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सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" की महावीर और गाड़ीवान

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा के स्वर में सलिल वर्मा की लघुकथा " बेटी पढ़ाओ " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं, हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" की लघुकथा महावीर और गाड़ीवान , जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। इस कहानी  महावीर और गाड़ीवान  का कुल प्रसारण समय 1 मिनट 51 सेकंड है। इस लघुकथा का गद्य हिन्दी समय पर उपलब्ध है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" का जन्म वसंत पंचमी, 1896 को मेदिनीपुर (पश्चिम बंगाल) में हुआ था। उनका रचनाकर्म गीत, कवि

डॉ. एन. राजम् की संगीत साधना : SWARGOSHTHI – 244 : DR. N. RAJAM

स्वरगोष्ठी – 244 में आज संगीत के शिखर पर – 5 : विदुषी एन. राजम् डॉ. राजम् के वायलिन तंत्र बजते ही नहीं गाते भी हैं   रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी सुरीली श्रृंखला – ‘संगीत के शिखर पर’ की पाँचवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-रसिकों का एक बार पुनः अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला में हम भारतीय संगीत की विभिन्न विधाओं में शिखर पर विराजमान व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर चर्चा कर रहे हैं। संगीत गायन और वादन की विविध लोकप्रिय शैलियों में किसी एक शीर्षस्थ कलासाधक का चुनाव कर हम उनके व्यक्तित्व का उल्लेख और उनकी कृतियों के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। आज श्रृंखला की पाँचवीं कड़ी में हम तंत्रवाद्य वायलिन अर्थात बेला की विश्वविख्यात साधिका विदुषी डॉ. एन. राजम् के व्यक्तित्व पर चर्चा करेंगे और गायकी अंग में उनके वायलिन वादन के कुछ उदाहरण भी प्रस्तुत करेंगे। आज के अंक में हम डॉ. राजम् द्वारा प्रस्तुत राग जोग में खयाल, राग भैरवी का दादरा और अन्त में एक मीरा भजन का रसास्वादन गायकी अंग में करेंगे।

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी - 07 - जयदेव

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी - 07   जयदेव   माँ, पिता, फूफा और छोटे भाई की मृत्यु का सामना करने के बाद जयदेव बने संगीतकार ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी दोस्तों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार। दोस्तों, किसी ने सच ही कहा है कि यह ज़िन्दगी एक पहेली है जिसे समझ पाना नामुमकिन है। कब किसकी ज़िन्दगी में क्या घट जाए कोई नहीं कह सकता। लेकिन कभी-कभी कुछ लोगों के जीवन में ऐसी दुर्घटना घट जाती है या कोई ऐसी विपदा आन पड़ती है कि एक पल के लिए ऐसा लगता है कि जैसे सब कुछ ख़त्म हो गया। पर निरन्तर चलते रहना ही जीवन-धर्म का निचोड़ है। और जिसने इस बात को समझ लिया, उसी ने ज़िन्दगी का सही अर्थ समझा, और उसी के लिए ज़िन्दगी ख़ुद कहती है कि 'तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी'। इसी शीर्षक के अन्तर्गत इस नई श्रृंखला में हम ज़िक्र करेंगे उन फ़नकारों का जिन्होंने ज़िन्दगी के क्रूर प्रहारों को झेलते हुए जीवन में सफलता प्राप्त किये हैं, और हर किसी के लिए मिसाल बन गए हैं।  आज का यह अंक केन्द्रित है फ़िल्म जगत के जाने माने संगीतकार जयदेव पर।    स फलता दो तरह की होती है