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"कॉलेज उत्सवों में गाकर मेरा आत्मविश्वास बढ़ा" -दिग्विजय सिंह परियार II एक मुलाकात ज़रूरी है

एक मुलाकात ज़रूरी है  एपिसोड - 46 उभरते हुए बेहद प्रतिभावान गायक दिग्विजय सिंह परियार, से मिलिए आज के एपिसोड में. कट्टी बट्टी, रॉक ऑन २ जैसी बड़ी फिल्म में शंकर एहसान लॉय और सलीम सूलेमान सरीखे दिग्गज संगीतकारों के लिए गा चुके इस गायक से हुई इस दिलचस्प मुलाक़ात को सुनिए इस ऑडियो में. प्ले पे क्लिक करें और आनंद लें.   ये एपिसोड आपको कैसा लगा, अपने विचार आप 09811036346 पर व्हाट्सएप भी कर हम तक पहुंचा सकते हैं, आपकी टिप्पणियां हमें प्रेरित भी करेगीं और हमारा मार्गदर्शन भी....इंतज़ार रहेगा. एक मुलाकात ज़रूरी है के इस एपिसोड के प्रायोजक थे अमेजोन डॉट कॉम, अमोज़ोन पर अब आप खरीद सकते हैं, मुम्बा देवी मंत्र सी डी मात्र २९ रूपए में, खरीदने के लिए क्लिक करें  एक मुलाकात ज़रूरी है इस एपिसोड को आप  यहाँ  से डाउनलोड करके भी सुन सकते हैं, लिंक पर राईट क्लीक करें और सेव एस का विकल्प चुनें मिलिए इन जबरदस्त कलाकारों से भी - राकेश चतुर्वेदी ओम , अनवर सागर ,  संजीवन लाल ,  कुणाल वर्मा ,  आदित्य शर्मा ,  निखिल कामथ ,  मंजीरा गांगुली , रितेश शाह , वरद

छाया-गीत आलेख लेखन प्रतियोगिता

छाया-गीत आलेख लेखन प्रतियोगिता रेडियो और ख़ास तौर से ’विविध भारती’ के नियमित श्रोताओं के लिए एक रोचक प्रतियोगिता लेकर आ रहा है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’। ’विविध भारती’ का एक प्रसिद्ध कार्यक्रम है ’छाया-गीत’। जैसा कि आप जानते हैं कि इस कार्यक्रम में उद्‍घोषक अपनी पसन्द के गीतों को एक भाव या सूत्र में पिरो कर एक सुन्दर आलेख के साथ प्रस्तुत करते हैं। क्या आपने कभी मन ही मन एक भाव पर आधारित गीतों को पिरोया है? क्या आपने कभी अनजाने में किसी गीत के लिए कुछ काव्यात्मक शब्द कहे हैं? एक ही धागे में पिरो कर क्या आपने भी कभी ऐसी कोई गीत-माला बनाई है? ’छाया-गीत आलेख लेखन प्रतियोगिता’ में आपको यही करना है, अर्थात् आपको ’छाया-गीत’ का एक आलेख तैयार कर हमें भेजना है, ठीक वैसे ही जैसे कि हर रात ’विविध भारती’ पर आप सुनते हैं। आकर्षक और श्रेष्ठ पाँच आलेखों को पुरस्कृत किया जाएगा। इस प्रतियोगिता के नियम इस प्रकार हैं... प्रतियोगिता के नियम - 1. प्रतियोगी को किसी एक भाव या शीर्षक पर छह गीत चुनने हैं और इन्हें एक सूत्र में पिरो कर ’छाया-गीत’ की शक्ल में एक आलेख तैयार करना है। 

प्रातःकाल के राग : SWARGOSHTHI – 301 : MORNING RAGAS

स्वरगोष्ठी – 301 में आज राग और गाने-बजाने का समय – 1 : दिन के प्रथम प्रहर के राग ‘जग उजियारा छाए, मन का अँधेरा जाए...’   "रेडियो प्लेबैक इण्डिया" के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से हम एक नई श्रृंखला- ‘राग और गाने-बजाने का समय’ आरम्भ कर रहे हैं। श्रृंखला की पहली कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। है। उत्तर भारतीय रागदारी संगीत की अनेक विशेषताओं में से एक विशेषता यह भी है कि संगीत के प्रचलित राग परम्परागत रूप से ऋतु प्रधान हैं या प्रहर प्रधान। अर्थात, संगीत के प्रायः सभी राग या तो अवसर विशेष या फिर समय विशेष पर ही प्रस्तुत किये जाने की परम्परा है। बसन्त ऋतु में राग बसन्त और बहार तथा वर्षा ऋतु में मल्हार अंग के रागों के गाने-बजाने की परम्परा है। इसी प्रकार अधिकतर रागों को गाने-बजाने की एक निर्धारित समयावधि होती है। उस विशेष समय पर ही राग को सुनने पर आनन्द प्राप्त होता है। भारतीय कालगणना के सिद्धान्तों का प्रतिपादन करने वाले प्राचीन मनीषियों ने दिन और रात के चौबीस घण्टों को आठ प्रहर में बा