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महफ़िल ए कहकशां - 2 रंग वो जिसमे रंगी थी राधा, रंगी थी जिसमे मीरा...

मन्ना डे  महफिले कहकशां - 02 दोस्तों सुजोय और विश्व दीपक द्वारा संचालित "कहकशां" और "महफिले ग़ज़ल" का ऑडियो स्वरुप लेकर हम हाज़िर हैं, महफिले कहकशां के रूप में. पूजा अनिल के साथ अदब और शायरी की इस महफ़िल में आज सुनिए प्रबोध चन्द्र डे के प्राइवेट एल्बम से एक मन रंग देने वाला प्यारा सा गीत. मुख्य स्वर - पूजा अनिल स्क्रिप्ट - विश्व दीपक एवं सुजोई चट्टर्जी 

आखिर मैंने संगीत के लिए सब कुछ छोड़ दिया - रफीक शेख - एक मुलाकात ज़रूरी है

एक मुलाक़ात ज़रूरी है (४) गा यक संगीतकार रफीक शेख से हमारे पुराने श्रोता भली भाति परिचित है, अभी हाल ही में रिलीस हुई है, रफीक के आवाज़ और संगीत से सजी ग़ज़ल एल्बम "हमनफस". इसके आलावा रफीक बतौर संगीतकार कुछ मराठी फ़िल्में भी कर रहे हैं. आज के "एक मुलाक़ात ज़रूरी है" कार्यक्रम में आईये कुछ और करीब से महसूस करें रफीक के अब तक के संगीत सफ़र की दिलचस्प दास्तान 

बस कुछ प्रतियाँ शेष हैं प्रथम संस्करण के - ’कारवाँ सिने संगीत का - 1931-1947'

प्रिय पाठकों, सुजॉय चटर्जी लिखित पुस्तक ’कारवाँ सिने संगीत का - उत्पत्ति से स्वराज के बिहान तक (1931-1947)' के प्रथम संस्करण के अब बस कुछ ही प्रतियाँ शेष हैं। द्वितीय संस्करण जल्द ही प्रकाशित होगी, पर संभव है कि प्रकाशक इसमें मूल्य वृद्धि करेंगे। अत: आपको यह सूचित किया जाता है कि अगर आप इस पुस्तक के प्रथम संस्करण को प्राप्त करने के इच्छुक हैं तो शीघ्रातिशीघ्र सुजॉय चटर्जी से ईमेल आइडी  soojoi_india@yahoo.co.in  सम्पर्क करें और इस पुस्तक की प्रति अपने लिए सुरक्षित करें। पुस्तक मूल्य: INR 595.00 (पोस्टल चार्ज सहित)