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मनमोहन भाटिया की बड़ी दादी

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको हिन्दी में मौलिक और अनूदित, नई और पुरानी, प्रसिद्ध कहानियाँ और छिपी हुई रोचक खोजें सुनवाते रहे हैं। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा के स्वर में प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट काजल कुमार की व्यंग्यात्मक लघुकथा " ड्राइवर " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं मनमोहन भाटिया की कथा बड़ी दादी जिसे स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। कहानी "बड़ी दादी" का गद्य हिन्दी समय पर उपलब्ध है। इस कथा का कुल प्रसारण समय 19 मिनट 40 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। दिल्ली प्रेस कहानी प्रतियोगिता 2006 तथा अभिव्यक्ति कथा महोत्सव 2008 में पुरस्कृत मनमोहन भाटिया (बीकॉम एलएलबी) दिल्ली में रहते हैं। उनकी रचनायें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से छप रही

बदमस्त झुमरू

खरा सोना गीत - मैं हूँ झुमरू  प्रस्तोता - लिंटा मनोज  स्क्रिप्ट - सुजॉय चट्टर्जी  प्रस्तुति - संज्ञा टंडन 

पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर के दिव्य स्वर में सूरदास का वात्सल्य भाव

  स्वरगोष्ठी – 150 में आज रागों में भक्तिरस – 18 कृष्ण की लौकिक बाललीला का अलौकिक चित्रण ‘मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो...’ ‘ रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’ की अठारहवीं कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-रसिकों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों, इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपके लिए भारतीय संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान राग और कुछ प्रमुख भक्तिरस कवियों की रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही उस भक्ति रचना के फिल्म में किये गए प्रयोग भी आपको सुनवा रहे हैं। श्रृंखला की पिछली दो कड़ियों में हमने आपसे पन्द्रहवीं शताब्दी के सन्त कवि कबीर के व्यक्तित्व और उनके एक पद- ‘चदरिया झीनी रे बीनी...’ पर चर्चा की थी। आज के अंक में हम सोलहवीं शताब्दी के कृष्णभक्त कवि सूरदास के एक लोकप्रिय पद- ‘मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो...’ पर सांगीतिक चर्चा करेंगे। सूरदास के इस पद को भारतीय संगीत के अनेकानेक शीर्षस्थ कलासाधकों स्वर दिया है, परन्तु ‘स्वरगोष्ठी’ के आज के इस अंक में हम आपको यह पद स

जारी है जंग 'सिने पहेली' का, बढ़ते जा रहे हैं क्लाइमैक्स की ओर

सिने पहेली –96 'सिने पहेली' के सभी चाहनेवालों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार! दोस्तों, सप्ताह भर अत्यन्त व्यस्त रहने की वजह से आज, 11 जनवरी शनिवार, सुबह 5 बजे उठ कर ठिठुरती ठंड में रजाई ओढ़ कर 'सिने पहेली' बना रहा हूँ, और वह भी पूरे मज़े लेते हुए। और मज़ा क्यों न आए, जब आप प्रतियोगी इतने चाव से इसमें भाग लेते हैं, जिस नियमितता से पहेलियों को सुलझाते चले आते रहे हैं, ऐसे में जब कभी भी 'सिने पहेली' का अंक पोस्ट नहीं हो पाता है, हमें भी बड़ा अफ़सोस होता है। हर सप्ताह एक नई तरह की पहेली तैयार करने की उम्मीद लिए जब लैपटॉप पर बैठता हूँ तो कुछ न कुछ नया दिमाग़ में आ ही जाता है। आज भी एक नई पहेली के साथ हाज़िर हूँ। जनवरी के इस शीत लहर का आनन्द लेते हुए आप इस पहेली को सुलझाने में जुट जाइए, all the best! आज की पहेली : गान पहचान आज की पहेली में आपको एक गीत पहचानना है। यह किशोर कुमार का गाया हुआ एकल गीत है। इसके मुखड़े में कई शब्द ऐसे हैं जो फ़िल्मों के भी शीर्षक हैं। ऐसे 10 शब्दों के सूत्र (क्रमानुसार नहीं) हम नीचे लि

साल की शुरुआत दो बेहद सुरीले प्रेम गीतों से

ताज़ा सुर ताल - 2014 - 01  दोस्तों, हमने सोचा कि इस बार हम ताज़ा सुर ताल का कलेवर थोडा सा बदल दें. बजाय पूरी एल्बम की चर्चा करने के अब से हम हर सप्ताह दो चुनिंदा गीतों का जिक्र करेंगें, तो चलिए साल की शुरुआत करें कुछ मीठा सुनकर. अब आप ही कहें कि क्या प्रेम से मधुर कुछ है इस दुनिया में ? दोस्तों वर्ष २०१३ के सबसे सफल गायक साबित हुए अरिजीत सिंह, और आशिकी २ में तो उन्होंने प्रेम गीतों को एक अलग ही मुकाम तक पहुँचाया, सच कहें तो मोहित चौहान के बाद अरिजीत पहले ऐसे गायक हैं जिनमें एक लंबी पारी खेलने की कुव्वत नज़र आती है. कभी जो बादल बरसे मैं देखूँ तुझे ऑंखें भर के , तू लगे मुझे पहले बारिश की दुआ ... पैशन से भरे इस गीत में एक अजब सा नशा है. तुराज़ के शब्दों को शरीब तोशी ने बहुत ही प्यार से संवारा है. और अरिजित के तो कहना ही क्या, तो लीजिए सुनिए फिल्म जैकपोट  का ये गीत.  अब इससे इत्तेफाक ही कहगें कि आज के हमारे दूसरे ताज़ा गीत में भी बारिश की झमाझम है,  बल्कि यहाँ तो गीत का नाम भी 'बारिश' ही है. आशिकी २ के निर्माताओं की ही ताज़ा पेशकश है फिल्म यारियाँ . यहाँ भी वर्ष २०१३ के स

सारंगी वादक राम नारायण का भी योगदान रहा इस यादगार गीत में

खरा सोना गीत - तुम क्या जानो प्रस्तोता - अंतरा चक्रवर्ती प्रस्तुति - संज्ञा टंडन 

शुद्ध हिंदी शब्दों से बुना एक शृंगार रस से ओत-प्रोत एक अमर गीत

खरा सोना गीत - चन्दन सा बदन प्रस्तोता - रचेता टंडन  संचालन - संज्ञा टंडन