Skip to main content

Posts

परीशाँ हो के मेरी ख़ाक आख़िर दिल न बन जाए.. पेश-ए-नज़र है अल्लामा इक़बाल का दर्द मेहदी हसन की जुबानी

कहकशाँ - 25 अल्लामा इक़बाल का दर्द मेहदी हसन की जुबानी    "परीशाँ हो के मेरी ख़ाक आख़िर दिल न बन जाए..." ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी दोस्तों को हमारा सलाम! दोस्तों, शेर-ओ-शायरी, नज़्मों, नगमों, ग़ज़लों, क़व्वालियों की रवायत सदियों की है। हर दौर में शायरों ने, गुलुकारों ने, क़व्वालों ने इस अदबी रवायत को बरकरार रखने की पूरी कोशिशें की हैं। और यही वजह है कि आज हमारे पास एक बेश-कीमती ख़ज़ाना है इन सुरीले फ़नकारों के फ़न का। यह वह कहकशाँ है जिसके सितारों की चमक कभी फ़ीकी नहीं पड़ती और ता-उम्र इनकी रोशनी इस दुनिया के लोगों के दिल-ओ-दिमाग़ को सुकून पहुँचाती चली आ रही है। पर वक्त की रफ़्तार के साथ बहुत से ऐसे नगीने मिट्टी-तले दब जाते हैं। बेशक़ उनका हक़ बनता है कि हम उन्हें जानें, पहचानें और हमारा भी हक़ बनता है कि हम उन नगीनों से नावाकिफ़ नहीं रहें। बस इसी फ़ायदे के लिए इस ख़ज़ाने में से हम चुन कर लाएँगे आपके लिए कुछ कीमती नगीने हर हफ़्ते और बताएँगे कुछ दिलचस्प बातें इन फ़नकारों के बारे में। तो पेश-ए-ख़िदमत है नगमों, नज़्मों, ग़ज़लों और क़व्वालियों की

"मेरे मित्र ने एक पूरा हॉल बुक कर दिया था जयपुर में 'हमारी अधूरी कहानी' की स्क्रीनिंग के लिए" - कुनाल वर्मा : एक मुलाकात ज़रूरी है

एक मुलाकात ज़रूरी है  एपिसोड - 40 फिल्म "हमारी अधूरी कहानी" के बेहद लोकप्रिय गीत 'हंसी बन गए' के गीतकार कुनाल वर्मा से मिलिए एक मुलाकात ज़रूरी है के ४० वें एपिसोड में आज. कुनाल एक बेहरतरीन गीतकार ही नहीं, बल्कि एक अच्छे गायक भी हैं. कुनाल के अब तक के संगीत सफ़र की दिलचस्प दास्तान सुनिए उन्हीं की जुबानी, होस्ट सजीव सारथी के साथ. प्ले का बट्टन दबाएँ और आनंद लें इस संवाद का.... ये एपिसोड आपको कैसा लगा, अपने विचार आप 09811036346 पर व्हाट्सएप भी कर हम तक पहुंचा सकते हैं, आपकी टिप्पणियां हमें प्रेरित भी करेगीं और हमारा मार्गदर्शन भी....इंतज़ार रहेगा. एक मुलाकात ज़रूरी है के इस एपिसोड के प्रायोजक थे अमेजोन डॉट कॉम, अमोज़ोन पर अब आप खरीद सकते हैं, चेतन भगत की ये चर्चित पुस्तक, जिस पर जल्द ही एक बड़ी फिल्म भी आ रही है, खरीदने के लिए क्लिक करें एक मुलाकात ज़रूरी है इस एपिसोड को आप  यहाँ  से डाउनलोड करके भी सुन सकते हैं, लिंक पर राईट क्लीक करें और सेव एस का विकल्प चुनें  मिलिए इन जबरदस्त कलाकारों से भी - संजीवन लाल ,  मंजीरा गां

राग खमाज : SWARGOSHTHI – 295 : RAG KHAMAJ

स्वरगोष्ठी – 295 में आज नौशाद के गीतों में राग-दर्शन – 8 : खमाज की छाया लिये गीत “चुनरिया कटती जाए रे, उमरिया घटती जाए...” ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी श्रृंखला – “नौशाद के गीतों में राग-दर्शन” की आठवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज के अंक में हम आपसे राग खमाज पर चर्चा करेंगे। इस श्रृंखला में हम भारतीय फिल्म संगीत के शिखर पर विराजमान नौशाद अली के व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर चर्चा कर रहे हैं। श्रृंखला की विभिन्न कड़ियों में हम आपको फिल्म संगीत के माध्यम से रागों की सुगन्ध बिखेरने वाले अप्रतिम संगीतकार नौशाद अली के कुछ राग-आधारित गीत प्रस्तुत कर रहे हैं। इस श्रृंखला का समापन हम आगामी 25 दिसम्बर को नौशाद अली की 98वीं जयन्ती के अवसर पर करेंगे। 25 दिसम्बर, 1919 को सांगीतिक परम्परा से समृद्ध शहर लखनऊ के कन्धारी बाज़ार में एक साधारण परिवार में नौशाद का जन्म हुआ था। नौशाद जब कुछ बड़े हुए तो उनके पिता वाहिद अली घसियारी मण्डी स्थित अपने नए घर में आ गए। यहीं नि

वर्षान्त विशेष: 2016 का फ़िल्म-संगीत (भाग-1)

वर्षान्त विशेष लघु श्रृंखला 2016 का फ़िल्म-संगीत   भाग-1 रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! दोस्तों, देखते ही देखते हम वर्ष 2016 के अन्तिम महीने पर आ गए हैं। कौन कौन सी फ़िल्में बनीं इस साल? उन सभी फ़िल्मों का गीत-संगीत कैसा रहा? ज़िन्दगी की भाग-दौड़ में अगर आपने इस साल के गीतों को ठीक से सुन नहीं सके या उनके बारे में सोच-विचार करने का समय नहीं निकाल सके, तो कोई बात नहीं। अगले पाँच सप्ताह, हर शनिवार हम आपके लिए लेकर आएँगे वर्ष 2016 में प्रदर्शित फ़िल्मों के गीत-संगीत का लेखा-जोखा। आइए इस लघु श्रृंखला की पहली कड़ी में आज चर्चा करते हैं उन फ़िल्मों के गीतों की जो प्रदर्शित हुए जनवरी और फ़रवरी के महीनों में। व र्ष 2016 फ़िल्म-संगीत के इतिहास का 86-वाँ वर्ष है। एक लम्बी यात्रा तय करती हुई फ़िल्म-संगीत की धारा निरन्तर बहती चली आई है और आगे भी चलती रहेगी। केवल फ़िल्मकारों पर ही नहीं, यह दायित्व हम सबका है कि इस परम्परा को जारी रखें और इसका स्तर सदा ऊँचा बनाये रखें। 2016 में प

"विकलांगता पर हमारी फ़िल्में अधिक संवेदनशील और व्यावहारिक होनी चाहिए" - संजीवन लाल : एक मुलाकात ज़रूरी है

एक मुलाकात ज़रूरी है  एपिसोड - 39 किसी दिव्यांग व्यक्ति और उसके आस पास के सप्पोर्ट सिस्टम पर बनी फिल्मों में एक ख़ास स्थान रखती है फिल्म "बबल गम", जिसके निर्देशक संजीवन एस लाल हैं हमारे आज के मेहमान, जिनसे हमने विकलांगता के विषय पर बनी कुछ अन्य फिल्मों पर भी चर्चा की, ३ दिसंबर को विश्व विकलांगता दिवस के उपलक्ष्य पर हमारा ये विशेष एपिसोड, हमें उम्मीद है आपको पसंद आएगा....प्ले पर क्लिक कर सुनें और आनंद लें....   ये एपिसोड आपको कैसा लगा, अपने विचार आप 09811036346 पर व्हाट्सएप भी कर हम तक पहुंचा सकते हैं, आपकी टिप्पणियां हमें प्रेरित भी करेगीं और हमारा मार्गदर्शन भी....इंतज़ार रहेगा. एक मुलाकात ज़रूरी है के इस एपिसोड के प्रायोजक थे अमेजोन डॉट कॉम, अमोज़ोन पर अब आप खरीद सकते हैं, महान कथाकार प्रेमचंद की अनमोल कहानियों का ये संकलन, खरीदने के लिए क्लिक करें एक मुलाकात ज़रूरी है इस एपिसोड को आप  यहाँ  से डाउनलोड करके भी सुन सकते हैं, लिंक पर राईट क्लीक करें और सेव एस का विकल्प चुनें. मिलिए इन जबरदस्त कलाकारों से भी - मंजीरा गांगुली

गीत चतुर्वेदी का रानीखेत एक्स्प्रैस

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। इस शृंखला में पिछली बार आपने पूजा अनिल के स्वर में दर्शन सिंह आशट की बालकथा " गोपी लौट आया " का वाचन सुना था। साहित्यकार गीत चतुर्वेदी के जन्मदिन के शुभ अवसर पर उन्हें शुभकामनाएं देते हुए आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं उनके उपन्यास रानीखेत एक्स्प्रैस  का एक अंश जिसे स्वर दिया है पूजा अनिल ने। प्रस्तुत अंश का कुल प्रसारण समय 9 मिनट 59 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस उपन्यास अंश का गद्य सबद ब्लॉग पर पढा जा सकता है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। 27 नवम्बर 1977 को मुम्बई में जन्मे गीत चतुर्वेदी हिंदी के कवि, लेखक व आलोचक हैं। हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी “उस

राग भीमपलासी : SWARGOSHTHI – 294 : RAG BHIMPALASI

स्वरगोष्ठी – 294 में आज नौशाद के गीतों में राग-दर्शन – 7 : भीमपलासी के स्वर में पिरोया गीत “तेरे सदक़े बलम न करे कोई ग़म.....” ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी श्रृंखला – “नौशाद के गीतों में राग-दर्शन” की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज के अंक में हम आपसे राग भीमपलासी पर चर्चा करेंगे। इस श्रृंखला में हम भारतीय फिल्म संगीत के शिखर पर विराजमान नौशाद अली के व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर चर्चा कर रहे हैं। श्रृंखला की विभिन्न कड़ियों में हम आपको फिल्म संगीत के माध्यम से रागों की सुगन्ध बिखेरने वाले अप्रतिम संगीतकार नौशाद अली के कुछ राग-आधारित गीत प्रस्तुत कर रहे हैं। इस श्रृंखला का समापन हम आगामी 25 दिसम्बर को नौशाद अली की 98वीं जयन्ती के अवसर पर करेंगे। 25 दिसम्बर, 1919 को सांगीतिक परम्परा से समृद्ध शहर लखनऊ के कन्धारी बाज़ार में एक साधारण परिवार में नौशाद का जन्म हुआ था। नौशाद जब कुछ बड़े हुए तो उनके पिता वाहिद अली घसियारी मण्डी स्थित अपने नए घर में आ गए। यह