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रेडियो प्लेबैक ओरिजिनल - तुमको खुशबू कहूं कि फूल कहूं या मोहब्बत का एक उसूल कहूं

प्लेबैक ओरिजिनलस् एक कोशिश है दुनिया भर में सक्रिय उभरते हुए गायक/संगीतकार और गीतकारों की कला को इस मंच के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने की. रेडियो प्लेबैक ओरिजिनल की  श्रृंखला में वर्ष २०१६ में हम लेकर आये हैं , उभरते हुए गायक और संगीतकार " आदित्य कुमार विक्रम " का संगीतबद्ध किया हुआ और उनकी अपनी आवाज में गाया हुआ गाना. इस ग़ज़ल के रचनाकार हैं हृदयेश मयंक ने... तुमको खुशबू कहूं कि फूल कहूं या मोहब्बत का एक उसूल कहूं तुम हो ताबीर मेरे ख़्वाबों की   इक हसीं ख़्वाब क्यों फ़िजूल कहूँ   तुम तो धरती हो इस वतन की दोस्त  कैसे चन्दन की कोई धूल कहूँ  जितने सज़दे किए थे तेरे लिए  इन दुआओं की हो क़बूल कहूँ आदित्य कुमार विक्रम वरिष्ठ कवि महेंद्र भटनागर  के गुणी सुपुत्र हैं. वर्तमान में आदित्य जी मुंबई में अपनी पहचान बनाने में प्रयासरत हैं. रेडिओ प्लेबैक इण्डिया परिवार की शुभकामनाएं आपके साथ हैं. श्रोतागण सुनें और अपनी टिप्पणियों के माध्यम से अपने विचार पहुंचाएं. 

आदमी बुलबुला है पानी का..... ’कहकशाँ’ में आज तख़्लीक-ए-गुलज़ार

कहकशाँ - 9 गुलज़ार की लिखी एक त्रिवेणी   "आदमी बुलबुला है पानी का..." ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी दोस्तों को हमारा सलाम! दोस्तों, शेर-ओ-शायरी, नज़्मों, नगमों, ग़ज़लों, क़व्वालियों की रवायत सदियों की है। हर दौर में शायरों ने, गुलुकारों ने, क़व्वालों ने इस अदबी रवायत को बरकरार रखने की पूरी कोशिशें की हैं। और यही वजह है कि आज हमारे पास एक बेश-कीमती ख़ज़ाना है इन सुरीले फ़नकारों के फ़न का। यह वह कहकशाँ है जिसके सितारों की चमक कभी फ़ीकी नहीं पड़ती और ता-उम्र इनकी रोशनी इस दुनिया के लोगों के दिल-ओ-दिमाग़ को सुकून पहुँचाती चली आ रही है। पर वक्त की रफ़्तार के साथ बहुत से ऐसे नगीने मिट्टी-तले दब जाते हैं। बेशक़ उनका हक़ बनता है कि हम उन्हें जानें, पहचानें और हमारा भी हक़ बनता है कि हम उन नगीनों से नावाकिफ़ नहीं रहें। बस इसी फ़ायदे के लिए इस ख़ज़ाने में से हम चुन कर लाएँगे आपके लिए कुछ कीमती नगीने हर हफ़्ते और बताएँगे कुछ दिलचस्प बातें इन फ़नकारों के बारे में। तो पेश-ए-ख़िदमत है नगमों, नज़्मों, ग़ज़लों और क़व्वालियों की एक अदबी महफ़िल, कहकशाँ।  आज पेश है ग

"प्रीतम दा के साथ काम करना मेरे लिए कोई 'इतनी सी बात' नहीं" - गीतकार मनोज यादव

एक मुलाकात ज़रूरी है (10) व र्ष २०१६ के पहले ४ महीने में ही "हुआ है आज पहली बार", "मुर्रब्बा" और "इतनी सी बात है" जैसे हिट गीतों के रचनाकार मनोज यादव है आज के हमारे ख़ास मेहमान, कार्यक्रम एक मुलाकात ज़रूरी है में. सुनिए और जानिए क्या है मनोज यादव की कहानी इस सफलता के पीछे की, क्यों बचपन में मनोज हर फूल की चड्डी ढूंढें करते थे, क्यों रहा प्रीतम दा के साथ काम करना उनके लिए इतना ख़ास, और किन संगीतकारों के साथ काम करने के लिए लालायित हैं आज मनोज. आप इस एपिसोड को यहाँ से डाउनलोड भी कर सकते हैं.