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काजल कुमार की लघुकथा शिकार

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने उषा छाबड़ा के स्वर में उन्हीं की लघुकथा " प्रश्न " का वाचन सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं काजल कुमार लिखित लघुकथा शिकार , जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। इस कहानी शिकार  का कुल प्रसारण समय 1 मिनट 57 सेकंड है। इसका गद्य कथा-कहानी ब्लॉग पर उपलब्ध है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। कवि, कथाकार और कार्टूनिस्ट काजल कुमार के बनाए चरित्र तो आपने देखे ही हैं। उनकी व्यंग्यात्मक लघुकथायेँ " समय" , " एक था गधा ", " ड्राइवर ", " लोकतनतर ", और कुत्ता आप पहले सुन चुके हैं। काजल कुमार दिल्ली में रहते ह

नौशाद के गीतों में राग-दर्शन : SWARGOSHTHI – 250 : RAG BASED SONGS BY NAUSHAD

स्वरगोष्ठी – 250 में आज संगीत के शिखर पर – 11 : फिल्म संगीतकार नौशाद अली फिल्मों में रागदारी संगीत की सुगन्ध बिखेरने वाले अप्रतिम साधक नौशाद अली ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी सुरीली श्रृंखला – ‘संगीत के शिखर पर’ की ग्यारहवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-रसिकों का एक बार पुनः हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम भारतीय संगीत की विभिन्न विधाओं में शिखर पर विराजमान व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर चर्चा कर रहे हैं। संगीत गायन और वादन की विविध लोकप्रिय शैलियों में किसी एक शीर्षस्थ कलासाधक का चुनाव कर हम उनके व्यक्तित्व का उल्लेख और उनकी कृतियों के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। आज श्रृंखला की ग्यारहवीं कड़ी में हम आपको फिल्म संगीत के माध्यम से रागों की सुगन्ध बिखेरने वाले अप्रतिम संगीतकार नौशाद अली के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा कर रहे हैं। आपको हम यह भी अवगत कराना चाहते हैं कि दो दिन पूर्व, अर्थात 25 दिसम्बर को नौशाद अली का 96वीं जयन्ती थी। इस उपलक्ष्य में हम ‘स्वरगोष्ठी’ क

2015 के कमचर्चित सुरीले गीतों की हिट परेड - The Unsung Melodies of 2015

चित्रशाला - नववर्ष विशेष  2015 के कमचर्चित सुरीले गीतों की हिट परेड The Unsung Melodies of 2015 रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! प्रस्तुत है फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत के विभिन्न पहलुओं से जुड़े विषयों पर आधारित शोधालेखों का स्तंभ ’चित्रशाला’। वर्ष 2015 हमसे विदा लेना चाहता है। और इसी वर्ष के समाप्त होने से इस दशक का पूर्वार्ध भी समाप्त हो जाएगा। इस दशक में फ़िल्म संगीत का जो स्वरूप अब अक हम सबसे देखा, उससे यही कहा जा सकता है कि वही गाने हिट हो रहे हैं, या उन्हीं गानों को बढ़ावा मिल रहा है जिनमें कोई पंच लाइन, या आइटम वाली बात, और इस तरह का कोई मसाला हो। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कुछ ऐसे गुमनाम गीत आए जिनकी तरफ़ किसी का भी ध्यान नहीं गया, पर स्तर की दृष्टि से ये गीत बहुत से लोकप्रिय और हिट गीतों के मुकाबले कहीं अधिक उत्कृष्ट हैं। ऐसे ही दस गीत को चुन कर आज के ’चित्रशाला’ का यह नववर्ष विशेषांक प्रस्तुत कर रहे हैं। तो पेश है वर्ष 2015 का कमचर्चित हिट परेड, The Top-10 Unsung Melodies of 2015. 10:  " साईं बाबा के दरबार