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राग मारवा और मारूबिहाग : SWARGOSHTHI – 235 : RAG MARAVA & MARUBIHAG

स्वरगोष्ठी – 235 में आज रागों का समय प्रबन्धन – 4 : दिन के चौथे प्रहर के राग राग मारवा की बन्दिश - 'गुरु बिन ज्ञान नाहीं पावे...' ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर हमारी श्रृंखला- ‘रागों का समय प्रबन्धन’ की चौथी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। है। उत्तर भारतीय रागदारी संगीत की अनेक विशेषताओं में से एक विशेषता यह भी है कि संगीत के प्रचलित राग परम्परागत रूप से ऋतु प्रधान हैं या प्रहर प्रधान। अर्थात संगीत के प्रायः सभी राग या तो अवसर विशेष या फिर समय विशेष पर ही प्रस्तुत किये जाने की परम्परा है। बसन्त ऋतु में राग बसन्त और बहार तथा वर्षा ऋतु में मल्हार अंग के रागों के गाने-बजाने की परम्परा है। इसी प्रकार अधिकतर रागों को गाने-बजाने की एक निर्धारित समयावधि होती है। उस विशेष समय पर ही राग को सुनने पर आनन्द प्राप्त होता है। भारतीय कालगणना के सिद्धान्तों का प्रतिपादन करने वाले प्राचीन मनीषियों ने दिन और रात के चौबीस घण्टों को आठ प्रहर में बाँटा है। सूर्योदय से लेकर सूर्य

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी - 06 - जैकी श्रॉफ़

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी - 06   जैकी श्रॉफ़  इस तरह जयकिशन काकुभाई श्रॉफ़ बन गए जैकी श्रॉफ़ ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी दोस्तों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार। दोस्तों, किसी ने सच ही कहा है कि यह ज़िन्दगी एक पहेली है जिसे समझ पाना नामुमकिन है। कब किसकी ज़िन्दगी में क्या घट जाए कोई नहीं कह सकता। लेकिन कभी-कभी कुछ लोगों के जीवन में ऐसी दुर्घटना घट जाती है या कोई ऐसी विपदा आन पड़ती है कि एक पल के लिए ऐसा लगता है कि जैसे सब कुछ ख़त्म हो गया। पर निरन्तर चलते रहना ही जीवन-धर्म का निचोड़ है। और जिसने इस बात को समझ लिया, उसी ने ज़िन्दगी का सही अर्थ समझा, और उसी के लिए ज़िन्दगी ख़ुद कहती है कि 'तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी'। इसी शीर्षक के अन्तर्गत इस नई श्रृंखला में हम ज़िक्र करेंगे उन फ़नकारों का जिन्होंने ज़िन्दगी के क्रूर प्रहारों को झेलते हुए जीवन में सफलता प्राप्त किये हैं, और हर किसी के लिए मिसाल बन गए हैं। आज का यह अंक केन्द्रित है फ़िल्म जगत के जाने माने अभिनेता जैकी श्रॉफ़ पर।    ज यकिशन काकुभाई श्रॉफ़ का जन्म मुंबई के तीन बत्ती इला

सर्व शिक्षा अभियान - असित कुमार मिश्र

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने अर्चना चावजी के स्वर में सौरभ चतुर्वेदी की हृदयस्पर्शी कथा " रुद्राभिषेक " का पाठ सुना था। आज हम आपका परिचय एक नए और प्रतिभाशाली उदीयमान लेखक से करा रहे हैं। आज आपकी सेवा में प्रस्तुत है, उत्तर प्रदेश के सर्व शिक्षा अभियान की कलाई खोलती   असित कुमार मिश्र लिखित मर्मस्पर्शी कथा सर्व शिक्षा अभियान , अनुराग शर्मा के स्वर में। इस कहानी सर्व शिक्षा अभियान का कुल प्रसारण समय 7 मिनट 39 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। हम सभी जीवन रुपी पाठशाला के विद्यार्थी हैं । जीवन भर पढ़ना है, लेकिन बंधना कहीं नहीं है। हमेशा तैयार रहना है, नए को आत्मसात करने