Skip to main content

Posts

"मेरे अभिनय को निरंतर संवारा थियटर ने" - राकेश चतुर्वेदी ओम :: एक मुलाकात ज़रूरी है

एक मुलाकात ज़रूरी है  एपिसोड - 45 ताज़ा प्रदर्शित साफ़ सुथरी पारिवारिक कॉमेडी फिल्म भल्ला @हल्ला डॉट कोम के लेखक निर्देशक राकेश चतुर्वेदी ओम है हमारे आज के मेहमान "एक मुलाकात ज़रूरी है" में. मिलिए इस हरफनमौला फनकार से जो एक अच्छे अभिनेता भी हैं. प्ले पर क्लिक करें और इस मुलाकात का आनंद लें.  ये एपिसोड आपको कैसा लगा, अपने विचार आप 09811036346 पर व्हाट्सएप भी कर हम तक पहुंचा सकते हैं, आपकी टिप्पणियां हमें प्रेरित भी करेगीं और हमारा मार्गदर्शन भी....इंतज़ार रहेगा. एक मुलाकात ज़रूरी है के इस एपिसोड के प्रायोजक थे अमेजोन डॉट कॉम, अमोज़ोन पर अब आप खरीद सकते हैं, अरिजीत सिंह के गानों का ये संकलन, खरीदने के लिए क्लिक करें  एक मुलाकात ज़रूरी है इस एपिसोड को आप  यहाँ  से डाउनलोड करके भी सुन सकते हैं, लिंक पर राईट क्लीक करें और सेव एस का विकल्प चुनें मिलिए इन जबरदस्त कलाकारों से भी - अनवर सागर ,  संजीवन लाल ,  कुणाल वर्मा ,  आदित्य शर्मा ,  निखिल कामथ ,  मंजीरा गांगुली , रितेश शाह , वरदान सिंह , यतीन्द्र मिश्र , विपिन पटवा , श्रेया शालीन

महाविजेताओं की प्रस्तुतियाँ : SWARGOSHTHI – 300 : RAG KAFI, BHAIRAVI AND DARABARI

स्वरगोष्ठी – 300 में आज महाविजेताओं की प्रस्तुतियाँ – 2 संगीत पहेली के महाविजेताओं क्षिति, विजया और किरीट का अभिनन्दन ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर सभी संगीत-प्रेमियों का नए वर्ष के दूसरे अंक में कृष्णमोहन मिश्र की ओर से हार्दिक अभिनन्दन है। पिछले अंक में हमने आपसे ‘स्वरगोष्ठी’ स्तम्भ के बीते वर्ष की कुछ विशेष गतिविधियों की चर्चा की थी। साथ ही पहेली के चौथी महाविजेता डी. हरिणा माधवी और तीसरे महाविजेता प्रफुल्ल पटेल से आपको परिचित कराया था और उनकी प्रस्तुतियों को भी सुनवाया था। इस अंक में भी हम गत वर्ष की कुछ अन्य गतिविधियों का उल्लेख करने के साथ ही संगीत पहेली के प्रथम और द्वितीय महाविजेताओं की घोषणा करेंगे और उनका सम्मान भी करेंगे। ‘स्वरगोष्ठी’ के पाठक और श्रोता जानते हैं कि इस स्तम्भ के प्रत्येक अंक में संगीत पहेली के माध्यम से हम हर सप्ताह भारतीय संगीत से जुड़े तीन प्रश्न देकर आपसे दो प्रश्नों का उत्तर पूछते हैं। आपके दिये गये सही उत्तरों के प्राप्तांकों की गणना दो स्तरों पर की जाती है। ‘स्वरगोष्ठी’ क

चित्रकथा - 1: उस्ताद अब्दुल हलीम जाफ़र ख़ाँ का हिन्दी फ़िल्म-संगीत में योगदान

अंक - 1 उस्ताद अब्दुल हलीम जाफ़र ख़ाँ का हिन्दी फ़िल्म-संगीत में योगदान “मधुबन में राधिका नाची रे...” 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं है। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। हमारी दिलचस्पी का आलम ऐसा है कि हम केवल फ़िल्में देख कर या गाने सुनने तक ही अपने आप को सीमित नहीं रखते, बल्कि फ़िल्म संबंधित हर तरह की जानकारियाँ बटोरने का प्रयत्न करते रहते हैं। इसी दिशा में आपके हमसफ़र बन कर हम आ रहे हैं हर शनिवार ’चित्रकथा’ लेकर। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ के