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संगीत के प्रचार, प्रसार और संरक्षण में संलग्न एक साधक

स्वरगोष्ठी – 171 में आज व्यक्तित्व – 1 : पण्डित विश्वनाथ श्रीखण्डे   ‘छवि दिखला जा बाँके साँवरिया ध्यान लगे मोहे तोरा...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों, आपके प्रिय स्तम्भ की आज से एक नई लघु श्रृंखला ‘व्यक्तित्व’ आरम्भ हो रही है। इस श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के कुछ ऐसे संगीत-साधकों के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा करेंगे जिन्होंने मंच अथवा विभिन्न प्रसारण माध्यमों पर प्रदर्शन से इतर संगीत के प्रचार, प्रसार, शिक्षा, संरक्षण या अभिलेखीकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान किया है। इस श्रृंखला की पहली कड़ी में आज हम भारतीय संगीत के उच्चकोटि के कलाकार होने के साथ ही संगीत के शास्त्रीय और प्रायोगिक पक्ष के विद्वान पण्डित विश्वनाथ वि. श्रीखण्डे के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा करेंगे। वर्ष 1983 से 1993 तक उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में सचिव पद पर रहते हुए उन्होने भारतीय संगीत के प्रचार-प्रसार के साथ ही अभिलेखीकरण का उल्लेखनी

"रस्म-ए-उल्फ़त" के बाद और कोई गाना मत बजाना

एक गीत सौ कहानियाँ - 33   ‘ रस्म-ए-उल्फ़त को निभायें तो निभायें कैसे. ..’ 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कप्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारी ज़िन्दगियों से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़ी दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह साप्ताहिक स्तंभ 'एक गीत सौ कहानियाँ'। इसकी 33वीं कड़ी में आज जानिये फ़िल्म 'दिल की राहें' की दिल को छू लेने वाली ग़ज़ल "रस्म-ए-उल्फ़त को निभायें तो निभायें कैसे..." के बारे में. &

सुन दर्द मेरा बेदर्द सनम...

खरा सोना गीत - बेईमान बालमा  प्रस्तोता - श्वेता पाण्डे स्क्रिप्ट - सुजोय चट्टरजी प्रस्तुति - संज्ञा टंडन