Skip to main content

Posts

नववर्ष विशेष: 1934 से 2014 -- 9 दशक, 9 गीत

नववर्ष विशेष बीते नौ दशकों के नौ चुनिन्दा गीत और उनसे जुड़ी कुछ यादें विदा 2014 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! दोस्तों, आज साल 2014 का अंतिम दिन है। एक और साल बीत गया और एक और नया साल दरवाज़े पर दस्तक देने के लिए बेताब हो रहा है। फ़िल्म संगीत के इतिहास में आज जब हम पीछे मुड़ कर देखते हैं तो ध्यान आता है कि आठ दशक तो पूरे हो ही चुके हैं, नवे दशक के भी चार साल बीत चुके हैं। इस दशकों में फ़िल्म संगीत अनेक दौर से गुजरता गया और एक स्वरूप से दूसरे स्वरूप में ढलता गया। 2014 से पीछे की तरफ़ चलें तो 2004, 1994, 1984, 1974.... से लेकर 1934 तक के नौ दशकों का यह सुरीला सफ़र बड़ा ही सुहाना रहा। तो आज इस विशेष दिन के अवसर पर क्यों ना पिछले 9 दशकों के इन 9 सालों से 9 गीत चुन कर उनके साथ जुड़ी कुछ स्मृतियों को आपके सामने रखे जायें। तो आनन्द लीजिये आज की इस नववर्ष विशेष प्रस्तुति का, और साथ ही स्वीकार कीजिए नववर्ष की हमारी हार्दिक शुभकामनायें।  1934: "प्रेम नगर में बनाऊंगी घर मैं" (चण्डीदास) उमा शशि और

वरुण कुमार जायसवाल की कथा लाज

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको हिन्दी में मौलिक और अनूदित, नई और पुरानी, प्रसिद्ध कहानियाँ और छिपी हुई रोचक खोजें सुनवाते रहे हैं। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा के स्वर में विनय के. जोशी की लघुकथा " ईमानदार " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं वरुण कुमार जायसवाल की छोटी सी लेकिन मर्मस्पर्शी कथा लाज जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी "लाज" का कुल प्रसारण समय 4 मिनट 36 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। वर्तमान राजनीति में सबसे बड़ी कमी आदर्शवाद को व्यावहारिक पहलू में ढाल पाने की क्षमता का अभाव है। ~  वरुण कुमार जायसवाल हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी "एक मदरसे में पढ़ाने वाले शिक्षक के लिए ये रकम बड़ी तो थी ही फिर भी

‘हमें तुमसे प्यार कितना...’ : SWARGOSHTHI – 200 : RAG BHAIRAVI

स्वरगोष्ठी – 200 में आज शास्त्रीय संगीतज्ञों के फिल्मी गीत – 9 : राग भैरवी विदुषी परवीन सुल्ताना से सुनिए भैरवी के स्वरों में पिरोया गीत - ‘हमें तुमसे प्यार कितना ये हम नहीं जानते...’  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के 200वें अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। वर्ष 2014 के इस समापन अंक के साथ ही शास्त्रीय, उपशास्त्रीय, लोक और फिल्म संगीत पर केन्द्रित हमारे साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ की चार वर्षों की यात्रा पूर्ण होती है। हमारी इस यात्रा में असंख्य संगीतानुरागी सहयात्री बने। उन सभी का नामोल्लेख इस एक अंक में सम्भव नहीं है। हमारे कुछ श्रोता और पाठक समय-समय पर अपने सुझावों और फरमाइशों से अवगत कराते रहते हैं। आपके सुझावों के आधार पर ही हम आगामी अंकों की रूपरेखा निर्धारित करते हैं। वर्ष 2014 में लगभग 12 संगीत प्रेमियों ने हमारी संगीत पहेली में भाग लिया, जिनमें से 4-5 प्रतिभागी तो नियमित थे। ‘स्वरगोष्ठी’ के इस 200वें अंक के माध्यम से हम सभी पाठको, श्रोताओं, सुझाव देने वालों और पहेल