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"जब लफ़्ज़ों पर प्रहार होता है तो एक चीख सी निकल जाती है..." - विजय अकेला : एक मुलाकात ज़रूरी है

एक मुलाकात ज़रूरी है (31) "एक पल का जीना" जैसे हिट गीत से बॉलीवुड में कदम रखने वाले गीतकार विजय अकेला एक बेहतरीन शायर और उन्दा लेखक भी हैं, फ़िल्मी गीतकारों जैसे आनंद बख्शी (मैं शायर बदनाम), जाँ निसार अख्तर (निगाहों के साए), और जावेद अख्तर (जावेद अख्तर और मैं) पर लिखी उनकी किताबें हर संगीतप्रेमी के लिए संग्रहनीय है. मिलिए इस हरफनमौला कलाकार से आज के इस विशेष एपिसोड में... एक मुलाकात ज़रूरी है इस एपिसोड को आप  यहाँ  से डाउनलोड करके भी सुन सकते हैं, लिंक पर राईट क्लीक करें और सेव एस का विकल्प चुनें 

कजरी गीत : SWARGOSHTHI – 286 : KAJARI SONGS

स्वरगोष्ठी – 286 में आज पावस ऋतु के राग – 7 : उपशास्त्रीय संगीत में कजरी बड़े रामदास जी की रचना - ‘बरसन लागी बदरिया रूम झूम के...’ बड़े रामदास जी ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला – “पावस ऋतु के राग” की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आपको स्वरों के माध्यम से बादलों की उमड़-घुमड़, बिजली की कड़क और रिमझिम फुहारों में भींगने के लिए आमंत्रित करता हूँ। यह श्रृंखला, वर्षा ऋतु के रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत पर केन्द्रित है। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं पर चर्चा कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी प्रस्तुत कर रहे हैं। भारतीय संगीत के अन्तर्गत मल्हार अंग के सभी राग पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में समर्थ हैं। आम तौर पर इन रागों का गायन-वादन वर्षा ऋतु में अधिक किया जाता है। इसके साथ ही कुछ ऐसे सार्वकालिक राग भी हैं जो

"मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की...", इस आरती के बहाने जानिए कि ’जय संतोषी माँ’ फ़िल्म की सफलता का वरदान कैसे अभिशाप में बदल गया!

एक गीत सौ कहानियाँ - 94   'मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ...'   रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़े दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'।  इसकी 94-वीं कड़ी में आज जानिए 1975 की फ़िल्म ’जय संतोषी माँ’ के मशहूर गीत "मैं तो आरती उतारूँ रे सं