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शौर्यगाथा : परमवीर चक्र विजेता सूवेदार जोगेन्द्र सिंह

'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' की ओर से सभी पाठकों और श्रोताओं को दीपावली पर हार्दिक मंगलकामनाएँ आपकी आवाज़ - हमारा मंच शौर्यगाथा : परमवीर चक्र से विभूषित अमर बलिदानी सूवेदार जोगेन्द्र सिंह इन दिनो ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से अपने श्रोताओं और पाठकों की अभिरुचि जानने के लिए सर्वेक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। नये वर्ष में हम आपकी पसन्द के कार्यक्रमों के साथ आपके बीच आने की तैयारी कर रहे हैं। हमारे एक पाठक और श्रोता निधीश गोयल ने अपनी आवाज़ में अमर बलिदानी, परमवीर चक्र विजेता सूवेदार जोगेन्द्र सिंह की शौर्यगाथा भेजी है। श्रव्य माध्यम में प्रस्तुत इस कार्यक्रम के बारे में आप अपने सुझाव और टिप्पणियाँ भेज सकते हैं।    परमवीर चक्र विजेता सूवेदार जोगेन्द्र सिंह की  धर्मपत्नी श्रीमती गुरदयाल कौर को  23 अक्तूबर 2006 को भारतीय सेना द्वारा  आयोजित एक समारोह में  सम्मानित किया गया सूवेदार जोगेन्द्र सिंह देश की रक्षा में अनेकानेक राष्ट्रभक्तों ने अपने प्राणों की आहुतियाँ दी है। ऐसे ही बलिदानियों की सूची में एक नाम सूवेदार जोगेन्द्र सिं ह

बोलती कहानियाँ: बहू लक्ष्मी - श्यामचंद्र कपूर

रेडियो प्लेबैक इंडिया के सभी श्रोताओं को दीपावली पर्व पर हार्दिक शुभकामनायें! 'बोलती कहानियाँ' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं नई पुरानी, रोचक कहानियाँ। पिछली बार आपने प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की कथा " छोटा जादूगर " का पॉडकास्ट अर्चना चावजी की आवाज़ में सुना था। आज हम लेकर आये हैं लेखक श्याम चंद्र कपूर की कथा " बहू लक्ष्मी ", वाचन अर्चना चावजी द्वारा। कहानी " बहू लक्ष्मी " का कुल प्रसारण समय 7 मिनट 38 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो देर न करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमें admin@radioplaybackindia.com पर संपर्क करें। वर्तमान में जबकि ‘औरंगजेब की सहिष्णुता’ पर शोध प्रबन्ध लिखे जा रहे हैं, इस विषय का यथातथ्य विश्लेषण परमावश्यक है कि इतिहास को अपने मूलरूप में बनाए रखा जाय। ~ श्यामचंद्र कपूर "बोलती कहानियाँ" में हर सप्त

‘का करूँ सजनी आए न बालम...’ : SWARGOSHTHI – 190 : THUMARI SINDHU BHAIRAVI

स्वरगोष्ठी – 190 में आज फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी – 9 : ठुमरी सिन्धु भैरवी विरहिणी नायिका की व्यथा : ‘का करूँ सजनी आए न बालम...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर मैं कृष्णमोहन मिश्र अपनी साथी प्रस्तुतकर्त्ता संज्ञा टण्डन के साथ आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इन दिनों हमारी जारी श्रृंखला 'फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी’ के नौवें अंक में आज हमने एक ऐसी पारम्परिक ठुमरी का चयन किया है, जिसे कई सुविख्यात गायक-गायिकाओं ने गाया है। इसके अलावा इस ठुमरी के अन्तरों को परिवर्तित कर फिल्म संगीत के रूप में भी आकर्षक प्रयोग किया गया है। इस श्रृंखला में आप कुछ ऐसी पारम्परिक ठुमरियों का रसास्वादन भी कर रहे हैं जिन्हें फिल्मों में कभी यथावत तो कभी परिवर्तित अन्तरे के साथ इस्तेमाल किया जा चुका है। फिल्मों मे शामिल ऐसी ठुमरियाँ अधिकतर पारम्परिक ठुमरियों से प्रभावित होती हैं। आज की ठुमरी का पारम्परिक संस्करण भारतीय संगीत के शीर्षस्थ संगीतज्ञ उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ

"क़िस्मत ने हमें रोने के लिए दुनिया में अकेला छोड़ दिया...", क्यों आँखें भर आईं सुरैया की इस गीत को फ़िल्माते हुए?

एक गीत सौ कहानियाँ - 43   ‘क़िस्मत ने हमें रोने के लिए दुनिया में अकेला छोड़ दिया... ’ 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़ी दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'।  इसकी 43-वीं कड़ी में आज जानिये फ़िल्म 'मोतीमहल' के गीत "क़िस्मत ने हमें रोने के लिये दुनिया में अकेला छोड़ दिया" के बारे में।

नई फिल्म - Roar -Tigers Of The Sundarbans : Official Theatrical Trailer

नई फिल्म का परिचय   आदमखोर बाघों और मगरमच्छों के बीच जीवन और मृत्यु का रोमांचक संघर्ष हिंसक पशुओं से आत्मरक्षा की स्वाभाविक प्रवृत्ति मनुष्य में ही नहीं , हर जीव-जन्तु में होती है। आदमखोर बाघों से आत्मरक्षा का भाव होते हुए भी मनुष्य ऐसी प्रजाति को लुप्त होने से बचाने का प्रयास करता रहता है। अगले दो सप्ताह बाद प्रदर्शित होने वाली एक फीचर फिल्म के लिए अभिनेता से फिल्म निर्देशक बने कमल सदाना ने इसी रोमांचक विषय पर एक फीचर फिल्म ‘ रोर – टाइगर ऑफ सुन्दरवन ’ का निर्माण किया है। पिछले दिनों अभिनेता सलमान खान ने फिल्म का ट्रेलर जारी किया। ‘ रेडियो प्लेबैक इण्डिया ’ पर अपने पाठकों, श्रोताओं और दर्शकों के लिए यह ट्रेलर प्रस्तुत है। देश के सभी सिनेमाघरों में इस फिल्म का प्रदर्शन 31 अक्तूबर को हो रहा है।     Roar -Tigers Of The Sundarbans : Official Theatrical Trailer  यह फिल्म देश के सभी सिनेमाघरों में शुक्रवार, 31 अक्तूबर, 2014 को प्रदर्शित होगी। अगले शुक्रवार को इसी साप्ताहिक स्तम्भ में हम आपको इस फिल्म के कुछ गाने सुनवाएँगे। आपको हमारा यह

नए साल 2015 में शनिवार के नियमित स्तम्भ रूप में आप कौन सा स्तम्भ पढ़ना पसन्द करेंगे?

अपना मनपसन्द स्तम्भ पढ़ने के लिए दीजिए अपनी राय!!! नए साल 2015 में शनिवार के नियमित स्तम्भ रूप में आप कौन सा स्तम्भ पढ़ना सबसे ज़्यादा पसन्द करेंगे? 1.  सिने पहेली (फ़िल्म सम्बन्धित पहेलियों की प्रतियोगिता) 2. एक गीत सौ कहानियाँ (फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया से जुड़े दिलचस्प क़िस्से) 3. स्मृतियों के स्वर (रेडियो (विविध भारती) साक्षात्कारों के अंश) 4. बातों बातों में (रेडियो प्लेबैक इण्डिया द्वारा लिये गए फ़िल्म व टीवी कलाकारों के साक्षात्कार) 5. बॉलीवुड विवाद (फ़िल्म जगत के मशहूर विवाद, वितर्क और मनमुटावों पर आधारित श्रृंखला) अपनी राय नीचे टिप्पणी में अथवा cine.paheli@yahoo.com पर अवश्य बताएँ। 

‘गोरी तोरे नैन काजर बिन कारे...’ : SWARGOSHTHI – 189 : THUMARI PILU AND DES

स्वरगोष्ठी – 189 में आज फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी – 8 : ठुमरी पीलू और देस एकल और युगल रूप में श्रृंगार रस से परिपूर्ण ठुमरी ‘गोरी तोरे नैन काजर बिन कारे...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर मैं कृष्णमोहन मिश्र अपनी साथी प्रस्तुतकर्त्ता संज्ञा टण्डन के साथ आप सब संगीत-प्रेमियों का अभिनन्दन करता हूँ। इन दिनों हमारी जारी श्रृंखला 'फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी’ के आठवें अंक में आज हमने एक ऐसी पारम्परिक ठुमरी का चयन किया है, जिसे कई सुविख्यात गायक-गायिकाओं ने गाया है। इस ठुमरी को एकल और युगल, दोनों रूप में प्रस्तुत किया गया है। आमतौर पर ठुमरी एकल रूप में ही गायी जाती है। परन्तु नृत्य-प्रस्तुतियों में या युगल कलाकारों की प्रस्तुतियों में ठुमरी का युगल गायन भी परिलक्षित होता है। इस श्रृंखला में आप कुछ ऐसी पारम्परिक ठुमरियों का रसास्वादन भी कर रहे हैं जिन्हें फिल्मों में कभी यथावत तो कभी परिवर्तित अन्तरे के साथ इस्तेमाल किया गया। फिल्मों मे शामिल ऐसी ठुमरियाँ अधिकतर पार