीरजा" से चर्चा में आये संगीतकार विशाल खुराना ने, सुखविंदर की दमदार आवाज़ ने इस कव्वाली को एक अलग ही बुलंदी दे दी है. शब्द लिखे हैं जुनैद वसी ने. शब्दों की बानगी देखिये ज़रा - " मैं हूँ माटी जग बाज़ार, तू कुम्हार है, मेरी कीमत क्या लगे सब तेरी मर्जी है, सुबह माथे तू ज़रा सा नूर जो मल दे, तो संवर जाए ये किस्मत इतनी अर्जी है.... " तो सुनते हैं इन्हीं शब्दों के जादूगर जुनैद वसी से इस गीत के बनने की कहानी....प्ले का बट्टन दबाएँ और आनंद लें.... डाउनलोड कर के सुनें यहाँ से....