Skip to main content

Posts

अमित कुमार - आर्टिस्ट प्रोफाईल - मेरे ये गीत याद रखना

मेरे ये गीत याद रखना  आज जाने पार्श्व गायक अमित कुमार के सफ़र की दास्ताँ, और सुनें उनके कुछ यादगार गीत, आपके प्रिय आर जे विवेक श्रीवास्तव के साथ

दिग्गज संगीतज्ञों की होली : SWARGOSHTHI – 265 : HOLI SONGS

स्वरगोष्ठी – 265 में आज होली और चैती के रंग – 3 : होली के विविध रंग पण्डित भीमसेन जोशी और पण्डित कुमार गन्धर्व की होली ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर हमारी श्रृंखला – ‘होली और चैती के रंग’ की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला में हम ऋतु के अनुकूल भारतीय संगीत के कुछ ऐसे रागों और रचनाओं की चर्चा कर रहे हैं, जिन्हें ग्रीष्मऋतु के शुरुआती परिवेश में गाने-बजाने की परम्परा है। भारतीय समाज में अधिकतर उत्सव और पर्वों का निर्धारण ऋतु परिवर्तन के साथ होता है। शीत और ग्रीष्म ऋतु की सन्धिबेला में मनाया जाने वाला पर्व- होलिकोत्सव, प्रकारान्तर से पूरे देश में आयोजित होता है। यह उल्लास और उमंग का, रस और रंगों का, गायन-वादन और नर्तन का पर्व है। अबीर-गुलाल के उड़ते बादलों और पिचकारियों से निकलती इन्द्रधनुषी फुहारों के बीच हम ‘स्वरगोष्ठी’ की इन प्रस्तुतियों के माध्यम से फागुन की सतरंगी छटा से सराबोर हो रहे हैं। संगीत के सात स्वर, इन्द्रधनुष के सात रं

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी - 11: कैलाश खेर

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी - 11   कैलाश खेर   ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी दोस्तों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार। दोस्तों, किसी ने सच ही कहा है कि यह ज़िन्दगी एक पहेली है जिसे समझ पाना नामुमकिन है। कब किसकी ज़िन्दगी में क्या घट जाए कोई नहीं कह सकता। लेकिन कभी-कभी कुछ लोगों के जीवन में ऐसी दुर्घटना घट जाती है या कोई ऐसी विपदा आन पड़ती है कि एक पल के लिए ऐसा लगता है कि जैसे सब कुछ ख़त्म हो गया। पर निरन्तर चलते रहना ही जीवन-धर्म का निचोड़ है। और जिसने इस बात को समझ लिया, उसी ने ज़िन्दगी का सही अर्थ समझा, और उसी के लिए ज़िन्दगी ख़ुद कहती है कि 'तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी'। इसी शीर्षक के अन्तर्गत इस नई श्रृंखला में हम ज़िक्र करेंगे उन फ़नकारों का जिन्होंने ज़िन्दगी के क्रूर प्रहारों को झेलते हुए जीवन में सफलता प्राप्त किये हैं, और हर किसी के लिए मिसाल बन गए हैं।  आज का यह अंक केन्द्रित है जाने माने गायक कैलाश खेर पर।    कैलाश खेर आज भी जब मुंबई के अंधेरी रेल्वे स्टेशन से गुज़रते हैं तो उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। "म